नवरात्रि का त्योहार अब अपने समापन की ओर है, हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि 26 सितंबर को शुरू हुई और 4 अक्टूबर को लोग अपने अपने घरों में हवन और कन्या पूजन कर के इस त्योहार का और अपने नौ दिन के व्रत का समापन करेंगे. नवरात्रि के नौ दिनों में लोग दुर्गा मां के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं.
नवरात्रि के पहले दिन यानि प्रतिपदा तिथि पर कलश या घट स्थापना की जाती है, माता की प्रतिमा स्थापित की जाती हैं, नवरात्रि का त्योहार मां दुर्गा को समर्पित है. इस त्योहार का विशेष महत्व है. लोग भक्ति भाव और पूरे धूम धाम से नवरात्रि का त्योहार पूरे नौ दिन तक मानते हैं. और देवी मां की आराधना करते हैं. चलिए जान लेते हैं नवरात्रि में लगने वाली पूजा सामग्री की लिस्ट .
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घट स्थापना और कलश स्थापना के लिए सामग्री
एक चौकी
लाल रंग का कपड़ा चौकी पर बिछाने के लिए
लाल रंग की गोटेदार चुनरी
लाल रेशमी चूड़ियां
सिन्दूर
आम के पत्ते
लाल वस्त्र
लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती
धूप
अगरबत्ती
माचिस
नारियल
दुर्गासप्तशती किताब
कलश
साफ चावल
कुमकुम
मौली
श्रृंगार का सामान
दीपक
घी/ तेल
फूल
फूलों का हार
पान
सुपारी
लाल झंडा
लौंग
लायची
बताशे या मिसरी
कपूर
उपले
फल/मिठाई
चालीसा व आरती की किताब
देवी की प्रतिमा या फोटो
कलावा
मेवे
आम की लकड़ी
जौ
धूप
पांच मेवा
घी
लोबान
गुगल
लौंग
कमल गट्टा
सुपारी, कपूर.
कलश स्थापना के लिए सामग्री
नवरात्रि के प्रथम दिन लोग कलश स्थापना करते हैं. कहा जाता है मांगलिक कार्यों के पहले कलश की स्थापना करना होता है. क्योंकि कलश में भगवान गणेश के अलावा नक्षत्र, ग्रह विराजमान होते हैं, इसके अलावा कलश में गंगाजल के अलावा तैतीस कोटि देवी-देवता होते है. कलश स्थापना के लिए मिट्टी, एक मटकी, मिट्टी का ढक्कन, कलावा, जटा वाला नारियल, जल, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, एक मिट्टी का दीपक, मौली, अक्षत, हल्दी-चूने से बना तिलक आदि साथ में रख लें ताकि कलश स्थापना के समय किसी चीज की कमी ना पड़े.
अब बात करते हैं, नवरात्रि के आखिरी दिन यानि नवमी को किस तरह पूजा अर्चना करनी चाहिए और पूजा के लिए किन चीजों की आवश्यकता पड़ती है. बहुत से लोग अष्टमी के दिन हवन कर के कन्या को भोजन कराकर अपना नौ दिन का व्रत तोड़ते हैं, कुछ लोग नवमी के दिन हवन करते है और कन्या पूजन कर के अपना व्रत खोलते हैं. आपको बताते हैं हवन के लिए किन किन चीजों की आवश्यकता होती है.
03 सितंबर को महाष्टमी और 04 सितंबर को दुर्गानवमी है, मां भवानी की पूजा अर्चना के लिए ये दोनों ही तिथियां बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. अष्टमी और नवमी को मां महागौरी की पूजा और हवन किया जाता है, नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना के साथ हवन करना जरूरी होता है. ऐसी मान्यता है कि हवन के बिना नवरात्रि की पूजा संपन्न नहीं होती है. ऐसे में चलिए जानते हैं नवरात्रि में हवन सामग्री के बारे में.
नवरात्रि हवन सामग्री
हवन कुंड
चावल/ जौ
लकड़ी
कलवा
गाय का घी
शक्कर
काला तिल
पान का पत्ता
सूखा नारियल
लौंग
इलायची
कपूर
बताशा
और कन्या के भोजन के लिए जो हलवा पूरी बना है उसे भी हवन में डाला जाता है.
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अष्टमी और नवमी का शुभ मुहूर्त
आपको बता दें 2 अक्टूबर से शाम 6 बजकर 47 मिनट से अष्टमी तिथी शुरू हो जाएगी और 3 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 37 मिनट तक रहेगी ऐसे में अष्टमी का व्रत लोग 3 अक्टूबर को ही करेंगे. इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी 4 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 22 मिनट तक ही नवमी है, ऐसे में अष्टमी और नवमी तिथि समाप्त होने से पहले हवन कर लेना चाहिए.