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Balaji Mandir – तिरुपति बालाजी का मंदिर कहां है?

आज हम आपको Balaji Mandir – बालाजी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.

तिरुपतिबालाजी मंदिर पृथ्वी का सबसे बड़ा एवं लोकप्रिय मंदिर माना जाता है साथ ही ऐसा माना जाता है. कि यहाँ अनेको श्रद्धालु प्रतिदिन आते है. क्योंकि यह एक अध्यात्म स्थान है, यह मंदिर इतना आकर्षक दिखाई देता है. कि लाखों की संख्या में भक्त यहां आते ही रहते हैं. और दैनिक आधार पर उनके द्वारा सबसे अधिक राशि दान में दी जाती है, इस प्रकार लाखों श्रद्धालु दान पुण्य करते हैं.

तिरुपति बालाजी का मंदिर कहां है? (balaji ka mandir kaha hai)

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के मुख्य तीर्थ स्थलो में से एक है.

तिरुपति रेलवे स्टेशन से तिरुपति बालाजी मंदिर कितना दूर है? (tirupati railway station se tirupati balaji mandir kitna dur hai)

तिरुपति रेलवे स्टेशन से तिरुपति बालाजी मंदिर की दूरी 26 किलोमीटर हैं।

तिरुपति अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से तिरुपति बालाजी मंदिर कितना दूर है? (tirupati airport se tirupati balaji mandir kitna dur hai)

तिरुपति हवाई अड्डे से तिरुमला – तिरुपति बालाजी मंदिर लगभग 38 किमी की दूरी पर हैं.

भगवान बालाजी की कहानी (bhagwan balaji ki kahani)

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कलियुग के दौरान भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए भगवान पृथ्वी पर प्रकट हुए थे. तब एक बार ऋषि भृगु यह मूल्यांकन करना चाहता थे, कि पवित्र तीन देवताओं में कौन सबसे बड़ा देवता कौन है.

इसी बात के परीक्षण के लिए महर्ष‌ि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही शेष शैय्या पर योगन‌िद्रा में लेटे भगवान व‌िष्‍णु की छाती पर एक लात मार दिए. परंतु भगवान व‌िष्‍णु ने तुरंत भृगु के चरण पकड़ ल‌िए, और पूछने लगे क‌ि ऋष‌िवर पैर में चोट तो नहीं लगी, परंतु देवी लक्ष्मी को भृगु ऋष‌ि का यह व्यवहार पसंद नहीं आया और वह व‌िष्‍णु जी से क्रोधित हो गई, और क्रोध इस बात का था कि भगवान विष्णु ने भृगु ऋषि को दंड क्यों नहीं दिया.

इसी क्रोध में देवी लक्ष्मी बैकुंठ वापस लौट गई, तब भगवान व‌िष्‍णु ने देवी लक्ष्मी को ढूंढना प्रारंभ किया तो पता चला कि देवी ने पृथ्वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रूप में जन्म लिया है. तब भगवान विष्णु ने अपना रूप बदला और पद्मावती के पास पहुंच गए, भगवान ने पद्मावती के सामने व‌िवाह का प्रस्ताव रखा ज‌िसे देवी ने स्वीकार कर ल‌िया.

अब भगवान विष्णु के पास धन कहां से आए तो इस समस्या के समाधान के लिए भगवान विष्णु जी ने कुबेर जी का आवाहन किया, और भगवान शिव और ब्रह्मा को साक्षी मानते हुए, कुबेर जी से धन कर्ज में लिया, इस कर्ज से भगवान व‌िष्‍णु के वेंकटेश रुप और देवी लक्ष्मी के अंश पद्मवती का व‌िवाह संपन्न हुआ, जो कि एक अभूतपूर्व विवाह था.

विवाह हो जाने के पश्चात भगवान विष्णु तिरुमला की पहाड़ियों में रहने लगे, कुबेर से कर्ज लेते समय भगवान ने यह वचन दिया था. कि कल‌ियुग के अंत तक वह अपना सारा कर्ज चुका देंगे. कर्ज समाप्त होने के बाद भी वह जीवन भर सूत चूकाते ही रहेंगे. जब यह बात वहां के श्रद्धालु भक्तों को पता चली तब वह बड़ी मात्रा में धन दौलत भगवान को भेंट करने लगे ताकि भगवान कर्ज मुक्त हो जाए.

तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों का दान क्यों करते हैं? (tirupati balaji mandir me balo ka daan kyu karte hain)

ऐसा माना जाता है कि भगवान के दर्शन करने से पहले श्रद्धालु अपनी प्रार्थनाओं और मान्यताओं के अनुसार यहाँ आकर भगवान् को अपने बाल भेट के रूप में देते है, जिसे “मोक्कू” के नाम से भी जाना जाता है, साथ ही यहां के मंदिर प्रबंधक ने लोगों के बालों को दान करने के लिए अत्यधिक सुविधाओं को उपलब्ध कराया है. रोज़ लाखो टन बाल इकट्टे किये जाते है. हम आपको बता दें कि इस मंदिर में प्रतिदिन बालों को जमा किया जाता है. जमा किए गए बालों को मंदिर की संस्था द्वारा नीलाम करके बेच दिया जाता है.

तिरुपति बालाजी मंदिर की महिमा (tirupati balaji mandir ki mahima)

हम आपको बता दें कि तिरुपति बलाजी मंदिर को भूलोक वैकुंठतम भी कहा जाता है यह माना जाता है कि भगवान विष्णु ने इस कलयुग के दौरान इस मंदिर में खुद प्रगट हुए थे ताकि वह अपने भक्तों को मोक्ष का निर्देश दे सके.

दैनिक आधारों पर ऐसा माना जाता है कि भगवान की  मूर्ति, फूलों, सुन्दर कपड़े और गहने से भव्य रूप से सजायी जाती है. इसके अतिरिक्त हम आपको बता दें कि मंदिर में भगवान को सजाने के लिए उपयोग किए जाने वाला सोना गहनों के विशाल भंडार से लाया जाता है.

हम आपको बता दें कि भगवान श्री वेंकटेश्वर की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थित है जहां वह प्रकट हुए थे. वहीं उनके मंदिर का भी निर्माण कराया गया, भगवान श्री वेंकटेश्वर का दूसरा नाम आनंद नीलायाम भी है. आनंद निलायम में भोग श्रीनिवास की सुंदर मूर्ति भी उपस्थित है. सुबह ‘सुप्रभातसेवा ‘ के दौरान, यह मूर्ति हटाकर भगवान वेंकटेश्वर के चरणों में रख दी जाती है.

तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण कब और किसने कराया था? (tirupati balaji mandir ka nirman kab aur kisne karaya tha)

हम आपको बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण 300 ईसवी में शुरू किया गया था. जिसमें कई सम्राट और भारतीय राजाओं ने समय – समय पर अपने विकास के लिए नियमित योगदान करें थे, उसके पश्चात 18वीं सदी के मध्य में मराठा जनरल राघोजी भोंसले ने तिरुपति बालाजी मंदिर की व्यवस्था को बढ़ाने के लिए एक स्थाई प्रावधान की अवधारणा को आगे बढ़ाया.

और यह संकल्प लिया कि योजना तिरुमला तिरुपति देवस्थानम है, जिसे 1933 में TTD अधिनियम के माध्यम से विकसित किया गया. आज TTD अपने सक्षम प्रबंधन के तहत कई मंदिरों और उनके उप-तीर्थों का प्रबंधन और देखभाल करता हैं.

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास

ऐसा माना जाता है, कि तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास 9 शताब्दी से प्रारंभ होता है, 9 शताब्दी पर ही काँच‍ीपुरम के पल्लव वंश के शासक ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था, परंतु 15 सदी के विजयनगर वंश के शासन के पश्चात भी इस मंदिर की ख्याति सीमित रही. 15 वी शताब्दी के पश्चात इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी. परिणाम स्वरूप सन 1843 से 1933 ई. तक अंग्रेजों के शासन के अंतर्गत इस मंदिर का प्रबंधन हातीरामजी मठ के महंत ने संभाला, जिसमें हैदराबाद के मठ का भी दान शामिल है.

उसके पश्चात सन 1933 में इस मंदिर का प्रबंधन मद्रास सरकार ने अपने में शामिल कर लिया, और एक स्वतंत्र प्रबंधन समिति ‘तिरुमाला-तिरुपति’ के हाथ में इस मंदिर का प्रबंधन सौंप दिया. आंध्र प्रदेश के राज्य बनने के पश्चात इस समिति का पुनर्गठन हुआ, और एक प्रशासनिक अधिकारी को आंध्रप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया.

तिरुपति बालाजी मंदिर सुविधाएं (tirupati balaji mandir me suvidhaye)

तिरुपतिबालाजी मंदिर प्रबंधन ने भक्तों को मंदिर की यात्रा के दौरान भगवान के दर्शन के लिये और पहाड़ियों पर एक सुखद समय का आनंद लेंने के लिये. अत्यधिक सुविधाओं तो उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही हम आपको बता दें, कि तिरुमाला पर्वत माला एक अनोखी प्राकृतिक सुंदरता से पूर्ण संपन्न है.

पहाड़ियों के आसपास हरियाली और झरने का निर्माण कराया गया है, और यही कारण है, कि यहां आने वाले श्रद्धालु के लिए यह दृश्य प्रेरणादायक और आनंद से भरपूर होता हैं. मंदिर में विभिन्न सुविधाएं आवास, बालों का दान के लिये, एक विशाल कतार परिसर का भी निर्माण कराया गया है. जो कि यहाँ भगवान के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों के लिये आरामदायक और परेशानी मुक्त सुविधा हैं, और मुफ्त भोजन की सुविधा वहां चारों पहर होती है.

आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको Balaji Mandir – बालाजी मंदिर की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.

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इसी क्रोध में देवी लक्ष्मी बैकुंठ वापस लौट गई, तब भगवान व‌िष्‍णु ने देवी लक्ष्मी को ढूंढना प्रारंभ किया तो पता चला कि देवी ने पृथ्वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रूप में जन्म लिया है. तब भगवान विष्णु ने अपना रूप बदला और पद्मावती के पास पहुंच गए, भगवान ने पद्मावती के सामने व‌िवाह का प्रस्ताव रखा ज‌िसे देवी ने स्वीकार कर ल‌िया.

अब भगवान विष्णु के पास धन कहां से आए तो इस समस्या के समाधान के लिए भगवान विष्णु जी ने कुबेर जी का आवाहन किया, और भगवान शिव और ब्रह्मा को साक्षी मानते हुए, कुबेर जी से धन कर्ज में लिया, इस कर्ज से भगवान व‌िष्‍णु के वेंकटेश रुप और देवी लक्ष्मी के अंश पद्मवती का व‌िवाह संपन्न हुआ, जो कि एक अभूतपूर्व विवाह था.

विवाह हो जाने के पश्चात भगवान विष्णु तिरुमला की पहाड़ियों में रहने लगे, कुबेर से कर्ज लेते समय भगवान ने यह वचन दिया था. कि कल‌ियुग के अंत तक वह अपना सारा कर्ज चुका देंगे. कर्ज समाप्त होने के बाद भी वह जीवन भर सूत चूकाते ही रहेंगे. जब यह बात वहां के श्रद्धालु भक्तों को पता चली तब वह बड़ी मात्रा में धन दौलत भगवान को भेंट करने लगे ताकि भगवान कर्ज मुक्त हो जाए.

तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों का दान क्यों करते हैं? (tirupati balaji mandir me balo ka daan kyu karte hain)

ऐसा माना जाता है कि भगवान के दर्शन करने से पहले श्रद्धालु अपनी प्रार्थनाओं और मान्यताओं के अनुसार यहाँ आकर भगवान् को अपने बाल भेट के रूप में देते है, जिसे “मोक्कू” के नाम से भी जाना जाता है, साथ ही यहां के मंदिर प्रबंधक ने लोगों के बालों को दान करने के लिए अत्यधिक सुविधाओं को उपलब्ध कराया है. रोज़ लाखो टन बाल इकट्टे किये जाते है. हम आपको बता दें कि इस मंदिर में प्रतिदिन बालों को जमा किया जाता है. जमा किए गए बालों को मंदिर की संस्था द्वारा नीलाम करके बेच दिया जाता है.

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दैनिक आधारों पर ऐसा माना जाता है कि भगवान की  मूर्ति, फूलों, सुन्दर कपड़े और गहने से भव्य रूप से सजायी जाती है. इसके अतिरिक्त हम आपको बता दें कि मंदिर में भगवान को सजाने के लिए उपयोग किए जाने वाला सोना गहनों के विशाल भंडार से लाया जाता है.

हम आपको बता दें कि भगवान श्री वेंकटेश्वर की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थित है जहां वह प्रकट हुए थे. वहीं उनके मंदिर का भी निर्माण कराया गया, भगवान श्री वेंकटेश्वर का दूसरा नाम आनंद नीलायाम भी है. आनंद निलायम में भोग श्रीनिवास की सुंदर मूर्ति भी उपस्थित है. सुबह ‘सुप्रभातसेवा ‘ के दौरान, यह मूर्ति हटाकर भगवान वेंकटेश्वर के चरणों में रख दी जाती है.

तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण कब और किसने कराया था? (tirupati balaji mandir ka nirman kab aur kisne karaya tha)

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उसके पश्चात सन 1933 में इस मंदिर का प्रबंधन मद्रास सरकार ने अपने में शामिल कर लिया, और एक स्वतंत्र प्रबंधन समिति 'तिरुमाला-तिरुपति' के हाथ में इस मंदिर का प्रबंधन सौंप दिया. आंध्र प्रदेश के राज्य बनने के पश्चात इस समिति का पुनर्गठन हुआ, और एक प्रशासनिक अधिकारी को आंध्रप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया.

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आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको Balaji Mandir - बालाजी मंदिर की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.

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