देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक रामगिरी सिवनी शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के पास स्थापित है, झांसी के मणिकापुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरी स्थान पर यह शक्ति पीठ स्थापित है, हालांकि कुछ लोग मैहर में स्थापित देवी शारदा भवानी मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं.
कैसे हुआ शक्तिपीठ का निर्माण
भगवान शिव की पत्नी देवी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पिता से अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई, जब यह सब भगवान शिव को पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया, इसके बाद में भगवान शंकर माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव नृत्य करने लगे तो ब्रह्मांड को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर को 51 भागों में काट दिया था, जिस स्थान पर माता सती के अंग और आभूषण गिरे थे वह स्थान शक्तिपीठों में निर्मित हो गए, यदि पौराणिक कथाओं की मानें तो देवी देह के अंगों से शक्तिपीठ की उत्पत्ति हुई, जिसे भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिसमें से 51 शक्तिपीठों को ज्यादा महत्व दिया जाता है.
रामगिरि- शिवानी शक्तिपीठ
उत्तरप्रदेश के झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर देवी सती का दाया वक्ष गिरा था, इसकी शक्ति है शिवानी और भैरव को चंड कहे जाते हैं, हालांकि कुछ लोग मैहर की शारदा देवी मंदिर को यह शक्तिपीठ मानते हैं, चित्रकूट में भी एक शारदा मंदिर है, राम गिरी पर्वत चित्रकूट में स्थापित है, चित्रकूट हजरत निजामुद्दीन-जबलपुर रेलवे लाइन पर स्थित है, स्टेशन का नाम ‘चित्रकूटधाम कर्वी’ है, यहां लखनऊ से 285 किलोमीटर और हजरत निजामुद्दीन से 670 किलोमीटर दूर है, मोनिका पुर स्टेशन से 30 किलोमीटर पहले चित्रकूट धाम कर्वी स्थित है.