हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है ये व्रत माह में दो बार आता है एक कृष्ण पक्ष में दूसरा शुल्क पक्ष में साल में प्रदोष व्रत कुल 24 बार पड़ता है, ये व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है इस दिन शिव पुराण और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है ऐसा माना जाता है इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है. आज हम अपने इस आर्टिकल में बताएंगे साल 2022 में कब कब प्रदोष व्रत पड़ने वाला है और व्रत कैसे करें उसकी पूरी जानकारी.
साल 2022 में प्रदोष व्रत की लिस्ट
दिन व तारीख प्रदोष व्रत
15 जनवरी शनिवार पौष शुक्ल प्रदोष व्रत
30 जनवरी रविवार माघ कृष्ण प्रदोष व्रत
14 फरवरी सोमवार माघ शुक्ल प्रदोष व्रत
28 फरवरी सोमवार फाल्गुन कृष्ण प्रदोष व्रत
15 मार्च मंगलवार फाल्गुन शुक्ल प्रदोष व्रत
29 मार्च मंगलवार चैत्र कृष्ण प्रदोष व्रत
14 अप्रैल गुरुवार चैत्र शुक्ल प्रदोष व्रत
28 अप्रैल गुरुवार वैशाख कृष्ण प्रदोष व्रत
13 मई शुक्रवार वैशाख शुक्ल प्रदोष व्रत
27 मई शुक्रवार ज्येष्ठ कृष्ण प्रदोष व्रत
12 जून रविवार ज्येष्ठ शुक्ल प्रदोष व्रत
26 जून रविवार आषाढ़ कृष्ण प्रदोष व्रत
11 जुलाई सोमवार आषाढ़ शुक्ल प्रदोष व्रत
25 जुलाई सोमवार श्रावण कृष्ण प्रदोष व्रत
09 अगस्त मंगलवार श्रावण शुक्ल प्रदोष व्रत
24 अगस्त बुधवार भाद्रपद कृष्ण प्रदोष व्रत
8 सितंबर गुरुवार भाद्रपद शुक्ल प्रदोष व्रत
23 सितंबर शुक्रवार आश्विन कृष्ण प्रदोष व्रत
07 अक्टूबर शुक्रवार आश्विन शुक्ल प्रदोष व्रत
22 अक्टूबर शनिवार कार्तिक कृष्ण प्रदोष व्रत
05 नवंबर शनिवार कार्तिक शुक्ल प्रदोष व्रत
21 नवंबर सोमवार मार्गशीर्ष कृष्ण प्रदोष व्रत
05 दिसंबर सोमवार मार्गशीर्ष शुक्ल प्रदोष व्रत
21 दिसंबर बुधवार पौष कृष्ण प्रदोष व्रत
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प्रदोष व्रत क्या है?
भगवान भोलेनाथ की पूजा जिन दिन या जिस समय किया जाए वो प्रसन्न हो जाते हैं , लेकिन भगवान शिव को अपने सभी व्रतों में से प्रदोष व्रत सबसे प्रिय है. हर मास के त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत कहा जाता है इस व्रत में प्रदोष काल में यानि सूर्यास्त से डेढ़ घंटे से पहले और एक घंटे बाद का जो समय है उसे प्रदोष काल कहते हैं इसी समय भगवान शिव के पूजा का विधान है. अगर व्यक्ति के जीवन में संकट है दुख ही शादी में रुकावट आ रही है या फिर संतान नहीं है और सारे जप तप करने के बाद भी कुछ नहीं हो रहा उन्हें प्रदोष व्रत करना चाहिए इससे मनुष्य के सारे कष्ट पाप और मुश्किलें खत्म हो जाती हैं. बता दें जो प्रदोष व्रत होता है वो हफ्ते के सातों दिनों का अलग अलग महत्व होता हैं हफ्ते में रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत से आयु में वृद्धि होती है सोमवार को को पड़ने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष कहा जाता है इस करने से सारे कष्ट दूर होते हैं मंगलवार को जो प्रदोष पड़ता है उसे भौम प्रदोष कहा जाता है इन दिन प्रदोष व्रत करने से रोगों से मुक्ति और कर्ज से मुक्ति मिलती है और बुधवार को पड़ने प्रदोष को बुध प्रदोष कहते हैं इसे करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है, गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष को गुरु प्रदोष कहा जाता है इस दिन व्रत करने से शत्रुओं की हार होती है. शुक्रवार को प्रदोष पड़ता है उससे सौभाग्य की प्राप्ती होती है दांपत्य जीवन सुखी होता है शनि प्रदोष करने से संतान की प्राप्ति होती है पुत्र की प्राप्ति होती है. इन सभी प्रदोषों में से सोम प्रदोष मंगल प्रदोष और शनि प्रदोष सबसे प्रभावशाली माना गया है.
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प्रदोष व्रत कथा
कहा जाता है एक नगर में एक गरीब ब्राह्मणी अपने छोटे बच्चे साथ अकेली रहती थी पति नहीं था उसका रोज शाम को ब्राह्मणी बच्चे के साथ घूम घूम कर भिक्षा मांग कर लाती थी और बच्चे को खिलाकर जो बचता वो खुद भी खाती थी एक दिन ब्राह्मणी भ्रमण करते करते प्रदोष काल के समय पर शिव मंदिर में प्रवेश कर गई और उसने देखा एक महिला भगवान की भक्ति में डूबी हुई है ब्राह्मणी का बच्चा भूखा था उसने उस महिला से खाने के लिए कुछ मांगा पूजा कर रही महिला ने अपने पास रखे प्रसाद में से उसे निकाल कर दे दिया जैसे ही ब्राह्मणी ने उस प्रसाद को खाया उसने कहा इसमें तो कोई स्वाद नहीं है भगवान शिव की आराधना कर रही महिला ने कहा आज जो तुम दर दर भटक कर भिक्षा मांग रही हो वो तुम्हारे पति के चले जाने की वजह से नहीं ये तुम्हारे कर्मों के परिणाम हैं क्योंकि भगवान के प्रसाद में कभी स्वाद नहीं देखना चाहिए भगवान का प्रसाद अपने आप में स्वाद है उसमें कमी नहीं निकालनी चाहिए. उस दिन से ब्राह्मणी ने ठान लिया जिस तरह से महिला भगवान शिव की आराधना कर रही है जैसा प्रदोष व्रत में खा रही है मैं भी वैसा ही करूंगी और कभी भी प्रसाद में स्वाद नहीं देखूंगी. इस कथा से यही सीखने को मिलता है की इस व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए और ना ही भगवान के प्रसाद में कमी निकालनी चाहिए.
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पूजा विधि
व्रत करने से एक दिन पहले सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए सुबह जल्दी उठकर कर स्नान आदि कर के साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें ध्यान रखे व्रत आपके काले रंग का नहीं होना चाहिए अच्छे रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए पुरुष अगर हैं तो स्वेत रंग के कपड़े पहना चाहिए अगर महिलाएं है तो सौभाग्य का कलर लाल पीला या कोई अच्छे रंग के कपड़े पहनें. सबसे पहले सूर्य को जल अर्पित करें उसके बाद जो घर की प्रतिदिन वाली पूजा हैं वो करें अगर आसपास कोई मंदिर है तो जाकर भोले बाबा का जल से दूध से अभिषेक करें बेल पत्र, भांग धतूरा, मदार का फूल, अक्षत, और फूल भगवान शिव को अर्पित करें भगवान शिव को सफेद मिटाई चढ़ानी चाहिए और उसके बाद धूप दीप जलाएं और फिर हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर संकल्प करें आप कितने व्रत रखने वाले हैं और मनोकामना बोले साथ की भगवान भोले नाथ से बोले आपके व्रत को सफलतापूर्वक पूरा होने में आपकी मदद करें और जाने अंजाने में व्रत में कोई गलती हुई तो माफ करें और इस प्रकार आप प्रदोष व्रत की शुरूआत कर सकते हैं अगर मंदिर नहीं जा सकते तो घर में ही शिव लिंग और भगवान शिव के पूरे परिवार वाली तस्वीर रख कर पूजा कर सकते हैं.
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प्रदोष व्रत में खाएं क्या
आपकों बता दे प्रदोष व्रत में कहा जाता है कि निर्जल व्रत रखना चाहिए लेकिन जो लोग निर्जल नहीं रख सकते हैं वे लोग फलाहार रख सकते हैं कोई भी फल का सकते हैं ज्यूज पी सकते हैं उसके बाद शाम के समय भगवान शिव की पूजा करने के बाद सभी प्रसाद देकर खुद भी प्रसाद ग्रहण करें ध्यान रखें इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए मीठा फलाहार ही ग्रहण करें. इस व्रत में भगवान शिव के किसी एक मंत्र का पूरा दिन जाप करें इस प्रकार आप पूरे विधि विधान से प्रदोष का व्रत कर के अपने कष्टों और दुखों से मुक्ति पा सकते हैं.
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