तीन जगह पर पुण्य दान दिया जाता है। पहला स्थान विष्णु पुराण कहते हैं- आंवले का वृक्ष। आंवले का वृक्ष विष्णु पुराण का सातवां अंश कहता है कि आंवले का वृक्ष भगवान नारायण एक बार जब माता लक्ष्मी के साथ में भ्रमण पर जा रहे थे। तब भूमि देवी प्रकट हुई थी। और जब माता भूमि देवी प्रकट हुई माता भूमि देवी जब सम्मुख में आए भगवान विष्णु को विनती किया हे। प्रभु कृपा करिए भूदेवी को देखकर भगवान विष्णु ने कहा की हे भूमि देवी आप तो हमेशा गौ माता के रूप में रहती हैं। पर आज आप मेरे सामने खड़ी हो क्या चाहती हो। भूदेवी कहती है आज एक मनोकामना है। और आपके सिवा कोई पूरा नहीं कर सकता। अर्थात जगत के लोगों को यह विष्णु पुराण प्रेरणा लेनी चाहिए। मन में जो कामना है दूसरे से नहीं कहना चाहिए मनोकामना भगवान से कहना चाहिए। देवी कहती हैं मेरे इस भूमि पर तीन जगह ऐसा बना दीजिए जहाँ पर जिसे वह पुण्य भी देना चाहे वह हजार गुना प्राप्त हो जाए। यह देने वाले को भी मिले और लेने वाले को भी मिले भगवान विष्णु लक्ष्मी की ओर देखें तो लक्ष्मी जी कहती हैं प्रभु भूमि देवी आई हैं आपको इसकी कामना पूरी करनी चाहिए। जो मांग रही है देना चाहिए आपको भगवान विष्णु कहते हैं लक्ष्मी 50 बार विचार कर ले फिर बोलें हो सकता है बैकुंठ में तेरी सत्ता घट जाए जब सब को पृथ्वी पर ही फल मिल जाएगा तो तुम क्या दोगी लक्ष्मी कहती हैं दरबार में अगर कोई आ गया भगवान के सम्मुख कोई आकर पुकारे भगवान को उसकी इच्छा पूरी करनी चाहिए।
विष्णु भगवान बोले मागो भूमिदेवी तीन स्थान : –
1.आंवले का वृक्ष:-
यहाँ पर कोई भी अपना पुण्य देना चाहे तो आंवले की जड़ उसको प्रखर बना देती है। उस जीव को प्राप्त हो जाता है। इसलिए आंवले की पूजन किया जाता है। भगवान विष्णु का इसे अवतार माना जाता है। जड़ में इसके लक्ष्मी का प्रवेश माना जाता है। जहाँ पर आंवला लगता है उसे दाता या विधाता बोला जाता है। आंवले के बीच में जो बड़ा वाला होता है उसे शुभ और लाभ बोला जाता है। आंवले के बीच में जो आंवला छोटा होता है उसे श्री बोला जाता है। इसका वर्णन विष्णु पुराण में ही नहीं स्कंद पुराण में भी इसका वर्णन मिलता है।
2.त्रिवेणी नदियाँ :-
देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, करणप्रयाग पर जहाँ पर गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा तीन नदियों का संगम होता है। चाहे वह कोई भी हो ऐसी जगह पर आप पुण्य दान कर सकते हैं। अपना किया हुआ पुण्य किसी और को दान दे सकते हैं ऐसी जगह पर।
3.पुष्कर्णी:-
भारत की भूमि पर एक ऐसा कुंड है। जिसमें भगवान विष्णु सदा के लिए पानी में छुपे रहते हैं। साल में एक बार भगवान विष्णु निकलते हैं। उसे कहते हैं पुष्कर्णी यदि आप तिरुपति गए हैं। भगवान वेंकटेश का दर्शन करने से पहले नरसिंह भगवान का मंदिर है उस मंदिर के पास में से जो रास्ता गया हुआ है। वह पुष्कर्णी है। जहाँ भगवान विष्णु जल के अंदर विराजमान होकर साधना करते हैं। उनकी मूर्ति पूरे साल डूबी हुई होती है। साल में एक बार पुष्कर्णी में वह मूर्ति निकाल कर घुमाया जाता है। उसके बाद फिर वापस रख दिया जाता है। पुष्कर्णी नदी पर बैठकर आप अपना दान किसी और को दे सकते हैं।
Read more – सर्दियों में ओंठों को फटने से बचाने के घरेलू उपाय
Read more – होठों के कालेपन को दूर करने के घरेलू उपाय
Read more – जोरदार ठंड से बचने के आसान तरीके
Read more – नकसीर रोकने के आसान और घरेलू उपाय
Read more – डेस्कटॉप कंप्यूटर और लैपटॉप में क्या अंतर है