सूर्य का जन्म आज से लगभग 4.5 मिलीयन वर्ष पहले हुआ था. सूर्य एक गैसीय तारा है जो मुख्यतः 2 गैसों से मिलकर बना है, जिसमें 74% हाइड्रोजन, 24% हिलियम और 2% अन्य गैसे हैं. सूर्य पर कोई सतह नहीं है. और यही कारण है, कि यह इतनी उर्जा उत्पन्न करता है. सूरज पृथ्वी का एकमात्र स्रोत है, अगर सूर्य ना हो तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो सकता.
सूरज का जन्म कैसे हुआ?
सूर्य के जन्म के बारे में अलग-अलग वैज्ञानिकों ने अपनी अलग-अलग थ्योरी दी है, लेकिन सूर्य का जन्म कैसे हुआ इसकी सबसे पुरानी और ऐसेप्टेबल थ्योरी सन 1755 ईस्वी में जर्मन दास ने कैंट में दी जिसमें उन्होंने सूर्य के निर्माण के बारे में बताया कि सूर्य का जन्म कैसे हुआ है, इस थ्योरी के मुताबिक हमारे सौरमंडल और सूर्य का निर्माण नेबुला मेटेरियल से हुआ है. नेबूला ब्रह्मांड में धूल और गैसों का एक बादल होता है, जिसमें हाइड्रोजन गैस सर्वाधिक मात्रा में होती है.
इस थ्योरी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सूर्य जहां स्थित है, उस जगह पर अत्यधिक सुपरनोवा होंगे, जिनके मेग्नाटिक्स वेव्स के कारण से बादलों में अट्रैक्शन और ग्रेविटीशनल फाॅर्स पैदा हुआ होगा, और वह बादल घूमने लगे होंगे और एक बड़े बादल का एक बड़ा हिस्सा केंद्र में इकट्ठा हो गया, और जो बाकी बचा हुआ बादल का हिस्सा था, वह कई लाख किलोमीटर तक एक ऑर्बिट में चक्कर लगाने लगा.
केंद्र में प्लाज्मा बनना शुरू हो गया, जिसके बाद न्यूक्लियर फ्योजन का रिएक्शन होना प्रारंभ हो गया, जिसके कारण एक जगह अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होने लगी, और यह प्रक्रिया कई लाखों वर्षों तक ऐसे ही चलती रही. और ऑर्बिट के आस पास घूम रहे बदल आपस में जुड़कर धीरे-धीरे एक परत में बदलने लगे. इस तरह जिस जगह अत्यधिक उर्जा उत्पन्न हुई उसी जगह को सूर्य का नाम दिया गया.
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सूर्य का अंत कब होगा?
थ्योरी के अनुसार ऐसा मानना है, कि सूर्य अपनी आधी से अधिक आयु गुजार चुका है, परंतु अभी तक इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन देखने को नहीं मिला, कुछ वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च के अनुसार सूर्य की आयु को लगभग 10 मिलियन वर्ष और बताया है, क्योंकि सूर्य के अंदर उपस्थित आधा हाइड्रोजन जल चुका है. और बचा हुआ हाइड्रोजन मात्र 5 अरब सालों तक ही चल सकता है.
सूरज का मार्ग क्या कहलाता है?
सूरज के मार्ग को तापपथ या सूर्यपथ के नाम से जाना जाता है, सूरज अपनी खुद की परिक्रमा 27 दिनों में पूरी करता है.
सूरज का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचने में कितना समय लगता है?
सूरज के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में लगभग 8 मिनट 17 सेकंड का समय लगता है, क्योंकि सूरज के प्रकाश की किरणों की गति 300000 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है. सूरज की किरण एक वर्ष में जितनी दुरी तय करती है, उस दूरी को हम प्रकाशवर्ष कहते है.
एक प्रकाश वर्ष = 94 खरब 60 अरब 52 करोड़ 84 लाख 5 हजार किलोमीटर
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सूरज का तापमान कितना है?
सूरज के केंद्र को कौर के नाम से भी जाना जाता है, सूरज के केंद्र का तापमान लगभग 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस होता है, सूर्य की सतह को फोटोस्फीयर (Photosphere) के नाम से जाना जाता है, इसका तापमान सिर्फ 5,700 डिग्री सेल्सियस है.