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मां दुर्गा का सातवां स्वरुप मां कालरात्रि की पूजा विधि और उसका महत्व

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा माता, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री. इन्हीं में से एक रूप है, कालरात्रि जिनकी पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है, इन्हें सप्तमी भी कहा गया है. चलिए आप को बताते हैं, नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि माता की पूजा विधि और कथा के बारे में.

पूरे देश में नवरात्रि की धूम मची हुई है. लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार मां दुर्गा की भक्ति में लीन हैं. नवरात्रि में मां भवानी के नौ रूपों की आराधना की जाती है. नवरात्रि का सातवां दिन माता दुर्गा के स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित है. इस दिन कालरात्रि माता की पूजा अर्चना की जाती है.

मां कालरात्रि की कथा

मां दुर्गा ने कालरात्रि का अवतार बुराई का नाश करने के लिए लिया था. उन्होंने अवतार धारण कर शुंभ निशुंभ और रक्तबीज जैसे दानवों का खात्मा किया था. कहा जाता है, रक्तबीज नाम का एक राक्षस था. उससे सभी देवता परेशान हो गए थें, रक्तबीज दानव की एक विशेषता थी, की उसके शरीर से रक्त का एक भी बूंद धरती पर गिरता तो तुरंत उसके जैसा एक और दानव उत्पन्न हो जाता था. इससे परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे भगवान शिव को पता था, कि इस दानव का अंत सिर्फ मां पार्वती ही कर सकती हैं. भगवान शिव ने माता पार्वती से अनुरोध किया तब जाकर माता ने अपने कालरात्रि के स्वरूप को उत्पन्न किया, और रक्तबीज का का अंत किया. माता ने रक्तबीज के शरीर से रक्त जमीन पर गिरने से पहले अपने मुख में भर लिया था.

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कालरात्रि मां का स्वरुप

मां दुर्गा के सातवें स्वरूप को कालरात्रि माता कहा जाता है. मां का रूप भयंकर है उनका रंग काला है, लेकिन ये हमेशा शुभ फल देती हैं. इसलिए इन्हें शुभंकरी कहा जाता है. मां कालरात्रि गधे की सवारी करती है, मां के तीन नेत्र हैं और केश खुले हैं. गले में मुंड माला धारण करती हैं, और इनके गले में विद्युत की अदभुत माला है इनके हाथों में खड्ग और कांटा है.

कालरात्रि माता का महत्व

शत्रुओं और विरोधियों को शांत करने के लिए इनकी उपासना की जाती है, इनकी उपासना से भय, रोगों और बुराईयों का नाश होता है, इनकी उपासना से भूत प्रेत दूर भागते हैं.

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पूजा विधि

मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सवेरे जल्दी उठकर स्नान कर लें उसके बाद पूजा स्थल की सफाई कर के गंगा जल से पवित्र करें, मां के आगे घी का दीप प्रज्ज्वलित करें फल फूल और गुड़ से बने हलवे का भोग लगाना चाहिए, माता को प्रिय है गुड़ का हलवा उसके बाद मां कालरात्रि का ध्यान करें मंत्रों का जाप करें और फिर पूरे परिवार के साथ आरती करें. उसके बाद जो गुड़ के हलवे का भोग लगाया है परिवार के सदस्यों में बांट दें.

इस प्रकार मां कालरात्रि की उपासना कर आप अपने कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं और अपने आस पास की बुराईयों को दूर भगा सकते हैं.

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कालरात्रि मां का स्वरुप

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कालरात्रि माता का महत्व

शत्रुओं और विरोधियों को शांत करने के लिए इनकी उपासना की जाती है, इनकी उपासना से भय, रोगों और बुराईयों का नाश होता है, इनकी उपासना से भूत प्रेत दूर भागते हैं.

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पूजा विधि

मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सवेरे जल्दी उठकर स्नान कर लें उसके बाद पूजा स्थल की सफाई कर के गंगा जल से पवित्र करें, मां के आगे घी का दीप प्रज्ज्वलित करें फल फूल और गुड़ से बने हलवे का भोग लगाना चाहिए, माता को प्रिय है गुड़ का हलवा उसके बाद मां कालरात्रि का ध्यान करें मंत्रों का जाप करें और फिर पूरे परिवार के साथ आरती करें. उसके बाद जो गुड़ के हलवे का भोग लगाया है परिवार के सदस्यों में बांट दें.

इस प्रकार मां कालरात्रि की उपासना कर आप अपने कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं और अपने आस पास की बुराईयों को दूर भगा सकते हैं.

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