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न्यूट्रोपेनिया क्या है? कारण, लक्षण और उपचार

आज हम आपको न्यूट्रोपेनिया क्या है? कारण, लक्षण और उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.

न्यूट्रोफिल एक सफेद रंग की सामान्य रक्त कोशिका होती है, जो विशेष रूप से जीवाणु के कारण होने वाले संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. साथ ही इसका एक और असामान्य रूप होता है, जिसे न्यूट्रोपेनिया भी कहते हैं. न्यूट्रोपेनिया एक ऐसी बीमारी है. जो कि मनुष्य के शरीर में न्यूट्रोफिल की संख्या कम होने के कारण होती है, इस बीमारी से पीड़ित रोगी जीवाणु संक्रमण के लिए अति संवेदनशील माने जाते हैं. क्योंकि जैसे-जैसे शरीर में न्यूट्रोफिल की संख्या कम होती जाती है, वैसे- वैसे ही यह बीमारी शरीर में बढ़ती ही जाती है.

जब वयस्को के खून में 1500 माइक्रोलीटर से न्यूट्रोफिल कम हो जाता है. तो उस व्यक्ति को न्यूट्रोपेनिया का रोगी माना जाता है. बच्चों में कोशिकाओं की गणना न्यूट्रोपेनिया की ओर संकेत करती है, लेकिन यह उनकी उम्र के अनुसार भिन्न हो सकती है ऐसा भी माना जाता है. कि ज्यादातर यह बीमारी बचपन में होती है.

न्यूट्रोपेनिया होने का कारण

जब शरीर के अंदर कुछ घंटो या फिर कुछ दिनों में ही न्यूट्रोपेनिया गठित हो जाता है तो उसे तीव्र न्यूट्रोपेनिया कहते हैं, जो न्यूट्रोफिल उत्पादन में व्यवधान के परिणाम स्वरूप विकसित होने लगते हैं.  तो वर्षों और महीनों की अवधि तक रहने वाले न्यूट्रोपेनिया को क्रोनिक न्यूट्रोपेनिया कहते है,जो कि कोशिकाओं के उत्पादन में अधिकतर प्लीहा की कमी के कारण होता है.

न्यूट्रोपेनिया, कैंसर, कीमोथेरेपी, अस्थि मज्जा, संक्रमण, जैसी दवाओं (दवा प्रेरित न्यूट्रोपेनिया), और ऑटोम्यून्यून विकारों के जन्मजात सहित कई चिकित्सा स्थितियों के कारण होता है. या उससे जुड़ा हुआ हो सकता है

न्यूट्रोपेनिया के लक्षण

तो आज हम आपको बताते हैं, कि न्यूट्रोपेनिया के लक्षण कितने कम या अधिक होते हैं. साथ ही यह कितने दिनों में फैलता है. न्यूट्रोपेनिया के लक्षण नीचे दिए गए हैं :-

  • बुखार का होना
  • न्यूमोनिया
  • साइनस संक्रमण
  • कान का संक्रमण
  • मुंह में घाव और मसूड़े में सूजन का होना
  • त्वचा का खराब होना
  • दस्त लगना आदि.

न्यूट्रोपेनिया का उपचार

इस रोग का इलाज उस रोग के होने के कारण पर निर्भर करता है कि वह किस कारण से हुआ है. इसलिए सबसे पहले संक्रमण का उपचार करना चाहिए, जिससे न्यूट्रोपेनिया का विकास होता है. साथ ही बीमारी कितनी गंभीर हो चुकी है उस पर डॉक्टर निर्णय लेते हैं कि न्यूट्रोपेनिया का उपचार किस प्रकार किया जाना चाहिए. इसलिए प्रतीक्षा प्रणाली को और शक्तिशाली बनाने के लिए निरंतर प्रेरित किया जा रहा है.

न्यूट्रोफ़िल को कम करने में लगने वाला समय उस व्यक्ति की दवा या खुराक पर निर्भर करता है, वह कैंसर जो बोनमैरो को प्रभावित करते हैं, जैसे खून का कैंसर (ल्यूकेमिया) और लिंफोमा भी न्यूट्रोफ़िल स्तर के कम होने का कारण बन सकते हैं. कुछ मामलों से तो यह भी पता चला है. कि रेडिएशन के कारण न्यूट्रोफ़िल की संख्या में कमी आ सकती है.

आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको न्यूट्रोपेनिया क्या है? कारण, लक्षण और उपचार की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा। अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें

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न्यूट्रोपेनिया होने का कारण

जब शरीर के अंदर कुछ घंटो या फिर कुछ दिनों में ही न्यूट्रोपेनिया गठित हो जाता है तो उसे तीव्र न्यूट्रोपेनिया कहते हैं, जो न्यूट्रोफिल उत्पादन में व्यवधान के परिणाम स्वरूप विकसित होने लगते हैं.  तो वर्षों और महीनों की अवधि तक रहने वाले न्यूट्रोपेनिया को क्रोनिक न्यूट्रोपेनिया कहते है,जो कि कोशिकाओं के उत्पादन में अधिकतर प्लीहा की कमी के कारण होता है.

न्यूट्रोपेनिया, कैंसर, कीमोथेरेपी, अस्थि मज्जा, संक्रमण, जैसी दवाओं (दवा प्रेरित न्यूट्रोपेनिया), और ऑटोम्यून्यून विकारों के जन्मजात सहित कई चिकित्सा स्थितियों के कारण होता है. या उससे जुड़ा हुआ हो सकता है

न्यूट्रोपेनिया के लक्षण

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  • बुखार का होना
  • न्यूमोनिया
  • साइनस संक्रमण
  • कान का संक्रमण
  • मुंह में घाव और मसूड़े में सूजन का होना
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  • दस्त लगना आदि.

न्यूट्रोपेनिया का उपचार

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न्यूट्रोफ़िल को कम करने में लगने वाला समय उस व्यक्ति की दवा या खुराक पर निर्भर करता है, वह कैंसर जो बोनमैरो को प्रभावित करते हैं, जैसे खून का कैंसर (ल्यूकेमिया) और लिंफोमा भी न्यूट्रोफ़िल स्तर के कम होने का कारण बन सकते हैं. कुछ मामलों से तो यह भी पता चला है. कि रेडिएशन के कारण न्यूट्रोफ़िल की संख्या में कमी आ सकती है.

आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको न्यूट्रोपेनिया क्या है? कारण, लक्षण और उपचार की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा। अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें