आपने देखा होगा कि कई बार अपराधी को थर्ड डिग्री देने पर भी पुलिस परेशान हो जाती है, लेकिन वह मुंह खोलकर अपना गुनाह कबूल करने को तैयार नहीं होता. वहीं, कई ऐसे हाईप्रोफाइल मामले भी हैं, जिन्हें खोलने के लिए पुलिस पर जबरदस्त दबाव है, लेकिन उनके सभी खोजी हथियार नाकाम साबित हुए हैं. ऐसे में अपराधी से सच्चाई सामने लाने के लिए Narco Test का सहारा लिया जाता है. इस टेस्ट को Narco Analysis के नाम से भी जाना जाता है.
Narco Test क्या है और कैसे किया जाता है?
Narco Test एक ऐसा टेस्ट है, जिसके जरिए इंसान से सच बाहर निकालने की कोशिश की जाती है. अब हम आपको बताते हैं कि यह टेस्ट कैसे किया जाता है. दरअसल, इस टेस्ट के तहत अपराधी को ट्रूथ सीरम का इंजेक्शन लगाया जाता है, जिसे ट्रूथ ड्रग भी कहा जाता है. इस इंजेक्शन की खुराक शरीर में जाते ही अपराधी अर्धचेतना की स्थिति में चला जाता है. उसका शरीर शिथिल हो जाता है और उसका दिमाग प्रतिक्रिया देने के लिए धीमा हो जाता है ऐसे में वह झूठी बातें गढ़ने की स्थिति में नहीं होता और व्यक्ति सच उगल देता है. माना जाता है कि झूठ बोलने के लिए इंसान को दिमाग से काफी सोचना पड़ता है और बेहोशी जैसी हालत में वह ऐसा नहीं कर पाता, इसलिए इस टेस्ट को सच सामने लाने का बेहतर तरीका माना जाता है. सोडियम पेंटाथल या सोडियम अमाइटल की खुराक इंजेक्शन के जरिए दी जाती है, जो शरीर में जाते ही अपना असर दिखाती है.
बहुत- से Cases में Narco Test फेल हो जाता है
बेशक नार्को टेस्ट को सच्चाई सामने लाने का परखा हुआ तरीका माना जाता है, लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि Narco Test में भी कई मामलों में सच्चाई सामने नहीं आती है. यह सब दवा की खुराक के बाद व्यक्ति की मानसिक स्थिति से जुड़ा मामला है. बहुत से लोग अर्धचेतन अवस्था में भी अपने आप को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं.
कोर्ट का आदेश है जरूरी
हमारे देश यानी भारत में पुलिस कभी भी अपनी मर्जी से किसी अपराधी का नार्को टेस्ट नहीं कर सकती है. इसके लिए उसे कोर्ट के आदेश की जरूरत है. अक्सर किसी बड़े मामले में सच्चाई के करीब जाने के लिए CBI या दूसरी जांच एजेंसियां इस टेस्ट का सहारा लेती हैं. इसके अलावा ब्रेन मैपिंग, जिसे पी-300 टेस्ट भी कहा जाता है, और लाई डिटेक्टर जैसे टेस्ट भी अक्सर अपराधी से सच कबूल कराने के लिए किए जाते हैं.
Narco Test से पहले मेडिकल परीक्षण अनिवार्य
Narco Test से पहले व्यक्ति का मेडिकल परीक्षण भी किया जाता है. यह देखा जाता है कि व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ है या नहीं और वह इस परीक्षण को झेलने के लिए फिट है या नहीं. यदि जांच में शामिल व्यक्ति का स्वास्थ्य इसकी अनुमति नहीं देता है कि परीक्षण किया जा सकता है, तो इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार की जाती है. ऐसे में कोर्ट संबंधित व्यक्ति का नार्को टेस्ट कराने की बिल्कुल भी इजाजत नहीं देता है. इसके अलावा नार्को टेस्ट के दौरान संबंधित व्यक्ति की उम्र, लिंग आदि को भी ध्यान में रखा जाता है.
Narco Test के दौरान रहती है इनकी मौजूदगी
Narco Test कभी भी आइसोलेशन में नहीं किया जा सकता है. इस टेस्ट के दौरान विशेषज्ञों की मौजूदगी बेहद जरूरी है. इनमें जांच अधिकारी, डॉक्टर, फोरेंसिक विशेषज्ञ और मनोचिकित्सक शामिल हैं. ऐसा इसलिए, ताकि Narco Test व्यवस्थित और चिकित्सकीय तरीके से किया जा सके. बाद में इसकी प्रक्रिया पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता. रिपोर्ट में टेस्ट के दौरान मौजूद सभी एक्सपर्ट्स के नाम भी बताए गए हैं.