आज हम आपको विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
जैसा कि आप सभी जानते हैं, कि पर्यावरण दिवस हमारे देश में 5 जून को मनाया जाता है. परंतु आज के इस औद्योगिकरण के युग में पर्यावरण के बारे में सोचना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की वजह से पर्यावरण के कारण मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आई है, और पेड़ों के कम होने के कारण कई नए रोगों का भी जन्म हुआ है. इसी की वजह से ही दुनिया भर में पारिस्थितिक तंत्र में तेजी से बदलाव देखने को भी मिला है, और इसी के सुधार के लिए हर साल पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य होता है, कि पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान की जाए और पेड़ पौधों कटाई पर रोक लगाया जाए. और कुछ कार्यक्रम के माध्यम से यह भी समझाया गया है, लोगों को जागरूक किया गया है कि ये समुद्री प्रदूषण, ओवरपॉपुलेशन, ग्लोबल वॉर्मिंग, सस्टनेबल कंजम्पशन और वाइल्ड लाइफ क्राइम है, और इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले देशों की संख्या 143 या इससे अधिक रहती है.
आज पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन और प्रदुषण का शिकार पूरी दुनिया हो रही है. और इन समस्याओं से बाहर आने का एकमात्र उपाय है, कि पूरी दुनिया को हरा-भरा रखें. जितना हो सके उतना पेड़ पौधे लगाएं. और यह संभव तभी हो सकता है, जब लोग पेड़ों के संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे. इसी जरूरत को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक कदम उठाया और सभी देशों में पेड़ों के प्रति जागरूकता लाने के लिए पेड़ों के प्रति प्रेम बढ़ाने के लिए उन्होंने साल में एक बार पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत की यह शुरुआत साल 1974 में की गई थी. जिसे हर साल विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है.
विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व
“विश्व पर्यावरण दिवस” मनाने का सबसे बड़ा उद्देश्य यह था. कि दुनिया भर में लोगों को जागरूक किया जाए. कि पौधों की अंधाधुंध कटाई के कारण अनेकों नई समस्याएं जन्म ले सकती हैं और उन सब समस्याओं से छुटकारा कैसे पाया जाए, यह हम आपको बताएंगे. और इन समस्याओं की उत्पत्ति का मुख्य कारण पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रीन हाउस प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग, ब्लैक होल, आदि है और अगर आप इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, या फिर यह चाहते हैं कि यह समस्याएं उत्पन्न नहीं ना हो तो जितना हो सके उतना पेड़ पौधे लगाएं. और पेड़ों की कटाई पर भी रोक लगाएं. इससे पर्यावरण संतुलन बना रहेगा.
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा “ह्यूमन एनवायरमेंट पर स्टॉकहोम” सम्मेलन में की गई थी, जिसमें लगभग 119 देशों शामिल हुए थे. सभी ने धरती को सिद्धांत मानते हुए उस मान्यता के पेपर में हस्ताक्षर किया था. और इसके बाद सभी देशों ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया. और फिर इसके बाद भारत में 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के रूप में लागू हुआ.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा। अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.
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