आज हम आपको Essay on Drought in Hindi – सूखा पर निबंध सूखे के कारण, सूखे का प्रभाव, सूखा रोकने के उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
प्रस्तावना
जब किसी स्थान पर लंबे समय तक बारिश ना हो, और वहां की जमीन सूख जाए, और लोग पानी से वंचित हो जाए, ऐसी स्थिति को सूखा कहते हैं, सूखा पड़ने जैसी समस्याएं सबसे अधिक गर्मियों में देखी जाती हैं, क्योंकि गर्मियों में कई स्थानों में तापमान अधिक होने के कारण वहां बारिश नहीं होती है, जिसके कारण उस स्थान पर सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है, हम आपको बता दें कि सूखा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लोगों को पीने के लिए पानी तक नसीब नहीं होता, कई क्षेत्र ऐसे भी होते हैं, जहां अधिक समय तक वर्षा नहीं होती तो खाने के लिए भी अकाल पड़ जाता है, जैसा कि आप सभी जानते हैं, कि नदी और तालाब को हमारे दैनिक जीवन में उपयोग आने वाले स्रोतों में सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. परंतु कई स्थान ऐसे भी होते हैं, जहां पानी की मात्रा कम होने के कारण नदी और तालाब कम पाए जाते हैं, जिसके कारण वहां पानी संग्रहित नहीं हो पाता है, जिसके कारण वहां के लोगों का मुख्य स्रोत वर्षा का पानी होता है, हम आपको बता दें कि सूखा एक बहुत ही गंभीर समस्या है, प्रतिवर्ष सूखे के कारण कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है. और हजारों किसान आत्महत्या कर लेते हैं.
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सूखे के कारण
हम आपको बता दें, कि सूखा पड़ने के कई कारण होते हैं, जिनमें से कुछ कारण नीचे निम्नलिखित रुप में दिए गए हैं:-
वर्षा के पानी का संचय ना करना
हम आपको बता दें, कि सूखा पड़ने का सबसे मुख्य कारण वर्षा के पानी का संचय ना करना होता है, लोग बरसा के पानी पर अधिकतर ध्यान नहीं देते हैं, जिसके कारण उन लोगों को सूखा जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है, परंतु हम आपको बता दें कि तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है, जहां वर्षा के पानी का संचय किया जाता है.
ग्लोबल वार्मिंग बढ़ना
जैसा कि आप सभी जानते हैं, कि ग्लोबल वॉर्मिंग हमारे पृथ्वी के लिए कितनी बड़ी समस्या है, साथ ही यह प्राकृति पर भी अपना दुष्प्रभाव डाल रही है, ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान निरंतर बढ़ता ही जा रहा है, जिसके कारण सबसे अधिक वाष्पीकरण में वृद्धि हो रही है. और वाष्पीकरण में वृद्धि होने के कारण सूखे जैसी स्थिति जन्म लेती है.
वनों की कटाई करना
हम आपको बता दें, कि सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होने का सबसे मुख्य कारण वनों की कटाई भी है, क्योंकि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण वनों की कटाई आधाधुंध की जा रही है, जिसके कारण जल स्तर गिरता ही जा रहा है, और सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न में होती जा रही है, बारिश उसी स्थान पर होती है जहां अत्यधिक पेड़ पौधे होते हैं.
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सूखे का प्रभाव
सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होने के कई प्रकार के प्रभाव देखने को मिलते हैं, जिनमें से कुछ प्रभाव के बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है:-
आर्थिक प्रभाव-
हम आपको बता दें कि सूखे जैसी स्थिति में हमें सबसे पहले आर्थिक प्रभाव देखने को मिलता है, क्योंकि सूखा जैसी स्थिति के कारण लोगों के खेतों में पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं हो पाता है, जिसके कारण उनका कृषि उत्पादन घट जाता है. जिससे किसान सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, क्योंकि कृषि किसान का एकमात्र आय का साधन होता है.
जनसंख्या प्रभाव-
जब सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है, तब जनसंख्या का प्रभाव अत्यधिक देखने को मिलता है, क्योंकि सूखा पड़ने के कारण हजारों लोगों की पानी और अन्न के बिना मृत्यु हो जाती है, जिसके कारण जनसंख्या में कमी होने लगती है, और साथ ही बड़े स्तर में किसान उस जगह से दूसरे जगह में पलायन कर लेते हैं.
पारिस्थितिकी पर प्रभाव-
गांव में सूखा होने के कारण पशु पक्षी उस स्थान को छोड़कर दूसरी जगह पलायन करने लगते हैं, जिसके कारण पारितंत्र प्रभाव देखने को मिलता है.
वन्यजीव जोखिम
सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होने के कारण तापमान बढ़ने लगता है, जिसके कारण जंगलों में आग लग जाती है, उसके साथ ही उस जंगल में रहने वाले वन्यजीव भी जल कर मर जाते हैं.
खाने की वस्तुओं की कमी-
सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होने के कारण कई लोग कुपोषण जैसी समस्या के शिकार हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें सही समय पर दवाई और खाना नहीं मिल पाता है, जिसके कारण वह कमजोर हो जाते हैं, और उनकी मृत्यु हो जाती है.
कीमतों की बढ़ोतरी–
सूखा जैसी स्थिति में सभी प्रकार की चीजों का दाम बढ़ा दिया जाता है, जैसे फल, सब्जियां, अनाज आदि, जिसके कारण लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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सूखा रोकने के उपाय
हम आपको बता दें, कि सूखा जैसी समस्याओं को रोकने के कई उपाय हैं, जिनमें से कुछ उपाय के बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है:-
बारिश का पानी संग्रहण करके-
हमें वर्षा के पानी का प्राकृतिक जलाशयों का संग्रहण करना चाहिए, क्योंकि इस संग्रहित किए गए जल का सूखा जैसी स्थिति में कई रूपों में प्रयोग किया जा सकता है.
वृक्षारोपण करके
सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न ना होने देने के लिए हमें जितना हो सके उतने पेड़ पौधे लगाने चाहिए क्योंकि जितने पेड़ पौधे रहेंगे उतना तापमान कम रहेगा, और तापमान कम होने के कारण पृथ्वी पर पानी रुकेगा और बारिश की संभावनाएं बढ़ जाएंगी, क्योंकि जिस स्थान पर जितनी हरियाली होती है उस स्थान पर बारिश होती है.
पानी बर्बादी को रोकना
जरूरत से अधिक पानी को नहीं खर्च करना चाहिए, और साथ ही हमें पानी के खर्च करने के तरीके को बदलना होगा, जरूरत से ज्यादा पानी नहीं खर्च करना होगा, और जहां पानी व्यर्थ जा रहा होगा, वहां अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, और पानी को बंद करना होगा.
देश में सूखा कब और किस राज्य पर पड़ा
अब हम आपको बताएंगे, कि देश में सूखा कब और किस राज्य में पड़ा जो इस प्रकार है:-
1967 बिहार
1972 बिहार
1972 राजस्थान
1974 दक्षिण बिहार
1987 पंजाब हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत आदि.
उपसंहार
हम आपको बता दें कि जब सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है, सब लोगों को पानी के एक एक बूंद की कीमत समझ में आने लगी है, की एक बूंद पानी कितना कीमती होता है, ऐसी स्थिति का सामना किसी को ना करना पड़े, इसके लिए सरकार के द्वारा कई कदम उठाए गए हैं, जैसे कि देश के प्रत्येक गांव में एक जलाशय का निर्माण कराया गया है. साथ ही नदियों के पानी में साफ सफाई कराई गई है. जिससे हम सूखा जैसी स्थिति में भी जिंदा रह सके.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको Essay on Drought in Hindi – सूखा पर निबंध की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.