आज हम आपको लोन कितने प्रकार के होते हैं| Types of Loans in Hindi के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें। और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
जैसा कि आप लोग जानते ही होंगे कि लोगों को अपनी तरह तरह की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लोन अथवा कर्ज की आवश्यकता पड़ती है. जो वह किसी बैंक का फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट से लेते हैं. और फिर लोन के द्वारा मिल गया लिया गया रकम को ब्याज सहित उस बैंक को फाइनेंस इंस्टीट्यूट को वापस कर देते हैं तो आज हम अपने टाइप्स ऑफ बैंक लोन इन इंडिया के इस पोस्ट के माध्यम से आप लोगों को यह बताने की कोशिश करते हैं कि लोन कितने प्रकार के होते हैं.
लोन के प्रकार
गोल्ड लोन – इस लोन को प्राप्त करने के लिए हम अपने गोल्ड को किसी बैंक के लॉकर में जमा कर सकते हैं और उस बैंक से लोन ले सकते हैं। इस तरह के लोन में राशि आपके द्वारा जमा किया गया गोल्ड की क्वालिटी और उसकी वेल्यु के हिसाब से दिया जाता है। वैसे आमतौर पर देखा गया है कि बैंक आपकी गोल्ड की कीमत का 80%रकम आपको लोन के रूप में दे देता है। गोल्ड लोन आमतौर पर लोग इमरजेंसी की स्थित में लेते हैं। इस लोन पर लगने वाला ब्याज पर्सनल लोन के मुकाबले कम होता है. अभी के समय मे गोल्ड लोन का ब्याज़ दर SBI मे 11.15% और HDFC मे 10% सालाना है.
पर्सनल लोन – पर्सनल लोन या फिर गैर जमानती लोन का मतलब होता है. खुद के लिए लिया गया लोन। वैसे तो सभी लोन अपने लिए ही लिया जाता है लेकिन पर्सनल लोन का मतलब होता है पर्सनल लोन वह लोन होता है जो आप अपने स्वयं के कार्य को या किसी आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए बैंक से लिया गए कर्जे को पर्सनल लोन कहा जाता है. दरअसल उनके लिए हर बैंक का अपना अपना ब्याज़ दर तय होता है. आज के समय में स्टेट bank of इंडिया(SBI) पर्सनल लोन के लिए 12.50% से 16.60% तक का सालाना ब्याज वसूल रहा है तो HDFC BANK 10.99% से 20.75% तक का सालाना ब्याज वसूल रहा है. वैसे पर्सनल लोन का ब्याज़ दर और सभी लोन से ज्यादा होता है. पर्सनल लोन के लिए बैंक आपसे ज्यादा डोकोमेंट नहीं मागती है बस आपकी सैलरी स्लिप देखकर आपको लोन दे देता हैं. पर्सनल लोन आपको पांच साल तक के लिए मिल सकता है.
प्रॉपर्टी लोन – इस लोन को प्राप्त करने के लिए हमें अपने घर या जमीन के कागजों को किसी बैंक में गिरवी रखना पड़ता है. इस लोन को चुकाने का समय 10 से 15 साल होता है. उससे अधिक होने पर ब्याज की दर को बढ़ा दिया जाता है. आमतौर पर प्रॉपर्टी की कीमत का 40% से 50% प्रतिशत तक लोन मिल जाता है.
होम लोन – घर खरीदने या बनवाने के लिए बैंक से लिया गया कर्जा होम लोन कहलाता है होम लोन की ब्याज दर अन्य लोन से कम होता है। बैंक घर बनाने के कुल खर्च का 75%से 85% तक के लोन देता है. बाकी पैसो का जुगाड़ घर बनाने के लिए आपको खुद ही करना होता है. मान लीजिए आपने एक प्लॉट के लिए लोन लिया जिसकी कीमत 10 लाख रुपए है. इसके लिए आपको बैंक में इसका 30 परसेंट यानी तीन लाख ही जमा कराना होगा. बाकी पैसा बैंक आपको देगा. होम लोन चुकाने का समय 5 साल से लेकर 20 साल तक का होता है. होम लोन की शर्तों में ब्याज के अलावा और भी कई तरह के फीस शामिल होते हैं, जैसे- प्रोसेसिंग फीस अडमेन्सट्रटिव चार्ज, लीगल फीस असेसमेंट फीस इत्यादि.
कॉरपोरेट लोन – बैंक जब बड़े लोगों जैसे रतन टाटा, विजय माल्या, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा बिरला जैसे बड़े लोगों को जब लोन देता है तो वह कॉरपोरेट लोन कहलाते हैं. अभी के नियमों के अनुसार बैंक अपनी कोर कैपिटल(कोर Capital) का 55% तक लोन किसी एक बड़ी कंपनी को लोन के रूप में दे सकती है. लेकिन हाल ही में हुए डिफॉल्ट केस में बढ़ोतरी को देखते RBI ने कहा है कि 1 जनवरी 2019 तक ऐसा नियम लागू हो जाएगा जब बैंक अपने कैपिटल का 25% ही किसी एक कॉरपोरेट को लोन के रूप मे दे सकेगे. जिससे जोखिम से बचा जा सके.
एजुकेशन लोन
हर किसी छात्र के लिए असंभव नहीं है कि वह अपने मनपसंद इंस्टीट्यूट में पढ़ाई कर पाए। कोई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहता है तो वहां की फीस ही इतनी है कि वह वहां जाकर पढ़ाई करने के बारे में सोचना काफी मुश्किल काम है। ऐसी स्थिति में वह बैंक से एजुकेशन लोन ले सकता है। एजुकेशन लोन देने से पहले बैंक उसकी री पेमेंट निर्धारित करता है। बैंक लोन उसी स्टूडेंट को देती है जिसे वापस करने की क्षमता रखते हैं। स्टूडेंट की छमता को जानने के लिए बैंक दो तरह से काम करता है। या तो स्टूडेंट के गार्जियन की इनकम को देखा जाता है या लोन लेने वाले स्टूडेंट किस यूनिवर्सिटी में जा रहे हैं, उसका परफॉर्मेंस कैसा है? यह भी देखा जाता है। पढ़ाई पूरी होने के बाद स्टूडेंट लोन का पेमेंट कर सकता है। एजुकेशन लोन लेने के लिए एक गारंटर की जरुरत होती है। यह स्टूडेंट का कोई रिश्तेदार भी हो सकता है। आज की डेट में state bank of india एजुकेशन लोन 7.50 लाख से ऊपर के लिए 10.70% और 7.50 लाख तक के लिये 9.95% सालाना का ब्याज़ दर चार्ज करती है.
वाहन अथवा कार लोन
जब आप कोई वाहन खरीदने के लिए बैंक से रकम लेते हैं तो उसे वाहन अथवा कार लोन कहते हैं। कार लोन हर लोन की तरह ही फिक्स या फ्लोटिंग रेट पर दिया जाता है। फिक्स रेट का मतलब होता है जिस समय आप लोन ले रहे हैं उस समय जो ब्याज दर है उस दर से आपको पूरी लोन का भुगतान करना होता है। और फ्लोरिंग रेट का मतलब होता है की लोन लेने के बाद अगर ब्याज घटता या बढ़ता है तो आप को उस हिसाब से भुगतान करना होगा। कार लोन में जब तक आप पूरी लोन की रकम बैंक को वापस नहीं करते हैं तब तक कार का मालिकाना हक बैंक के पास होता है.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको लोन कितने प्रकार के होते हैं| Types of Loans in Hindi की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा। अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.
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