आज हम अपने इस आर्टिकल में मवेशियों में होनेवाले बीमारियों और उसकी रोकथाम के लिए क्या उपचार उसके बारे में बताएंगे.
जैसे मनुष्यों में कई तरह की बीमारियां हो जाती है वैसे ही पशुओं में भी कई तरह के रोग पाए जाते हैं जो अगल अलग कारणों से होते हैं और कई बार ये बीमारियां जानलेवा साबित होती हैं. इसके रोकथाम के लिए कई अस्पताल और स्वास्थ केंद्र भी उपलब्ध हैं. आपकों बता दें मवेशियों में तीन प्रकार की बीमारियां पाई जाती हैं.
1.संक्रामक रोग(viral)
2.सामान्य रोग (common disease)
3.परजीवी जन्य रोग
संक्रामक रोग
लंपी वायरल, पशु प्लेग , गलघोंटू , मुंहपका रोग, जहरवाद , थनैल, पशु टीवी, संक्रामक गर्भपात , प्लीहा जैसे रोग शामिल है.
1.लम्पी वायरस
लम्पी वायरस यह बीमारी भारत में अभी नई आई है जो गायों को अपना शिकार बना रहा हैं यह एक संक्रामक बीमारी है जो एक गाय से दूसरी गायों में फैल रही है, सरकारी आंकड़ों की माने तो भारत में अब तक इस वायरस से 2500 गायों की मौत हो चुकी हैं लेकिन ये तो सरकारी आंकड़े हैं लेकिन हकीकत काफी भयानक है कई राज्य इस वायरस के चपेट में हैं अब तक इस बीमारी का कोई टीका उपलब्ध नहीं है, अब तक देश की हजारों गाएं इसकी चपेट में आ चुकी हैं चलिए जानते हैं इसके लक्षण और उपचार के बारे में
लक्षण
तेज बुखार आना
पुरे शरीर में छाले पड़ जाना
आंख और नाक ने पानी निकलना
मुंह से लार निकालना
दूध में कमी
वजन में कमी आना
लंगड़ापन
उपचार और बचाव
जहां पर मवेशी रहते हैं वहां साफ सफाई रखें
मच्छरों से बचाव .
संक्रमित गाय को अपने दूसरे गायों से दूर रखें.
सरकारी दवाएं भी उपलब्ध हैं .
पानी में फिटकरी डालकर चिड़काव करें.
हल्दी और नमक को गर्म पानी में डालकर छिड़काव करें.
गिलोय और आवले का ज्यूस निकालकर गया को पिलाने से उसकी रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी.
नीम के पत्ते और फिटकरी को पानी में उबालकर पशु को नहलाएं.
अच्छी तरह से उनके शरीर पर पड़े घाव को साफ करें.
विषेश तौर पर सफाई का ध्यान रखें
अब तक इस बीमारी पर आयुर्वेदिक उपचार ही काफी हद तक काम कर रहा है अंग्रेजी दवाएं अभी उतनी नहीं बन पाई हैं.
2.गलघोंटू
देश में गाय और भैंस को प्रभावित करने वाला प्रमुख जीवाणु रोग गलघोंटू है जिससे प्रभावित मवेशियों को कभी कभी मृत्यु भी हो जाती है सामान्य रूप से ये जीवाणु स्वास तंत्र में मौजूद होता है ये रोग अकसर मौसम परिवर्तन के समय होता है जैसे बारिश,सर्दी और पहले से अगर पशु किसी बीमारी से ग्रसित है तो उसे भी ये बीमारी जकड़ लेती है ज्यादातर ये लोग बारिश में नमी के कारण पनपता है ये बीमारी बहुत तेजी से जीवाणु के जरिए swas नली में पहुंचकर पशु को जकड़ लेता है.
लक्षण
तेज बुखार
शरीर में कंपन
गले में दर्द सुजनपन और घाव
सूजन कठोर होकर दोनों पैरों के बीच में आ
जाती है
सांस लेने में दिक्कत
लगातार मुंह से लार गिरना
चार खाने में परेशानी
आंखे लाल होना
उपचार
सल्फाडिमिडिन, ओक्सी , ट्रेटासाईक्लीन और क्लोरम फेनीकोल जैसी एंटी बायोटिक इस रोग के खिलाफ कारगर है इसके अलावा आप घरेलू नुस्खों से भी ग्रसित पशु का इलाज कर सकते हैं.
बचाव
स्वस्थ मवेशियों की ग्रसित गाय या भैस से दूर रखना चाहिए ग्रसित पशु का चारा अलग रखना चाहिए क्योंकि ये संक्रमण एक से दूसरे को फैलाता है. मारे हुए पशु को 5 फिट गड्ढा खोदकर नमक और चुना डालकर दबाएं.
3.मुंहपका / खुरपका रोग
जिस तरह इंसानों के मुंह में छाले हो जाते हैं और वो खा नहीं पाते उसी प्रकार गाय और भैंसो के मुंह में मसूड़े में गले में बड़े बड़े छाले पड़ जाते हैं और वे चारा नहीं चार पाते हैं कई बार ये बीमारी इतनी गंभीर हो जाती हैं कि पशुओं की मृत्यु हो जाती है यह भी एक संक्रामक रोग है.
लक्षण
मुंह में छाले
खाने में दिक्कत
तेज बुखार
लार टपकना
पैर के आसपास खुर में घाव
कई बार ये छाले थनों पर आ जाते हैं जिसे थनैला भी कहा जाता है थन के ऊपर बहुत सारे घाव हो जाते यह बीमारी एक जगह से दूसरे जगह फैलती है.
उपचार और बचाव
सबसे पहले पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए इसके अलावा ग्रसित पशु के मुंह में छालों को जगह पर मरहम लगाएं, शहद, ग्लिसरीन लगाने से राहत मिलती है खुर में जहां भाव हुआ है उसे अच्छे से साफ कर के नीम और तुलसी का लेप लगाएं थनों पर भी फिटकरी के पानी का छिड़काव कर के मरहम अथवा लेप लगाने से पशु को आराम मिलता है.
4.जहरवाद
जैसा की इसका नाम जहारवाद है वैसे ही ये धीरे धीरे पुरे शरीर में फैल जाता है इस बीमारी की विशेषता ये है कि ये ज्यादातर छोटे बछड़ों को अपना शिकार बनाता है .
लक्षण
इसमें पशु का अगला और पिछला पैर में सूजन आ जाती है.
शरीर के दूसरे भागों में भी सूजन होना
सूजन वाली जगह पर दर्द होना
लगातार तेज बुखार
सूजन वाली जगह पर सड़न होना
सड़ कर भाव बन जाना
उपचार
चिकित्सक के परामर्श से दावा दें और सूजन वाली जगह पर गर्म पानी से सिकाई करनी चाहिए अथवा हल्का भोजन देना चाहिए.
5.पशु टीवी
ये भी जीवाणु से फैलने वाला संक्रामक रोग है जिस प्रकार मनुष्यों को टीवी हो जाता है वैसे ही मवेशियों में भी ये रोग पाया जाता है.
लक्षण
पशु में कमजोरी
भूख नहीं लगना
नाक से खून आना
खांसी
उपचार और बचाव
सबसे पहले पशु की जांच करानी चाहिए, उन्हें अन्य पशुओं से दूर रखना होता है साफ सुथरी जगह पर रखें पौष्टिक युक्त चारा दें ध्यान रखें संक्रमित पशु का दूध नहीं पीना चाहिए नहीं तो ये बीमारी इंसानों को भी हो सकती है.
6.संक्रमित गर्भपात
ये रोग ज्यादातर गाय और भैसों में ही पाया जाता है गर्भावस्था के दौरान.
लक्षण
डिलीवरी के समय से पहले योनि का मुख खुल जाना तरल पदार्थ निकलना पशु को घबराहट होना और उसके बाद गर्भपात हो जाना और जैर अंदर रह जाता है.
उपचार एवं बचाव
सबसे पहले पशु चिकित्सक को बुलाना चाहिए उसके बाद योनि को गर्म पानी से साफ करें सभी पशुओं से अलग रखें चिकित्सक के दिए हुए दवाओं को घोलकर पशु को पिलाना चाहिए और साफ सफाई का पूरा ख्याल रखना चाहिए.
7.प्लीहा
यह बहुत भयंकर बीमारी है इसके चपेट में आए मवेशी की तुरंत मृत्यु हो जाती है
लक्षण
इसमें लगातार तेज बुखार आना
शरीर में सूजन हो जाना
पेट फूल जाता है
इस बीमारी से जिस मवेशी में मृत्यु हो जाती है तो उसके नाक , पेशाब के रास्ते खून बहने लगता है
उपचार
प्लीहा कभी खतरनाक बीमारी ऐसे में पशुओं को लेकर सतर्क रहना चाहिए अगर इसके लक्षण नजर आए तो तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए और समय समय पर टिका लगवा कर पशुओं को इस संक्रमण से बचाया जा सकता है.
सामान्य रोग
सामान्य रोग यानि जो ज्यादा खतरनाक नहीं होते प्राथमिक उपचार में ठीक हो जाते हैं लेकिन अगर ध्यान नहीं दिया गया तो ये भी जानलेवा साबित हो सकते हैं चलिए एक नजर डालते हैं सामान्य बीमारियों पर.
1.दुग्ध ज्वर
हमारे देश के अधिकतर किसान गाय भैसों का पालन करते हैं लेकिन आम तौर पर इन पशुओं में दुग्ध ज्वर देखने को मिलता है जिसका समय रहते इलाज नहीं किया गया तो पशु का दूध उत्पादन काफी कम हो जाता हैये बीमारी कैल्शियम की कमी से होती है गाय भैंस में प्रसव के 2 से तीन दिन के अंदर रोग के होने का खतरा अधिक रहता है प्रसव के बाद संतुलित आहार ना मिलने के कारण भी दुग्ध ज्वर होता है .
लक्षण
पशु प्रसव से पहले उत्तेजित हो जाते हैं.
खाना पीना बंद या कम कर देते हैं.
पशुओं के पैर में अकड़न आ जाती है
आंशिक लकवे के कारण पशु गिरने लगते हैं.
पशु गर्दन मोड़ कर बैठे रहने हैं
उठने बैठने में समस्या
तापमान सामान्य से कम
मुंह सुख जाना
ज्यादा समय तक बैठे रहने से अफरा रोग होने का खतरा.
अपचन
रोकथाम और उपचार
पशुओं के आहार में अधिक कैल्शियम और फास्फोरस शामिल करें, पशुओं के आहार में सुखी घास और हरा चारा भी शामिल करें.
प्रसव के बाद संतुलित आहार शामिल करें और लक्षण नजर आते ही पशु चिकित्सक की सलाह लें.
2.अफरा रोग
दुधारू पशुओं में ये रोग सड़ा गला चारा खाने से या अधिक मात्रा में हरा चना खाने से होता है अगर सही समय पर इसका नहीं हुआ तो इससे पशुओं की मृत्यु भी हो जाती हैं.
लक्षण
पेट फूलना
गैस पास ना होने की समस्या
भूख में कमी
पेट में दर्द
अपचन
सांस लेने में दिक्कत
उपाय अपचार
लक्षण नजर आने पशु को एक जगह बांध कर नही रखना चाहिए चलने देना चाहिए.
अधिक मात्र में जाए चारा ना दें ना बहुत का मात्रा में स्वस्थ और ताजा चारा दें पशु को हरा दाना और चारा दें लगातार उन्हें चारा ना खिलाएं.
3.निमोनिया
बरसात के मौसम में पानी में लगातार भीगने या ठंड में खुले स्थान पर सोने से निमोनिया का खतरा रहता है.
लक्षण
तेज बुखार
नाक बहना
लार निकालना
कमजोरी
पैदावार कम
उपचार/ उपाय
इस रोग से ग्रसित मवेशियों को साफ और गर्म स्थानों पर रखना चाहिए गर्म तेल से मालिश और गर्म पानी में से उन्हें भाप दें पशु चिकित्सक को अवश्य दिखाएं.
4.दस्त
ठंड लग जाने से या फिर चार में कुछ उल्टा सीधा खा लेने से गाय और भैसों में दस्त की समस्या हो जाती है.
लक्षण
पेट में मरोड़
पानी जैसा दस्त होना
दस्त के साथ खून निकलना
उपचार और बचाव
सबसे पहले पशु चिकित्सक से संपर्क करें जल्दी पचने वाला और हल्का चारा देना चाहिए जैसे माड़ गर्म दूध आदि
पशुओं को आरामदायक माहौल देना चाहिए
5.जेर का अंदर रह जाना
प्रसव के दौरान सब गाय या भैंस को बछड़ा होता है तो ध्यान देना चाहिए की एक दो घंटे के भीतर जेर बाहर निकल क्या नहीं तो पशुओं को आगे चलकर काफी परेशानी होती है अगर जेर अंदर रह गया तो पशु में बांझपन योनि में सूजन खून का निकलना आदि परेशानी हो सकती है.
लक्षण
पशुओं में बेचैनी
योनि के बाहर झिल्ली का निकल आना
योनि से बदबूदार पानी का निकलना
गाय या भैस का दूध फट जाना
बचाव और उपचार
सबसे पहले पशु चिकित्सक से परामर्श करें
उसके पीछले हिस्से को गर्म पानी से साफ करें
खुद से जेर को बाहर निकलने की कोशिश ना करें.
6.योनि का प्रदाह
ये रोग भी गाय और भैसों में ज्यादा पाया जाता है प्रसव के दौरान कई पशुओं को काफी दिक्कत हो जाती है प्रसव के दौरान जेर का कुछ हिस्सा अंदर रह जाता है जिससे इन्फेक्शन हो जाता है.
लक्षण
तापमान हल्का सा बढ़ जाना
बेचैनी
योनि से पिब निकलना
दूध का फट जाना
उपचार
गुनगुने पानी में फिटकरी डाल कर नहलाएं
योनि को अच्छे से साफ करें उसपर चिकित्सक की सलाह से पावडर का छिड़काव करें
परजीवी जन्य रोग
1.सफेद दस्त
सफेद दस्त ये रोग बछड़ों में पाया जाता है जिसमें बछड़ों को लगातार दस्त होता है गंदगी के कारण जीवाणुओं के द्वारा बछड़ों को होता है.
लक्षण
लगातार दस्त होना
बछड़ा कमजोर हो जाता है
खाने में रुचि का ना होना
बुखार होना
बचाव और उपचार
पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए
खान पान पर ध्यान
साफ सुथरे जगह पर बछड़े को रखें
2.रतौंधी
ये रोग भी बछड़ों में पाया जाता है शाम होते ही बछड़े को कुछ दिखाई नहीं देता है और उसे अपने आस पास की चीजें देखने में परेशानी होती है.
लक्षण
शाम के समय देखने में परेशानी
आसपास खड़े पशुओं से टकरा जाना
चारा खाने में भी कठिनाई
उपचार
चिकित्सक को दिखाकर इलाज कराएं
कुछ दिनों तक कोड लीवर ऑयल दूध में मिलाकर पिलाना चाहिए.
3.नाभी रोग
ये बीमारी छोटे बछड़ों को अपना शिकार बनती है यह एक नाभी से संबंधित रोग है.
लक्षण
नाभी के आसपास दर्द
हल्का बुखार
नाभी के पास सूजन होना
उस जगह से खून निकलना
उपचार
उस स्थान को गर्म पानी से साफ करें
घाव को अच्छे से साफ कर एंटीबायोटिक पाउडर लगाना चाहिए
पशु चिकित्सक की सलाह लें.
4.कब्ज
बछड़ों का मल जब बाहर नहीं निकल पाता है तो कब्ज हो जाती है.
लक्षण
पेट में दर्द
मल बाहर न निकलना
उपचार
साबुन के घोल में एनिमा घोल कर देना
चिकित्सक से परामर्श करें
मवेशियों को होने वाली रोग के बारे में हमारी जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट कर के जरूर बताएं.