150+ Sad Shayari in Hindi | सैड शायरी – हिंदी शायरी | Very Sad Shayari

150+ Sad Shayari in Hindi तो दोस्तों आज मैं आप लोगों के साथ शेयर करने वाला हूं सैड शायरी इन हिंदी. सैड शायरी आपके टूटे हुए दिल को सांत्वना अवश्य देती है.

सैड शायरी हिंदी

Very Sad Shayari

1.ज़िन्दगी की राहों में खो गए हैं हम, दर्द की रातों में रो गए हैं हम। दिल के अंदर उम्मीदों की बर्बादी है, खुद को खो गए हैं हम, खो गए हैं हम।
2.अब तो हर पल दर्द का आलम है, अपने ही आप में अकेलापन है। चाहत के ज़ाहिर हो गए हैं हम, मगर दर्द के अंदर उलझे हुए हैं हम।
3.अजनबी थे, अपनों सा थे हम, ख़्वाबों की दुनिया में रस्ता खो गए हम। चलते-चलते रुक गए हैं हमारे क़दम, अपने ही सवालों में भटक गए हैं हम।
4.छूट गयी है आँखों से ख़ुशियों की चमक, रुठ गए हैं दिल में सपनों की मौज़ूदगी। राह में भटक रहे हैं लापता इरादे, अकेलेपन का एहसास है अब तक़दीरी।
5.आंखों में छुपे अश्क दर्द के दिल के, यादों की मस्ती में छूट गए हैं हम। चाहत की ज़िद और तक़दीर की लापरवाही, ज़िन्दगी के चक्र में रो गए हैं हम।
6.तन्हाईयों की रातों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं, ज़िन्दगी से खो गए हैं हम। यादों की बस्ती में हम अकेले हैं, खुद को ढूंढते हैं, अपने ख्वाबों में खो गए हैं हम।
7.दिल की गहराइयों में दर्द छिपा है, हर पल उस दर्द को महसूस करते हैं हम। ज़िन्दगी के अँधेरों में खो गए हैं हम, तन्हाई की रातों में रोते हैं हम।
8.खो गए हैं हम अपनी मोहब्बत की राहों में, बेवजह रूठ गए हैं अपनों से खुद को। अब रह गया है ये ज़िन्दगी का फ़साना, एक अधूरी कहानी बन गए हैं हम।
9.तन्हाईयों की रातों में उदासी छाई है, ख़्वाबों के सफ़र में अब चले आए हैं हम। ज़िंदगी के राह में हम बिखर गए हैं, आंखों में छुपी हर ख़्वाहिश बुझा दी है हमने।
10.रातों की तन्हाई में रो लेते हैं हम, दर्द की आवाज़ सुनते हैं हम। खुद को खो गए हैं इश्क़ की दुनिया में, बेवजह रूठ गए हैं हम, रूठ गए हैं हम।
11.रूठे हुए ख्वाबों की बैठकें हैं यहाँ, उजड़ी हुई राहों पर थहरे हुए हैं हम। अलविदा कहते हैं दोस्तों को खुशी के साथ, फिर खुद को अकेले ही चोट लगाते हैं हम।
12.मुसाफ़िर हैं हम इस ज़िंदगी के सफ़र में, चलते रहे हैं दर्दों के संग साथी बनकर। हर रोज़ छूटता है खुद से एक टुकड़ा, बिखर गए हैं हम, तूट गए हैं हम।
13.रातों की गहराइयों में छिपे हैं अश्क़, दिल की तन्हाईयों में उदासी छाई है। ज़िंदगी के रास्तों पर हम भटकते हैं, बेखुदी के नगर में हम खुद को खो गए हैं हम।
14.ज़िन्दगी की धुप में छाया हुआ है अँधेरा, ख्वाबों की गलियों में खो गए हैं हम। रूह के नगर में बसती है उदासी, दिल के दरिया में तैर रहे हैं हम।
15.रात की तन्हाई में उदास है दिल, दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम। छूट गया है साथ जो कभी था हमारा, खुद को ढूंढते हैं खोए हुए हम।
16.राह में उधर चलती हैं तन्हाईयाँ, यादों के साथी हमेशा रहते हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में हम रुकते हैं, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
17.आँखों के पानी से रंगी है ये रातें, मन की उदासी से भरी है ये रातें। ख्वाबों के पल कटते हैं बेखुदी में, खुद को खो गए हैं रोते हुए हम।
18.दर्द के ज़हर में जीने का हौसला है, रुठे हुए ख्वाबों को मान लेते हैं हम। ज़िंदगी के मैदान में उड़ते हैं हम, मगर खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
19.तन्हाईयों की रातों में उदास नज़रें, छूटे हुए रास्तों पर थके हुए हैं हम। इश्क़ के गहराईयों में डूबे हुए, खुद को खो गए हैं बिखरे हुए हम।
20.रूठ गए हैं हम ज़िंदगी के खेल में, टूट गए हैं हम ख्वाबों की ख़ातिर। अब समझ आया है इश्क़ का राज़, हर दिल में उदासी की जगह है हमारी।
21.यादों की मौज़ूदगी में ज़िंदगी है बिती, दर्द की राहों में राहत खो गई। तन्हाईयों के संग सोचते हैं हम, खुद को खो गए हैं अकेले हुए हम।
22.रूठती है ज़िन्दगी कभी बिना वजह, रोते हैं हम दिल के दरिया में बहकर। छूट गया है साथ जो हमेशा रहता था, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
23.ज़िंदगी की राहों में है ये उम्मीद, मगर खुद को खो गए हैं हम राहत के बदले। रुठ गए हैं ख्वाबों से, खुद को छोड़कर, यादों की बस्ती में थहरे हुए हैं हम।
24.आंखों में छुपे दर्द को हमने पिया है, मगर रातों में उदासी की नशे में जीते हैं हम। यादों की चादर में लिपटे हुए हैं हम, खुद को ढूंढते हैं खोए हुए हम।
25.दर्द के सागर में खो गए हैं हम, छूट गई है मुस्कान, आंखों में नमी है। ज़िंदगी के सफ़र में हम भटकते हैं, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
26.रूठे हुए हैं हम दिल के अंदर, छुपा है दर्द का आलम हमारे बीच। यादों के दरिया में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढते हैं उलझे हुए हम।
27.रूठ गए हैं हम मंज़िलों के आसपास, खो गए हैं राहों में हम खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में हम उड़ते रहे, अपने ख्वाबों को पास बिठा कर।
28.दिल की तन्हाईयों में उदासी छाई है, रातों की चादर में आहटें हैं हमारी। खुद को खो गए हैं अजनबी राहों में, अपनी ही दुनिया में गुम हुए हैं हम।
29.रूठ गए हैं हम खुद के ख़्वाबों से, तूट गए हैं हम हक़ीक़त के धागों से। यादों की गहराई में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढते हैं खोए हुए हम।
30.रोशनी की राहों में छाई है अँधेरा, ज़िंदगी की रौशनी को खो गए हम। अपने ही अंदर उजाला ढूंढते हैं हम, मगर खुद को खो गए हैं हम रोशनी में।
31.ज़िंदगी के सफ़र में खो गए हैं हम, यादों की मौज़ूदगी में रो गए हैं हम। खुद को ढूंढते हैं उलझे हुए हम, अपने अंदर के गहराई में खो गए हैं हम।
32.तन्हाईयों के संग जीने की आदत है हमें, रूठे हुए ख्वाबों को गोदी में सुलाते हैं हम। दिल की दरिया में तैरते हैं हम खोये हुए, खुद को ढूंढते हैं उलझे हुए हम।
33.ज़िंदगी की राहों में हैं गहरे दरिया, तन्हाईयों की कश्ती में खो गए हैं हम। दिल की राहों में है बेवजह उलझा हुआ, खुद को खो गए हैं राहों में खोए हुए हम।
34.रूठ गए हैं हम आजकल की भागमभाग में, खुद को खो गए हैं अपने आपसे। ज़िंदगी के चक्र में रूठते रहते हैं हम, तन्हाई के संग बिताए हुए हैं हम।
35.ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, दर्द के आवाज़ को सुनते हैं हम। तन्हाईयों की रातों में रुलाते हैं हम, खुद को खो गए हैं रोते हुए हम।
36.रूठे हुए हैं हम अपनी आशाओं से, राहों के पथिक खुद को ढूंढते हैं हम। दर्द की नगरी में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रुलाते हुए हम।
37.यादों की छांव में उदासी छाई है, रोशनी के सफ़े में धूल जमी है। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
38.रूठे हुए हैं हम खुद की तलाश में, खो गए हैं ख्वाबों की मधुशाला में। ज़िंदगी की राहों में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं रह-रह कर हम।
39.ज़िंदगी के सफ़र में छूट गए हैं हम, खुद को खो गए हैं तवाक़्क़ो के साथ। रूठे हुए हैं दिल की ख्वाहिशों से, तन्हाईयों की रातों में जलते हुए हम।
40.दर्द की मौज़ूदगी में रुलाते हैं हम, रूठे हुए हैं खुद के सवालों से। ज़िंदगी की राहों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
41.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
42.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
43.रूठे हुए हैं हम यादों के सहारे, तन्हाईयों की गहराई में खो गए हैं हम। दिल की धड़कनों में उदासी छाई है, खुद को खो गए हैं अपनी ही खुदाई में।
44.ज़िंदगी के सफ़र में रूठ गए हैं हम, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की उड़ान में। तन्हाईयों की रातों में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अँधेरों में।
45.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के राहों में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
46.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
47.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
48.ज़िंदगी की राहों में रूठ गए हैं हम, खुद को खो गए हैं मुश्किलों के रास्तों में। दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
49.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
50.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
51.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
52.ज़िंदगी के सफ़र में रूठ गए हैं हम, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की उड़ान में। तन्हाईयों की रातों में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अँधेरों में।
53.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
54.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
55.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
56.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की राहों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
57.रूठे हुए हैं हम खुद की तलाश में, खो गए हैं ख्वाबों की मधुशाला में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
58.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
59.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
60.दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
61.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
62.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
63.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
64.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
65.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
66.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
67.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
68.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
69.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
70.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की राहों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
71.रूठे हुए हैं हम खुद की खुशियों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
72.दर्द की छांव में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के इरादों से। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं आपसी दिलचस्पी में।
73.रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
74.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही तलाश में। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अँधेरों में।
75.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
76.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
77.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
78.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
79.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
80.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
81.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
82.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की राहों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
83.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, खुद को खो गए हैं अपनी ही धुंधली सीने में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अंधेरों में।
84.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
85.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
86.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
87.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी की सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
88.दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
89.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
90.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
91.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
92.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
93.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
94.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
95.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
96.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
97.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
98.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
99.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
100.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
101.रूठे हुए हैं हम खुद की खुशियों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
102.दर्द की छांव में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के इरादों से। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं आपसी दिलचस्पी में।
103.रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
104.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही तलाश में। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
105.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
106.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही इच्छाओं से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
107.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मस्ती में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
108.दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
109.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
110.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
111.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
112.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
113.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, खुद को खो गए हैं अपनी ही धुंधली सीने में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अंधेरों में।
114.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
115.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
116.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
117.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
118.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
119.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
120.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
121.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
122.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
123.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, खुद को खो गए हैं अपनी ही धुंधली सीने में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अंधेरों में।
124.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
125.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
126.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
127.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
128.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
129.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
130.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
131.रूठे हुए हैं हम खुद की खुशियों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
132.दर्द की छांव में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के इरादों से। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं आपसी दिलचस्पी में।
133.रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
134.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही तलाश में। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
135.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
136.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही इच्छाओं से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
137.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
138.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
139.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
140.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
141.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
142.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
143.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, खुद को खो गए हैं अपनी ही धुंधली सीने में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अंधेरों में।
144.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
145.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
146.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही इच्छाओं से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
147.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
148.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
149.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
150.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।

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150+ Sad Shayari in Hindi तो दोस्तों आज मैं आप लोगों के साथ शेयर करने वाला हूं सैड शायरी इन हिंदी. सैड शायरी आपके टूटे हुए दिल को सांत्वना अवश्य देती है.

सैड शायरी हिंदी

Very Sad Shayari

1.ज़िन्दगी की राहों में खो गए हैं हम, दर्द की रातों में रो गए हैं हम। दिल के अंदर उम्मीदों की बर्बादी है, खुद को खो गए हैं हम, खो गए हैं हम।
2.अब तो हर पल दर्द का आलम है, अपने ही आप में अकेलापन है। चाहत के ज़ाहिर हो गए हैं हम, मगर दर्द के अंदर उलझे हुए हैं हम।
3.अजनबी थे, अपनों सा थे हम, ख़्वाबों की दुनिया में रस्ता खो गए हम। चलते-चलते रुक गए हैं हमारे क़दम, अपने ही सवालों में भटक गए हैं हम।
4.छूट गयी है आँखों से ख़ुशियों की चमक, रुठ गए हैं दिल में सपनों की मौज़ूदगी। राह में भटक रहे हैं लापता इरादे, अकेलेपन का एहसास है अब तक़दीरी।
5.आंखों में छुपे अश्क दर्द के दिल के, यादों की मस्ती में छूट गए हैं हम। चाहत की ज़िद और तक़दीर की लापरवाही, ज़िन्दगी के चक्र में रो गए हैं हम।
6.तन्हाईयों की रातों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं, ज़िन्दगी से खो गए हैं हम। यादों की बस्ती में हम अकेले हैं, खुद को ढूंढते हैं, अपने ख्वाबों में खो गए हैं हम।
7.दिल की गहराइयों में दर्द छिपा है, हर पल उस दर्द को महसूस करते हैं हम। ज़िन्दगी के अँधेरों में खो गए हैं हम, तन्हाई की रातों में रोते हैं हम।
8.खो गए हैं हम अपनी मोहब्बत की राहों में, बेवजह रूठ गए हैं अपनों से खुद को। अब रह गया है ये ज़िन्दगी का फ़साना, एक अधूरी कहानी बन गए हैं हम।
9.तन्हाईयों की रातों में उदासी छाई है, ख़्वाबों के सफ़र में अब चले आए हैं हम। ज़िंदगी के राह में हम बिखर गए हैं, आंखों में छुपी हर ख़्वाहिश बुझा दी है हमने।
10.रातों की तन्हाई में रो लेते हैं हम, दर्द की आवाज़ सुनते हैं हम। खुद को खो गए हैं इश्क़ की दुनिया में, बेवजह रूठ गए हैं हम, रूठ गए हैं हम।
11.रूठे हुए ख्वाबों की बैठकें हैं यहाँ, उजड़ी हुई राहों पर थहरे हुए हैं हम। अलविदा कहते हैं दोस्तों को खुशी के साथ, फिर खुद को अकेले ही चोट लगाते हैं हम।
12.मुसाफ़िर हैं हम इस ज़िंदगी के सफ़र में, चलते रहे हैं दर्दों के संग साथी बनकर। हर रोज़ छूटता है खुद से एक टुकड़ा, बिखर गए हैं हम, तूट गए हैं हम।
13.रातों की गहराइयों में छिपे हैं अश्क़, दिल की तन्हाईयों में उदासी छाई है। ज़िंदगी के रास्तों पर हम भटकते हैं, बेखुदी के नगर में हम खुद को खो गए हैं हम।
14.ज़िन्दगी की धुप में छाया हुआ है अँधेरा, ख्वाबों की गलियों में खो गए हैं हम। रूह के नगर में बसती है उदासी, दिल के दरिया में तैर रहे हैं हम।
15.रात की तन्हाई में उदास है दिल, दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम। छूट गया है साथ जो कभी था हमारा, खुद को ढूंढते हैं खोए हुए हम।
16.राह में उधर चलती हैं तन्हाईयाँ, यादों के साथी हमेशा रहते हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में हम रुकते हैं, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
17.आँखों के पानी से रंगी है ये रातें, मन की उदासी से भरी है ये रातें। ख्वाबों के पल कटते हैं बेखुदी में, खुद को खो गए हैं रोते हुए हम।
18.दर्द के ज़हर में जीने का हौसला है, रुठे हुए ख्वाबों को मान लेते हैं हम। ज़िंदगी के मैदान में उड़ते हैं हम, मगर खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
19.तन्हाईयों की रातों में उदास नज़रें, छूटे हुए रास्तों पर थके हुए हैं हम। इश्क़ के गहराईयों में डूबे हुए, खुद को खो गए हैं बिखरे हुए हम।
20.रूठ गए हैं हम ज़िंदगी के खेल में, टूट गए हैं हम ख्वाबों की ख़ातिर। अब समझ आया है इश्क़ का राज़, हर दिल में उदासी की जगह है हमारी।
21.यादों की मौज़ूदगी में ज़िंदगी है बिती, दर्द की राहों में राहत खो गई। तन्हाईयों के संग सोचते हैं हम, खुद को खो गए हैं अकेले हुए हम।
22.रूठती है ज़िन्दगी कभी बिना वजह, रोते हैं हम दिल के दरिया में बहकर। छूट गया है साथ जो हमेशा रहता था, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
23.ज़िंदगी की राहों में है ये उम्मीद, मगर खुद को खो गए हैं हम राहत के बदले। रुठ गए हैं ख्वाबों से, खुद को छोड़कर, यादों की बस्ती में थहरे हुए हैं हम।
24.आंखों में छुपे दर्द को हमने पिया है, मगर रातों में उदासी की नशे में जीते हैं हम। यादों की चादर में लिपटे हुए हैं हम, खुद को ढूंढते हैं खोए हुए हम।
25.दर्द के सागर में खो गए हैं हम, छूट गई है मुस्कान, आंखों में नमी है। ज़िंदगी के सफ़र में हम भटकते हैं, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
26.रूठे हुए हैं हम दिल के अंदर, छुपा है दर्द का आलम हमारे बीच। यादों के दरिया में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढते हैं उलझे हुए हम।
27.रूठ गए हैं हम मंज़िलों के आसपास, खो गए हैं राहों में हम खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में हम उड़ते रहे, अपने ख्वाबों को पास बिठा कर।
28.दिल की तन्हाईयों में उदासी छाई है, रातों की चादर में आहटें हैं हमारी। खुद को खो गए हैं अजनबी राहों में, अपनी ही दुनिया में गुम हुए हैं हम।
29.रूठ गए हैं हम खुद के ख़्वाबों से, तूट गए हैं हम हक़ीक़त के धागों से। यादों की गहराई में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढते हैं खोए हुए हम।
30.रोशनी की राहों में छाई है अँधेरा, ज़िंदगी की रौशनी को खो गए हम। अपने ही अंदर उजाला ढूंढते हैं हम, मगर खुद को खो गए हैं हम रोशनी में।
31.ज़िंदगी के सफ़र में खो गए हैं हम, यादों की मौज़ूदगी में रो गए हैं हम। खुद को ढूंढते हैं उलझे हुए हम, अपने अंदर के गहराई में खो गए हैं हम।
32.तन्हाईयों के संग जीने की आदत है हमें, रूठे हुए ख्वाबों को गोदी में सुलाते हैं हम। दिल की दरिया में तैरते हैं हम खोये हुए, खुद को ढूंढते हैं उलझे हुए हम।
33.ज़िंदगी की राहों में हैं गहरे दरिया, तन्हाईयों की कश्ती में खो गए हैं हम। दिल की राहों में है बेवजह उलझा हुआ, खुद को खो गए हैं राहों में खोए हुए हम।
34.रूठ गए हैं हम आजकल की भागमभाग में, खुद को खो गए हैं अपने आपसे। ज़िंदगी के चक्र में रूठते रहते हैं हम, तन्हाई के संग बिताए हुए हैं हम।
35.ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, दर्द के आवाज़ को सुनते हैं हम। तन्हाईयों की रातों में रुलाते हैं हम, खुद को खो गए हैं रोते हुए हम।
36.रूठे हुए हैं हम अपनी आशाओं से, राहों के पथिक खुद को ढूंढते हैं हम। दर्द की नगरी में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रुलाते हुए हम।
37.यादों की छांव में उदासी छाई है, रोशनी के सफ़े में धूल जमी है। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
38.रूठे हुए हैं हम खुद की तलाश में, खो गए हैं ख्वाबों की मधुशाला में। ज़िंदगी की राहों में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं रह-रह कर हम।
39.ज़िंदगी के सफ़र में छूट गए हैं हम, खुद को खो गए हैं तवाक़्क़ो के साथ। रूठे हुए हैं दिल की ख्वाहिशों से, तन्हाईयों की रातों में जलते हुए हम।
40.दर्द की मौज़ूदगी में रुलाते हैं हम, रूठे हुए हैं खुद के सवालों से। ज़िंदगी की राहों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
41.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
42.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
43.रूठे हुए हैं हम यादों के सहारे, तन्हाईयों की गहराई में खो गए हैं हम। दिल की धड़कनों में उदासी छाई है, खुद को खो गए हैं अपनी ही खुदाई में।
44.ज़िंदगी के सफ़र में रूठ गए हैं हम, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की उड़ान में। तन्हाईयों की रातों में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अँधेरों में।
45.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के राहों में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
46.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
47.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
48.ज़िंदगी की राहों में रूठ गए हैं हम, खुद को खो गए हैं मुश्किलों के रास्तों में। दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
49.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
50.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
51.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
52.ज़िंदगी के सफ़र में रूठ गए हैं हम, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की उड़ान में। तन्हाईयों की रातों में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अँधेरों में।
53.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
54.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
55.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
56.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की राहों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
57.रूठे हुए हैं हम खुद की तलाश में, खो गए हैं ख्वाबों की मधुशाला में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
58.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
59.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
60.दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
61.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
62.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
63.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
64.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
65.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
66.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
67.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
68.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
69.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
70.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की राहों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
71.रूठे हुए हैं हम खुद की खुशियों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
72.दर्द की छांव में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के इरादों से। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं आपसी दिलचस्पी में।
73.रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
74.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही तलाश में। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अँधेरों में।
75.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
76.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
77.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
78.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
79.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
80.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
81.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
82.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की राहों में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
83.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, खुद को खो गए हैं अपनी ही धुंधली सीने में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अंधेरों में।
84.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
85.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
86.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
87.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी की सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
88.दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
89.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
90.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
91.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
92.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
93.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
94.दर्द की मौज़ूदगी में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
95.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
96.दर्द की राहों में बिछुड़े हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
97.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
98.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
99.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
100.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
101.रूठे हुए हैं हम खुद की खुशियों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
102.दर्द की छांव में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के इरादों से। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं आपसी दिलचस्पी में।
103.रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
104.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही तलाश में। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
105.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
106.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही इच्छाओं से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
107.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मस्ती में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
108.दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
109.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
110.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
111.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
112.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
113.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, खुद को खो गए हैं अपनी ही धुंधली सीने में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अंधेरों में।
114.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
115.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
116.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
117.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
118.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
119.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
120.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
121.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
122.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
123.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, खुद को खो गए हैं अपनी ही धुंधली सीने में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अंधेरों में।
124.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
125.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
126.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठ गए हैं हम अपनी ही मुसीबतों से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
127.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
128.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
129.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
130.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
131.रूठे हुए हैं हम खुद की खुशियों से, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में भटकते हैं हम, खुद को खो गए हैं राहों के मोड़ में।
132.दर्द की छांव में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के इरादों से। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं आपसी दिलचस्पी में।
133.रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को, दर्द की आग में जलते हुए हैं हम। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
134.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही तलाश में। ज़िंदगी की मौज़ूदगी में खो गए हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
135.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
136.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही इच्छाओं से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
137.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
138.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
139.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
140.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
141.रूठे हुए हैं हम अपनी ही हक़ीक़त से, खुद को खो गए हैं सपनों की दुनिया में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपने अंदर के खोए हुए।
142.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
143.रूठे हुए हैं हम अपने ही ख़्वाबों से, खुद को खो गए हैं अपनी ही धुंधली सीने में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं गहरे अंधेरों में।
144.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। यादों की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
145.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं अपनी ही तलाश में।
146.दर्द की राहों में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद की ही इच्छाओं से। ज़िंदगी की छांव में खो गए हैं हम, खुद को ढूंढ़ते हुए भटकते हैं हम।
147.रूठे हुए हैं हम यादों की गली में, खुद को खो गए हैं ख्वाबों की महफ़िल में। दर्द की मौज़ूदगी में रोते हैं हम, खुद को खो गए हैं उलझे हुए हम।
148.दर्द की मस्ती में उलझे हुए हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद के सवालों से। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।
149.रूठे हुए हैं हम अपने अपने सफ़र में, खुद को खो गए हैं राहों के बीच। यादों की गहराई में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं खोए हुए हम।
150.दर्द की आवाज़ को सुनते हैं हम, रूठे हुए हैं हम खुद से खुद को। ज़िंदगी के सफ़र में उलझे हुए हैं हम, खुद को खो गए हैं रोम-रोम में रोमांच के।

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