आज हम आपको ॐ नमः शिवाय का क्या अर्थ है? – Om Namah Shivay Ka Kya Arth Hai, ओम नमः शिवाय के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
हिंदू ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि ओम शब्द की ध्वनि ब्रह्मांड ध्वनि होती है. ओम शब्द के ध्वनि का अर्थ प्रेम और शांति होता है. और ‘नमः’‘शिवाय’ का एक साथ अर्थ है पांच तत्व – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को माना जाता है, ये पांच तत्व इस दुनिया में मौजूद हर रचना के निर्माण खंड हैं. भगवान शिव को सभी पांच तत्वों का स्वामी माना जाता है.
ओम नमः शिवाय की उत्पत्ति कैसे हुई? – Om Namah Shivay Ki Utpatti Kaise Hui
हिंदू धार्मिक पुराणों के अनुसार यह माना जाता है, कि भगवान शिव अग्नि स्तंभ के रूप में जब प्रकट हुए थे, तब उनके पांच मुख थे, जो पांचों तत्व पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि तथा वायु के रूप थे, सर्वप्रथम जिस शब्द की उत्पत्ति हुई वह शब्द था ॐ बाकी पांच शब्द नम: शिवाय की उत्पत्ति उनके पांचों मुखों से हुई जिसे सृष्टि का सबसे पहला मंत्र माना जाता है, और धार्मिक पुराणों के अनुसार ऐसे ही महामंत्र माना जाता है.
ॐ शब्द का जाप करने का सही तरीका – Om Shabd Ka Jaap Karne Ka Sahi Tarika
हम आपको बता दें, कि भगवान शिव की पूजा करने के लिए सोमवार को विशेष दिन माना जाता है, साथ ही यह भी माना जाता है, कि इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. और अगर हम ओम शब्द के उच्चारण की बात करें, तो इसे सबसे छोटा एवं सरल शब्द माना जाता है, परंतु हम आपको बता दें, कि इस शब्द का उच्चारण करना बहुत ही कठिन होता है. साथ में यह भी माना जाता है, कि अगर आप ओम शब्द का उच्चारण गलत कर रहे हैं, तो इसका दुष्प्रभाव आपके जीवन में भी हो सकता है, हिंदू ग्रंथों के अनुसार ॐ शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना हुआ है, अ, उ और म. अ अक्षर का अर्थ शब्द को प्रारंभ करने में किया जाता है, और उ अक्षर का अर्थ शब्द को उठाता है, तथा म अक्षर का अर्थ मौन रहना होता है, और जब इन तीनों अक्षरों का अर्थ जोड़ा जाता है तो ब्रह्मलीन होने वाला शब्द ॐ का निर्माण होता है, इसलिए आप जब भी ओम शब्द का उच्चारण करें तब इन 3 अक्षरों को ध्यान में रखें.
ॐ शब्द का उच्चारण करने का सही समय – Om Shabd ka Ucharan Karne Ka Sahi Samay
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि किसी भी चीज को करने का एक निश्चित समय होता है, उसी प्रकार ओम शब्द का उच्चारण करने का भी एक निश्चित समय होता है, वैसे तो आप ओम शब्द का उच्चारण किसी भी समय कर सकते हैं, परंतु इससे किसी भी फल की प्राप्ति नहीं होती, वही आप अगर निश्चित समय पर ओम शब्द का उच्चारण कर रहे हैं तो आपको इस से विशेष फल की प्राप्ति होगी, हिंदू ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि सूर्योदय के समय सुखासन की मुद्रा में बैठकर अगर ओम शब्द का उच्चारण किया जाए, तो इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर विशेष फल प्रदान करते हैं, साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखें, कि आप जब भी ओम शब्द का उच्चारण करें तो 108 बार करें.
ओम नमः शिवाय का क्या महत्व है? – Om Namah Shivay Ka Kya Mahatva Hai
स्कन्दपुराण के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि ॐ नमः शिवाय एक ऐसा ‘महामंत्र है जो प्रत्येक शिव भक्त के मन में बास करता है, ऐसा माना जाता है, कि ओम नमः शिवाय मंत्र के उच्चारण से यह मंत्र मोक्ष मिलता है, साथ ही किए गए सारे पापों का नाश हो जाता है, यह मंत्र साधक को लौकिक, परलौकिक सुख देने वाला मंत्र होता है.
ओम नमः शिवाय शब्द का उच्चारण करने से लाभ – Om Namah Shivay Shabd Ka Ucharan Karne Se Labh
अगर आप ओम नमः शिवाय शब्द का उच्चारण कर रहे हैं, तो इससे आपके जीवन में कई विशेष लाभ हो सकते हैं, जो नीचे कुछ इस प्रकार दिए गए हैं:-
चारों ओर आनंद का अनुभव – Charon Aur Anand Ka Anubhav
अगर आप प्रातः काल ओम नमः शिवाय शब्द का उच्चारण करते हैं, तो आपको चारों ओर आनंद का अनुभव होगा, और साथ ही आपका दिन मंगलमय होगा.
नकारात्मकता विचार को दूर करना – Nakaratmak Vichar Ko Dur karna
अगर आप सूर्योदय से पहले 108 बार ओम नमः शिवाय का जाप करेंगे, तो आपके मन में सकारात्मक विचार आएंगे, और मन से नकारात्मक विचार दूर हो जाएंगे.
ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करना – Grahon Ke Nakaratmak Prabhav Ko Kam Karna
अगर आप सुबह – सुबह सुखासन की मुद्रा में बैठकर 108 बार ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करेंगे, तो आपके बिगड़े हुए ग्रह के नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाएंगे, और आप स्वस्थ रहेंगे.
असमय मृत्यु के भय को कम करना – Asamay Mrityu Ke Bhay Ko Kam Karna
हिंदू ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अगर आप ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप कर रहे हैं, तो आप अकाल मृत्यु से बच सकते हैं, क्योंकि ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति के ऊपर भगवान शिव का आशीर्वाद सदैव बना रहता है.
भगवान शिव का पंचाक्षर स्तोत्र: मंत्र अर्थ सहित Bhagwan Shiv ke Panchakshar Stotra Stotra Mantra Arth Sahit
हिंदू ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि भगवान शिव की उपासना में 5 अक्षर का प्रयोग किया जाता है, ‘नमः शिवाय’ में न, म, शि, व और य ये पांच अक्षर हैं, जैसा कि आप सभी जानते हैं. कि भगवान शिव सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देव माने जाते हैं, सृष्टि पंचतत्व से बनी है, और इन्हीं पंच तत्वों के आधार पर पृथ्वी चलती भी है, जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं. अग्नि, वायु, जल, हवा, मिट्टी आदि. भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र को इन्हीं पंच तत्वों को मिलाकर बनाया गया है, प्रत्येक अक्षर का अपना एक अर्थ और महत्व होता है, जब इन पांचों अक्षरों को मिलाकर जप किया जाता है, तो ऐसा लगता है, जैसे सृष्टि पर नियंत्रण किया जा सकता है, भगवान शिव का वह पंचाक्षर मंत्र नीचे निम्न रूप में अर्थ सहित दिया गया है:-
मंत्र –
॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥1॥
अर्थ- “न” का अर्थ भगवान शिव के गले में लिपटे हुए नाग से है, इस मंत्र का अर्थ नागेंद्र से होता है यानि नागों को धारण करने वाले महादेव से, न का अर्थ निरंतर शुद्ध रहने वाले से होता है, यानि नागों को गले में धरण करने वाले और नित्य शुद्ध रहने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार है. इस अक्षर के प्रयोग से व्यक्ति दशों दिशाओं से सुरक्षित रहता है. साथ ही इससे निर्भयता की प्राप्ति होती है.
मंत्र –
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥2॥
अर्थ- ”म” अक्षर का अर्थ गंगा नदी से है साथ ही इस अक्षर का अर्थ महाकाल और महादेव को भी माना जाता है इस अक्षर का प्रयोग नदियों, पर्वतों और पुष्पों को नितंत्रित करने के रूप में किया जाता है क्योंकि म अक्षर के अंदर ही प्रकृति की शक्ति विद्यमान है.
मंत्र –
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥3॥
अर्थ- “शि” का अर्थ भगवान शिव की शक्तियों से है, इस मंत्र के माध्यम से भगवान शिव की व्याख्या की गई है इसका अर्थ द्वारा शक्ति को धारण करने से होता है इस अक्षर का अर्थ परम कल्याणकारी से होता है इस अक्षर से जीवन में अपार सुख और शांति की प्राप्ति होती है, साथ ही शिव के साथ-साथ शक्ति की कृपा भी मिलती है.
मंत्र –
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥4॥
अर्थ- “व” का अर्थ भगवान शिव के त्रिनेत्र से होता है, इस मंत्र का अर्थ शिव के मस्तक के त्रिनेत्र से है, त्रिनेत्र का अर्थ शक्ति होता है. साथ ही ये अक्षर शिव के प्रचंड स्वरूप को दर्शाता है इस नेत्र के द्वारा शिव इस सृष्टि को नियंत्रित करते हैं. इस अक्षर के प्रयोग से ग्रहों-नक्षत्रों को भी नियंत्रित किया जा सकता है.
मंत्र –
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥5॥
अर्थ- “य” का अर्थ भगवान शिव की आदि अनादि शक्तियों से है, इस मंत्र का अर्थ भगवान शिव आदि-अनादि और अनंत स्वरूप एवं शक्तियां है, इसमें यह बताया गया है कि जब सृष्टि नहीं थी तब भी शिव थे, जब सृष्टि है तब भी शिव हैं और जब सृष्टि नहीं रहेगी तब भी शिव इस सृष्टि में विद्यमान रहेंगे.
ओम नमः शिवाय मंत्र का प्रतिनिधित्व – Om Namah Shivay Mantra Ka Pratinidhitva
नमः शिवाय को भगवान शिव के पंच तत्त्व बोध करता है साथ ही उनकी पाँच तत्वों पर सार्वभौमिक एकता को दर्शाता हैं जो कि इस प्रकार है :-
- “न” ध्वनि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है.
- “मः” ध्वनि पानी का प्रतिनिधित्व करता है.
- “शि” ध्वनि अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है.
- “वा” ध्वनि प्राणिक वायु का प्रतिनिधित्व करता है.
- “य” ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता है.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको ॐ नमः शिवाय का क्या अर्थ है? – Om Namah Shivay Ka Kya Arth Hai की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.
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