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नवरात्रि के तीसरे दिन होती है माता चंद्रघंटा की पूजा, जाने पूजा विधि वस्त्र के रंग भोग और स्तुति मंत्र

नवरात्रि का तीसरा दिन मां भगवती के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा को समर्पित है. इस दिन माता चंद्रघंटा की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है. आज हम बात करेंगे मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा के बारे में और उनकी पूजा विधि माता को प्रसन्न करने के लिए कौन से रंग के वस्त्र पहनना चाहिए और माता को किस चीज का भोग प्रिय है और स्तुति मंत्र के बारे में.

मां चंद्रघंटा शत्रुओं से करती हैं रक्षा

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना और व्रत किया जाता है, मां चंद्रघंटा की उपासना करने से रोग दूर होते हैं शत्रुओं से मां रक्षा करती हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है अहंकारी का अहंकार नष्ट होता है साथ ही सौभाग्य और शांति समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मनुष्य के व्यवहार में सौम्यता आ जाती है. इनकी पूजा से सारे पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं.

मां चंद्रघंटा की कथा

माता के तीसरे स्वरूप का नाम चंद्रघंटा इसलिए पड़ा क्योंकि इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्र बना हुआ है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा माता कहा जाता है. मां चंद्रघंटा का शरीर सोने की तरह चमकीला और तेजवान है. मां के स्वरुप में तीन नेत्र और दस भुजाएं हैं और हर एक हाथ में कमल का पुष्प गदा, धनुष बाण, त्रिशुल, कमंडल , चक्र और अग्नि आदि शस्त्रों से विभूषित है. शास्त्रों के अनुसार मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार होकर आती हैं और हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहती हैं. शास्त्रों में लिखा है मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का रूप तब धारण किया जब स्वर्गलोक पर दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था, महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करके स्वर्गलोक पर राज करने की इच्छा से देवताओं से युद्ध कर रहा था. सभी देवता भगवान ब्रह्मा विष्णु और महेश के पास अपनी परेशानी लेकर पहुंचे जिसे सुन वे तीनों बहुत क्रोधित हुए और उनके मुख से एक ऊर्जा निकली जिससे एक देवी अवतरित हुई. और इस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशुल विष्णु ने चक्र इंद्र ने अपना घंटा और सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सिंह प्रदान किया. जिसके बाद मां चंद्रघंटा ने युद्ध कर के महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की.

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पूजा विधि

कहा जाता है कि अगर सच्चे मन से मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाए तो मां अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं और उसपर अपनी असीम कृपा बनाए रखती हैं. नवरात्रि के समय मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए उसके बाद अपने पूजा स्थल की सफाई करें. चारों तरफ गंगा जल छिड़क दें उसके बाद माता को धूप दीप, अक्षत, सिंदूर, कमल और पीले गुलाब के पुष्प अर्पित करें इसके बाद दुध से बनी कोई भी मिठाई का भोग लगाए और मंत्रो का जाप करें . इन सबके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ पढ़ें और अंत में पूरे परिवार के साथ मिलकर आरती करें.

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

किस रंग का वस्त्र पहने

मां चंद्रघंटा के स्वरुप वाले दिन पूजा करते समय भूरे या सुनहरे रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. इस रंग का वस्त्र पहने से माता प्रसन्न होती हैं ऐसा माना जाता है. अगर आप के पास इस रंग के वस्त्र नहीं है तो आप किसी भी रंग के वस्त्र पहन सकते हैं ध्यान रखे काले रंग का वस्त्र नहीं पहनना चाहिए.

इस प्रकार आप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है. सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ की गई आराधना से मां अवश्य प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की उनके शत्रुओं से रक्षा करती है.

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पूजा विधि

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स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

किस रंग का वस्त्र पहने

मां चंद्रघंटा के स्वरुप वाले दिन पूजा करते समय भूरे या सुनहरे रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. इस रंग का वस्त्र पहने से माता प्रसन्न होती हैं ऐसा माना जाता है. अगर आप के पास इस रंग के वस्त्र नहीं है तो आप किसी भी रंग के वस्त्र पहन सकते हैं ध्यान रखे काले रंग का वस्त्र नहीं पहनना चाहिए.

इस प्रकार आप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है. सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ की गई आराधना से मां अवश्य प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की उनके शत्रुओं से रक्षा करती है.

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