केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ खड़ा रुख अपनाया है और उसे पांच साल के लिए बैन कर दिया है. PFI पर प्रतिबंध लगाने की मांग कब से कई राज्य कर रहे थें . टेरर लिंक के सबूत मिलने के बाद सरकार ने पीएफआई पर शिकंजा कसते हुए उसे बैन कर दिया है.
PFI के सहयोगी संगठनों पर भी गिरी गाज
बता दें सालों से कई राज्य पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उसे बैन करने की मांग कर रहे थें. हाल में ही केंद्रीय जांच एजेंसियों की छापेमारी के बाद केंद्र सरकार ने एक्शन लेते हुए PFI संगठन पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. बता दें एनआईए ( NIA ) समेत कई राज्यों और एजेंसियों ने छापेमारी कर 100 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की है. इसके अलावा उसके आठ और सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है. रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल
कॉन्फेडरेशन ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल वीमेन फ्रंट, एंपावर फाउंडेशन और रिहैब फाउडेशन केरल जैसे PFI के सहयोगी संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.
PFI गैर कानूनी संगठन घोषित
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तरफ से जारी नोटिफिकेशन में PFI को गैरसरकारी संगठन करार दिया गया है. अब पीएफआई किसी भी तरह की गतिविधियों को अंजाम नहीं दे पाएगा, अब वे ना तो फंडिंग ले सकता है ना ही इसका कोई ऑफिस होगा ना ही कोई अभियान चला सकता है. गौरतलब है की पिछले कई दिनों से NIA की तरफ से तमाम राज्यों में इस संगठन के खिलाफ छापेमारी की जा रही थी इस छापेमारी के दौरान कई ऐसे सबूत एनआईए के हाथ लगे जिसमें इस संगठन का आतंकवाद से जुड़े होने के कई अहम सबूत मिले हैं. आपको बता दें 22 सितंबर को 15 राज्यों में 106 जगहों पर छापेमारी की गई थी. बाद में 27 सितंबर को फिर NIA ने छापेमारी की और एजेंसियों द्वारा जुटाए गए सबूतों के आधार पर PFI पर UAPA के तहत प्रतिबंध लगाया गया है.
PFI पर आरोप
पीएफआई संगठन पर कई गंभीर आरोप हैं जिनमें नौजवानों को जबरन हिंसा भड़काने और मौत का औजार बनाने के लिए तैयार करना, गरीब युवकों का ब्रेन वॉश कर के गुमराह कर के आतंकी गतिविधियों में शामिल करना.
2047 तक भारत देश को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का प्लान. टेरर से भी इस संगठन के लिंक होने के कई सबूत मिले हैं, जिसमें लश्कर-ए -तैयबा और ISIS से कनेक्शन होने के सबूत भी मिले हैं. और ये संगठन सामाजिक कार्य न कर के समाज में अव्यवस्था फैला रही थी और लोगों को एक विशेष समुदाय के खिलाफ भड़का रही थी. PFI की इस तरह की प्लानिंग को देख जांच एजेंसियों के साथ सरकार भी हैरान रह गई. और आधी रात को एक्शन लेते हुए इस संगठन को बैन कर दिया.
PFI ने दिए साजिश को अंजाम
16 अप्रैल 2022 को दिल्ली के जहांगीरपुरी में दंगा कराने की साजिश को दिया था अंजाम.
17 अप्रैल 2022 को खरगोन में हिंसा भड़काया. 2 अप्रैल 2022 में करौली दंगा को दिया अंजाम, कर्नाटक में मार्च में हिजाब मामले पर हंगामा कराया. सितंबर 2020 में हाथरस में लोगों को भड़काने का काम भी इसी संगठन ने किया था. ऐसे कई देश विरोधी काम को अंजाम दे चुका है ये संगठन. यूपी में CAA के खिलाफ हिंसा भड़काने में जब पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम सामने आया तो यूपी सरकार ने इसे बैन करने की सिफारिश की थी उस वक्त PFI पर सियासत में भी गर्माहट देखी थी. कोई इसे देशद्रोही संगठन कह रहा था तो कोई इसका साथ भी देता नजर आया. पीएफआई पर सबसे बड़ा आरोप दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों से फंडिंग लेने का है जिसे ये संगठन भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता था.
सम्बंधित : – जारी है PFI के ठिकानो पर छापेमारी ! क्या लगेगा प्रतिबन्ध ?
क्या है PFI संगठन ?
गौरतलब है कि पीएफआई संगठन की स्थापना 2006 में तीन मुस्लिम संगठनों को मिलाकर किया गया इसमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट , कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति परसई को साथ में लेकर PFI संगठन बनाया गया.यह संगठन 23 राज्यों में एक्टिव है पीएफआई का हेडक्वार्टर दिल्ली में है. संगठन दावा करता आया है कि वे देश में मुस्लिम और दलितों के हित के लिए काम करता है. मध्य पूर्व देशों से PFI को अच्छी खासी फंडिंग मिलती थी और इसके फंडिंग पर भी कई सवाल उठते आए है. साल 2012 में पीएफआई के टेरर लिंक सामने आने के बाद इस संगठन को बैन करने की मांग की गई थी , लेकिन तत्कालीन केरल सरकार ने उसका समर्थन किया था. PFI हमेशा से अपने आप को गैर लाभकारी संगठन बताता आया है. लेकिन अक्सर PFI पर देश विरोधी और असामाजिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगते आया है.
राज्य सरकारों की मांगों को देखते हुए और PFI के खिलाफ एनआईए को मिले पुख्ता सबूतों के आधार पर सरकार ने ठोस कदम उठाते हुए रातों रात पीएफआई पर लगाम लगाते हुए उसे पांच सालों के लिए बैन कर दिया है. बहरहाल अब देखना होगा पीएफआई पर लगे इस बैन पर इस संगठन के शुभ चिंतक क्या रुख अपनाते हैं.