मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप है. नवरात्रि के पावन दिनों में इन रूपों की अलग- अलग दिनों में पूजा की जाती है. नवरात्रि के पांचवें दिन में मां के पांचवें स्वरूप यानी स्कंदमाता की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में मां दुर्गा की पूजा भक्तों के लिए खास होती है. देवी माता अपने भक्तों पर सदैव अपने पुत्र की तरह ममता की वर्षा करती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मां की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का विनाश हो जाता है, और आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का जन्म होता है. कहते है सिर्फ मां को याद करने मात्र से ही असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, इसलिए माता को पद्मासन देवी भी कहा जाता है. वहीं, मां स्कंदमाता को पार्वती और उमा के नाम से भी जाना जाता है. ये भी कहा जाता है, माता की आराधना मात्र से संतान की प्राप्ति होती है. वहीं, माता का वाहन सिंह है.
ये करने से माता की कृपा बरसती है
ऐसा माना जाता है कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से व्यक्ति को अत्यंत शांति और खुशी का अनुभव होता है. मां स्कंदमाता को सफेद रंग प्रिय है. देवी माता की पूजा में सफेद रंग के वस्त्रों को उपयोग में लाना चाहिए. माता की पूजा करते समय पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. केले का भोग मां को बहुत प्रिय होता है. देवी माता को खीर का प्रसाद चढ़ाना चाहिए. ये बहुत शुभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि ये सब करने देवी माता खुश होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है. वहीं, दूसरी तरफ माता को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है और कहा जाता है देवी माता की पूजा करने से व्यक्ति को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है.
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पूजा की विधि
ऐसी मान्यता है कि सुबह- सुबह सूर्यास्त के समय जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. उसके बाद देवी मां की मूर्ति को गंगाजल से स्नान करवाना चाहिए. फिर स्नान के बाद पुष्प अर्पित करने चाहिए. साथ ही मां को रोली का कुमकुम लगाना चाहिए. उसके बाद मां को मिठाई और पांच प्रकार के फल का भोग लगाना चाहिए. अंत में मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें. ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप जरूर करें “या देवी सर्वभूतु मां स्कंदमाता रूपेना संस्था”.
स्कंदमाता की कथा
स्कंदमाता ने पहाड़ों पर रहने वाले सांसारिक प्राणियों में नई चेतना पैदा की. नवरात्रि के पांचवें दिन इस देवी की पूजा आस्था के साथ की जाती है. कहा जाता है कि उनकी कृपा से मूर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है. ये बात शायद बहुत कम लोगों को पता होगी कि स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने की वजह से के उनका नाम स्कंदमाता पड़ गया..
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ये है स्कंदमाता की छवि
स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान है.
भगवान स्कंद एक बच्चे के रूप में उनकी गोद में विराजमान हैं. इस देवी की चार भुजाएं हैं. उन्होंने स्कंद को अपनी गोद में दायीं ओर ऊपरी भुजा के साथ धारण किया हुआ है. निचली भुजा में कमल का फूल है. बाईं ओर, ऊपरी भुजा में और निचली भुजा में कमल का फूल है, उनका चरित्र शुद्ध है. वह कमल आसन पर विराजमान है. इसलिए इसे पद्मासन भी कहा जाता है, सिंह उनका वाहन है.
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