हमारे देश में पुलिस जब किसी भी मामले में आरोपी को गिरफ्तार करती है, तो उसके बाद एक शब्द अक्सर सुनने को मिलता है, जो है ‘पुलिस रिमांड’. पुलिस आरोपी या अपराधी को एक प्रक्रिया के तहत रिमांड पर लेती है. आइए जानते हैं कि पुलिस रिमांड क्या है और इसका कोर्ट से क्या संबंध है.
पुलिस रिमांड क्या है
जब पुलिस किसी गंभीर मामले या गैर जमानती अपराध की धारा के तहत किसी आरोपी या अपराधी को गिरफ्तार करती है, तो 24 घंटे के अंदर पुलिस को उस आरोपी या अपराधी को अपने क्षेत्र या नजदीकी मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश करना होता है. ऐसे में अगर पुलिस को उस आरोपी या अपराधी से संबंधित मामले में पूछताछ करनी है और उस मामले में पूछताछ जरूरी है. लिहाजा पुलिस मजिस्ट्रेट को अर्जी देकर आरोपी या अपराधी को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की मांग करती है. पुलिस की अर्जी और मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट या जज उस आरोपी या अपराधी को एक या दो दिन के लिए या पुलिस की मांग के अनुसार पुलिस हिरासत में दे देता है. इस प्रक्रिया को कानून की किताब में पुलिस रिमांड कहा जाता है. पुलिस रिमांड की अवधि खत्म होने के बाद या तो पुलिस दोबारा रिमांड मांगती है या जरूरत न होने पर मजिस्ट्रेट या जज उस आरोपी या अपराधी को अपनी हिरासत में लेकर जेल भेज देते हैं.
रिमांड का मतलब ये नहीं होता
रिमांड एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर लोग डर जाते हैं, क्योंकि लोगों को लगता है कि पुलिस उन्हें रिमांड पर ले जाती है और मारती है लेकिन नहीं, रिमांड में ऐसा कुछ नहीं होता. रिमांड का मतलब होता है पूछताछ, इसलिए अगर आप रिमांड शब्द से डरते हैं तो अब डरना छोड़ दें. दरहसल, रिमांड पर रखने पर पुलिस आपको थाने ले जाकर पूछताछ करती है. अगर आपको रिमांड में रखा गया है और पुलिस आपको थाने ले जाकर मार देती है तो यह गैरकानूनी है. जब कहीं कोई अपराध होता है तो पुलिस संदेह के दायरे में आने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लेती है, लेकिन इस बात की पूरी तरह से पुष्टि नहीं होती है कि इस व्यक्ति ने अपराध किया है, लेकिन कहीं न कहीं उन्हें लगता है कि इस व्यक्ति ने अपराध किया है और अगर उसके खिलाफ थोड़ा सा भी सबूत है वह व्यक्ति, तो वह व्यक्ति गिरफ्तार हो जाता है.
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पुलिस अधिनियम 1861 के तहत भर्ती संबंधित विभाग में भर्ती होने वाले सभी लोग ‘पुलिस’ माने जाएंगे. इसका मतलब यह है कि जितने भी लोग इस अधिनियम के तहत पुलिस बल में भर्ती हुए हैं, वे सभी पुलिस के अंतर्गत आते हैं. पुलिस जनता के जीवन और संपत्ति की रक्षा करने, शांति और व्यवस्था बनाए रखने और सामाजिक सुरक्षा का प्रबंधन करने वाला सरकारी विभाग है. जिसके तहत पुलिस अधिकारी व कर्मचारी अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं.