आज हम आपको जानिए यूक्रेन संकट से जुड़ी मिन्स्क समझौता के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें। और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे।
ऐसा कहा जा रहा है कि रूसी सेना ने यूक्रेन में प्रवेश करने के साथ ही मिन्स्क समझौते को तोड़ा है और आखिर है क्या यह मिन्स्क समझौता और मौजूदा यूक्रेन संकट से इसका संबंध क्या है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन के 2 इलाकों को स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में मान्यता देने और रूसी सेना को वहां भेजने के फैसले से यूक्रेन संकट में आकर संवेदनशील मोड़ ले लिया है संयुक्त राष्ट्र में इसकी निंदा करते हुए अमेरिका ने यह भी कहा कि पुतिन ने मिन्स्क समझौते को तोड़ा है अमेरिका ने कहा कि उसका यह मानना है कि पुतिन इतने पर रुकेगा नहीं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस समय तक उनके फैसलों के वर्ली स्थित का प्रतीक्षा कर रही है. और आगे के कदमों पर विचार कर रहे हैं. कि आगे करना क्या है मिन्स्क समझौता मिन्स्क पूर्वी यूरोप के देश बेलारूस की राजधानी है यहां 2014 में यूक्रेन के पास इलाके में इस समय चल रहे युद्ध को अंत करने के लिए यूक्रेन रूस और यूरोपीय संस्था ने ओएससीआई के बीच एक समझौता हुआ आ था इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध विराम था दोबास रूस से सटा हुआ यूक्रेन का एक इलाका था जहां के 2 छात्रों ने और विभाग में 2014 से अलगाववादी आंदोलन छेड़ा हुआ था. समझौते पर सभी पक्षों के हस्ताक्षर करने के बावजूद युद्धविराम नहीं हुआ. लिहाजा एक और समझौते की जरूरत पड़ी और मिन्स्क द्वितीय नाम के इस समझौते पर 2015 में हस्ताक्षर किए गए.
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध
वैसे तो यह समझौता भी युद्ध में विराम लगाने के लिए असफल रहा लेकिन सभी पक्षों ने यह मान लिया कि भविष्य में मसले का हल निकालने के लिए सभी कोशिश का आधार यही समझौता रहेगा. लेकिन इसमें कई बाधाएं आ सकती है, समझौते के बिंदुओं में से एक यह भी था. कि डोनेस्क और लुहांस्क से भी विदेशी सेनाओं और सैन्य उपकरणों को हटा लिया जाएगा यूक्रेन का कहना है कि इसका संबंध रूप से घनिष्ठ है लेकिन लोग इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं हो रहा कि है कि वह इस समझौते की सफलता में मदद कर भी नहीं सकता क्योंकि वह मसले में सीधे तौर पर शामिल ही नहीं है डोनेस्क और लुहांस्क के आतंकवादी आंदोलन के पीछे भी दो बड़ी घटनाएं शामिल है. पहली घटना यह थी कि यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ भ्रष्टाचार और रूस से करीबी बढ़ाने के लिए आरोपों के विरुद्ध यूक्रेन में 2013 और 14 तक चला यूरोमैदान आंदोलन 2014 में यह आंदोलन यूक्रेन क्रांति के रूप में बदल गया जिसके बाद यानुकोविच को राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ा और यूक्रेन की उस समय की सरकार भी गिर गई.
इस घटना के बाद दूसरी घटना हुई, जो फरवरी और मार्च तक हुई 2014 में रूस ने एक व्यापक अभियान के तहत यूक्रेन के क्राइममियां प्रायद्वीप को अपने कब्जे में कर लिया और वहां चारों तरफ अपनी सेना की कुछ टुकड़ी खड़ी कर दी. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसके लिए रूस की कड़े शब्दों में निंदा की. लेकिन उसने अपने कदम वापस नहीं लिए. मार्च 2014 को बाद से डोनेट और लुहांस्क ने एक रूप समर्थक और स्थानीय सरकार विरोध अलगाववादी आंदोलन शुरू हुआ. धीरे-धीरे यह आंदोलन इन दोनों क्षेत्रों में लड़ाकों और यूक्रेन की सरकार के बीच हिंसक लड़ाई में बदल गया इन आंदोलन को और हवा देने के लिए रूस ने यूक्रेन के विरुद्ध राजनीति और सैन्य अभियान शुरू कर दिया अप्रैल 2014 में यूक्रेन ने जवाबी कार्रवाई की और रूस समर्थक लड़ाकों के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान शुरू कर दिया. अगस्त 2014 तक यूक्रेन ने इस लड़ाई में अपनी पकड़ मजबूत कर ली और रूस समर्थक लड़ाकों के नियंत्रण से दोबास के एक बड़े इलाके को अपने कब्जे में कर लिया लेकिन इसके बाद रूस ने एक बहुत बड़ी टुकड़ी दोबास में भेज दी जिसकी मदद से वहां के अलगाववादियों ने एक बार फिर से कई इलाकों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया.
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