आज हम आपको फसलों को पाले से बचाने के उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें। और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे।
सर्दी के मौसम में फसलों के खराब होने का डर सदैव बना रहता है। पाले से सर्दी के मौसम में सबसे ज्यादा 60 से 90% तक नुकसान होने वाली फसलें चना, सरसों, जीरा, अफीम, अरहर अन्य फसलें हैं। फसलों को पाले से बचाने के लिए हम कई तरह के उपाय कर सकते हैं। सर्दी के मौसम में पाले के कारण फसलें खराब हो जाती हैं। जिससे किसान को कई प्रकार की समस्याओं से सामना करना पड़ता है। इस ब्लॉग में हम आपको फसलों को पाले से बचाने के उपाय बताने जा रहे हैं कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें।
पाले के कारण पौधे से फल और फूल झड़ने लगते हैं। और पाले से प्रभावित फसल के रंग पीला पड़ने लगता है। पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग की तरह दिखने लगता है। और पत्तियां झड़ने लगती हैं, सब्जियों के पौधे में पाले का अधिक प्रभाव दिखाई देता है। जिससे कभी-कभी सब्जी की संपूर्ण फसल नष्ट भी हो जाती है। ना सिर्फ सब्जियों में बल्कि फल वाले पौधे जैसे आम और पपीते में इसका असर ज्यादा दिखाई देता है।
पाले से बचाने के उपाय –
धुआं करके :- फसलों को पाले से बचाने के लिए फसलों के आसपास या खेतों के चारों तरफ सूखी घास या फिर अन्य कूड़ा करकट जला देना चाहिए। जिससे खेत का तापमान बढ़ जाता है। खेत का तापमान बढ़ा देने के कारण फसलों को पाले से बचाया जा सकता है। धुआं करने के लिए घास और कूड़ा के साथ का क्रूड ऑयल इस्तेमाल भी कर सकते हैं। क्रूड ऑयल के कारण फसल का तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाया जा सकता है।
टाटिया या वायुरोधी पौधों का इस्तेमाल :- फसलों को पाले से बचाने के लिए पौधों को सूखी घास या भूसे से ढ़क देना चाहिए। या फिर फसलों और खेतों के चारों तरफ घास और पत्तों से बनी टाटिया लगा देना चाहिए। जिससे ठंडी हवाओं का असर सीधे हमारी फसलों पर ना पड़े। पाले से बचाने के लिए छोटे पौधों को टोकरी या पत्तों की सहायता से ढक कर उसकी सुरक्षा कर सकते हैं। और दिन के समय वायुरोधक टाटिया को हटा देना चाहिए। ताकि फसलों को उचित धूप मिलती रहे जिससे फसल का तापमान निरंतर बना रहे। और फसल पाले से बची रहे।
सिंचाई :- फसलों को पाले से बचाने के लिए पाले की संभावना होने पर खेत में सिंचाई कर देना चाहिए। सिंचाई के कारण मिट्टी में नमी बन जाती है। और मृदा का तापमान बढ़ जाता है। जिसकी वजह से पाले व शीतलहर से नुकसान की संभावना कम रहती है। फसलों की सिंचाई के कारण मृदा का तापमान 1 या 2 डिग्री बढ़ जाता है। जिससे पौधों को पाले से संकट काम रहता है।
गंधक का उपयोग :- पाले की संभावना होने पर फसलों में गंधक के तेजाब के घोल का छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव करने हेतु 1000 लीटर पानी में 1 लीटर गंधक को अच्छी तरह घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में स्प्रेयर के सहायता से छिड़काव करें। एक बार छिड़काव करने पर 2 हफ्ते तक इसका असर रहता है। अगर उसके बाद भी पाले पड़ने की संभावना दिखाई देती है। तो छिड़काव करने के 2 हफ्ते बाद फिर से गंधक का छिड़काव कर सकते हैं। गंधक के छिड़काव के कारण फसलों को ना सिर्फ पाले से बचाया जा सकता है। बल्कि पौधे में लोह और रासायनिकता बढ़ जाती है। जो पौधे में रोगरोधिता को बढ़ाता है। और फसलों को जल्दी पकने में सहायता करता है।
सल्फर :- फसलों को पाले से बचाने के लिए पाले की संभावना होने पर खेतों की जुताई और गुड़ाई नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से मृदा का तापमान कम हो जाता है। पौधे का तापमान बनाए रखने के लिए सल्फर का छिड़काव कर सकते हैं। क्योंकि सल्फर पौधों में गर्मी बनाता है। सल्फर का छिड़काव करने के लिए 8 से 10 किलोग्राम सल्फर पाउडर को प्रति एकड़ के हिसाब से बोल सकते हैं। या घुलनशील सल्फर को 500 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फसलों का उचित तापमान बना रहता है।
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको फसलों को पाले से बचाने के उपाय की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा। अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें।
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