पैरोल क्या होता है?
किसी भी अपराधी व्यक्ति जो की जेल में बंद हो उसकी सजा की अवधि पूरी होने के पहले उसे अस्थाई रूप से रिहा करने को पैरोल कहां जाता है, पैरोल में कैदी को कुछ शर्तों के अधीन रिहाई दी जाती है. और यह रिहाई एक निश्चित अवधि के लिए होती है, इस रिहाई के अवधि में कैदी के आचरण को देखा जाता है, और उसके बाद यह तय किया जाता है कि कैदी को पैरोल पर भेजना है, या नहीं भेजना है. साथ ही समय-समय पर कैदी की सभी प्रक्रिया देखी जाती है, कि कैदी भागने का प्रयास किया है, या नहीं किया है, अगर वह नहीं भागा तो इसे एक सुधारात्मक प्रक्रिया माना जाता है. और अगर आसान शब्दों में इसे कहे तो यह एक तरह से कैदी के लिए सुधार का मौका होता है.
फरलो क्या होता है?
फरलो का तात्पर्य किसी कार्यालय में अनुपस्थित की छुट्टी देना होता है, और कानूनी शब्दों में यह जेल में एक दोषी को एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए अनुपस्थिति की छुट्टी देने को संदर्भित होता है. भारत के प्रत्येक राज्य के जेल नियमों में फरलो देने के नियम और प्रक्रिया निर्धारित की गई होती है. परंतु फरलो की व्यापक अवधारणा सभी राज्यों में समान रहती है, और फरलो करने की प्रक्रिया अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न होती है.
पैरोल और फरलो के बीच क्या अंतर होता है?
फरलो और पैरोल के बीच कई मुख्य अंतर होते हैं, जिनके बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है जो इस प्रकार है:-
फरलो और पैरोल के बीच मुख्य अंतर होता है, कि पैरोल शर्तो पर जेल की सजा का निलंबन कर दिया जाता है, परंतु फरलो जेल से एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए छुट्टी दी जाती है.
फरलो एक कैदी का अधिकार होता है, जो उसे समय पर दिया जाता है. परंतु पैरोल कैदी का अधिकार नहीं होता है, और यह विशिष्ट आधार पर कैदी को दिया जाता है.
अल्पावधि कारावास से संबंधित केस में पैरोल दी जाती है, परंतु फरलो अधिक समय के कारावास के मामलों में दी जाती है.
फरलो उप महानिरीक्षक कारागार द्वारा दिया जाता है, परंतु पैरोल की ग्रांटिंग डिवीजनल कमिश्नर द्वारा की जाती है.
फरलो बिना किसी कारण के दी जा सकती है, जबकि पैरोल देना कारणों पर आधारित होता है.
फरलो की अवधि अधिक से अधिक 14 दिनों तक होती है, जबकि पैरोल की अवधि अधिकतम एक महीने तक की होती है.
किसी कैदी को पैरोल कई बार दी जा सकती है, परंतु फरलो की एक निश्चित सीमा होती है. और साथ ही समाज के हित में फरलो से इनकार भी किया जा सकता है.
किसी भी कैदी को पैरोल देने का एक आवश्यक कारण होता है, परंतु फरलो के मामले में यह आवश्यक नहीं होता कि कोई कारण हो, क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य कारावास की एकरसता को तोड़ना और बाहरी दुनिया से संपर्क बनाए रखना होता है.