इस साल दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस बार एक विशेष तरह का संयोग है, जब नरक चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली एक साथ मनाई जाएगी. रोशनी का त्योहार दिवाली भारत में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह पावन त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है. दिवाली को त्योहारों की माला भी कहा जाता है, क्योंकि यह त्यौहार केवल छोटी दीपावली और दीपावली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भैया दूज तक चलता रहता है.
दिवाली पर्व पर पूजा विधि
उत्तर पूर्व या उत्तर दिशा में सफाई करके सबसे पहले स्वस्तिक बनाएं. अब यहां एक कटोरी चावल रख दें. लकड़ी की थाली में लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. इस बात का ध्यान रहे कि माता लक्ष्मी के चित्र में गणेश जी और कुबेर जी का चित्र होना चाहिए. उसके बाद सभी मूर्तियों या चित्रों पर जल छिड़क कर उन्हें शुद्ध करे. अब कुश आसन पर बैठकर वस्त्र, आभूषण, गंध, फूल, धूप, दीपक, अक्षत और अंत में दक्षिणा देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी को अर्पित करें. फिर देवी लक्ष्मी सहित सभी देवताओं के सिर पर हल्दी, रोली और चावल लगाएं.
पूजा के बाद भोग या प्रसाद चढ़ाएं.
अंत में खड़े होकर देवताओं की आरती करें. आरती करने के बाद उस पर जल छिड़कें. पूजा के बाद घर के आंगन और मुख्य द्वार में दीये जलाएं. यम के नाम का दीपक भी जलाना चाहिए. पूजा और आरती के बाद ही किसी से मिलने जाएं.
यदि घर में कोई विशेष पूजा हो रही हो तो स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका की भी पूजा की जाती है.
इन मंत्रों का जाप करें
मंत्र मे लक्ष्मी- ॐ श्री ह्रीं श्री कमललोचन कमलधारी कृपा करो महालक्ष्मी
भाग्यशाली मंत्र – श्री लकीम महा लक्ष्मी महा लक्ष्मी अहेहि, मुझे सब विस्मृति दे.
कुबेर मंत्र-ॐ यक्षाय कुबेर वैश्रवणाय धनधान्याधिपतिये धन समृद्धि प्रदान करें.
तिथि और मूहर्त
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को सायं 06.53 बजे से रात्रि 08.16 बजे तक है.
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दिवाली पर्व का महत्व
दीपावली का त्योहार देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे बड़ा और खास मौका होता है. दिवाली का सभी को इंतजार रहता है. ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात माता लक्ष्मी सभी पर सबसे अधिक कृपा करती हैं. दिवाली के दिन शाम और रात में पूजा का विधान है. पुराणों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को देवी लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और प्रत्येक घर में विचरण करती हैं. जिन घरों में देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और उनका जप स्वच्छता, प्रकाश और कर्मकांड से किया जाता है, वहां मां लक्ष्मी का वास होना शुरू हो जाता है. इससे व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख, समृद्धि, और धन की कृपा बरसती है.
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दिवाली पर्व को लेकर पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम रावण का वध कर और चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे तो नगरवासियों ने पूरे अयोध्या नगर को दीपों से जला दिया. उस दिन भी अँधेरी रात थी, इसलिए भगवान राम के आगमन पर शहर जगमगा उठा. तभी से भारत में दिवाली के त्योहार की प्रथा शुरू हो गई.
वहीं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन समुद्र मंथन से धन की देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था.
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