आज हम आपको अंतरिक्ष यान के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें। और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे।
वह यान जो पृथ्वी की सतह से अंतरिक्ष में जाता है. उसे अंतरिक्ष यान कहते हैं. इसके माध्यम से अंतरिक्ष में पाए जाने वाले सभी ग्रहों, गैलेक्सीओं और सभी आकाशगंगाओं के बारे में जानकारी एकत्र की जाती है. इसके माध्यम से यह भी पता लगाया जाता है, कि जिस प्रकार से पृथ्वी में जीव-जंतु, पानी और पेड़-पौधे पाए जाते हैं, यह सब क्या अंतरिक्ष में जो ग्रह है, उनमें भी पाए जा सकते हैं, या नहीं.
अंतरिक्ष में जाने वाला पहला अंतरिक्ष यान का नाम?
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अंतरिक्ष यान का उपयोग किसी एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जाने के लिए किया जाता है. आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे, की भारत के प्रथम अंतरिक्ष यान का नाम “आर्यभट्ट” है. इसे 19 अप्रैल सन 1975 को सोवियत संघ के माध्यम से अंतरिक्ष तक पहुंचाया गया था.
रॉकेट और अंतरिक्ष यान में क्या अंतर है?
इसे एक रॉकेट के साथ जोड़कर अंतरिक्ष में भेजा जाता है, लेकिन प्रायः यह सामान्य विमानों की तरह धरती पर लौट आता है. इसे अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए कई बार प्रयोग किया जा सकता है, तभी ये पुनःप्रयोगनीय होता है. इसे ले जाने वाले रॉकेट अंतरिक्ष यान कहलाते हैं.
अंतरिक्ष यान को कहाँ भेजा गया था?
अंतरिक्ष यान को ‘नेशनल एअरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ यानी नासा ने भेजा था. नासा के कुछ ऐसे वैज्ञानिक थे, जो कि मंगल ग्रह की मिट्टी पर शोध करना चाहते थे. और इस शोध द्वारा यह पता लगाना चाहते थे, कि मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तरह जीव रहते हैं, या नहीं. और उस पर पेड़ उगाए जा सकते हैं, या नहीं. इसी उद्देश्य से नासा द्वारा अंतरिक्ष में यान भेजा गया था.
अंतरिक्ष का निर्माण कैसे हुआ?
आंतरिक एक ऐसा विस्तार है जो पृथ्वी से परे है और आकाशीय पिंडों के बीच मौजूद होता है. इसमें बाहरी स्थान पूरी तरह से खाली नहीं होता और यह एक कठोर निर्वात होता है. जिसमें कणों के घनत्व कम पाए जाते हैं, इसमें मुख्य रूप से पाए जाने वाले कण हाइड्रोजन और हीलियम का एक प्लाज्मा होता है, और साथ में विद्युत, चुंबकीय विकिरण, चुंबकीय क्षेत्र, न्यूट्रिनो और विभागीय किरणों से होता है.
अंतरिक्ष से वापस कैसे आते हैं?
जैसा कि आप सभी के मन में यह प्रश्न जरूर आया होगा. कि अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यान वापस पृथ्वी की सतह पर कैसे आते हैं, तो हम आपको बता दें, कि रॉकेट के अंदर कुछ ऐसे यंत्र लगे होते हैं, जो पृथ्वी से छूटने से लेकर वापिस पृथ्वी पर आने तक उसकी चलन का सफर की गति पर हिसाब करके भेजते हैं. जैसे कि उसकी चलन, रफ्तार, दूरी आदि और जब वह वापस आता है. तो उसके आने की चलन, दूरी, रफ्तार, आदि, यह सब वहां के स्पेस सेंटर में जानकारी देता है. इन्हीं जानकारी के माध्यम से अंतरिक्ष यान को सुरक्षित पृथ्वी में उतारा जाता है.
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