जब भी हम बोतल बंद पानी की बात करते हैं तो बिसलेरी की बोतल ही हमारे आंखों के सामने आती है. भारत में सबसे अधिक बोतल बंद पानी में बिसलेरी ब्रैंड ही बिकता है. लेकिन क्या आप को पता है सबसे लोकप्रिय पैकेज्ड वाटर कंपनी बेसलरी बिकने वाली है.
क्या बिक जायेगी बिसलेरी कंपनी
बता दें टाटा ग्रुप ने इंडिया की सबसे बड़ी बोतल बंद पानी की कंपनी बिसलेरी इंटरनेशन में हिस्सेदारी खरीदने का ऑफर दिया है. खबरों की मानें तो कंपनी के अधिकारियों ने इसके बारे में जानकारी दी है. उन्होंने बताया है की टाटा ग्रुप ने हिस्सेदारी अधिग्रहण के लिए बिसलेरी को ऑफर दिया है. अगर ऐसा होता है तो अन्य क्षेत्रों के साथ साथ टाटा ग्रुप को पैकेज्ड वाटर के कारोबार में पैर जमाने का मौका मिलेगा. और अगर इन खबरों पर गौर करें तो आने वाले समय में बिसलेरी कंपनी की हिस्सेदारी शायद टाटा ग्रुप के पास हो.
पारले कंपनी के मालिक रमेश चौहान ने साल 1993 में थम्स अप, लिम्का और गोल्ड स्पॉट जैसे नामी कोल्ड ड्रिंक ब्रांडों को कोका-कोला को लगभग 60 मिलियन डॉलर में बेचा था. थम्स अप देश का सबसे अधिक बिकने वाला कोल्ड ड्रिंक ब्रांड बना हुआ है. खबरों की मानें, तो बिसलेरी के मालिक रमेश चौहान की उत्तराधिकारी योजना कंपनी में हिस्सेदारी कम करने की वजह है. हालांकि, अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है. चौहान पहले ही कर चुके हैं कि अगर वह बिसलेरी में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला करते हैं, तो वो किसी भारतीय को ही इस ब्रांड को आगे ले जाने के लिए चुनेंगे.
बिसलेरी का इतिहास
आज हम बताएंगे बिसलेरी की कहानी कि कैसे पानी बेचकर कमाए करोड़ों रुपए कैसे भारतीय बाजार पर पर बिसेलरी ने अपना कब्जा जमाए रखा है. दरअसल बिसलेरी की शुरुआत होती है भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई से. बता दें भले ही मुंबई में बिसलेरी का पहला वाटर प्लांट देसी हो, लेकिन बिसलेरी नाम और कंपनी विदेशी थी. आप को जानकर हैरानी होगी ये कंपनी पानी नहीं बल्कि मलेरिया की दवा बनाती थी और बिसलेरी कंपनी के फाउंडर थें एक इटालियन बिजनेस मैन Felice Bisleri, बिसलेरी के एक फैमिली डॉक्टर हुआ करते थें डॉक्टर रॉसी वे पेशे से डॉक्टर भले थें लेकिन, उनकी सोच एक बिजनेस मैन की तरह थी. साल 1921 में जब Felice Bisleri की मृत्यु हो गई तो बिसलेरी कंपनी को नए मालिक के रूप में मिले डॉक्टर रॉसी.
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पानी बेचने का आइडिया कैसे आया
जब डॉक्टर रॉसी ने बिसलेरी कंपनी की कमान संभाली तो उनके दिमाग में पानी बेचने का आइडिया आया, उन्हें इस बात का आभास हो गया था कि एक दिन पानी बिकेगा. लेकिन ये काम काफी मुश्किल था. फिर उन्हें साथ मिला भारतीय मूल के वकील खुशरू संतूक का. उस समय भारत आजाद हुआ था ऐसे में पानी बेचने के आइडिया को लोग किसी पागलपन से कम नहीं समझते थें, देश आजाद हुआ था गरीबी थी लोग मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाते थें ऐसे में एक रुपए का पानी का बोतल कौन खरीदता. लेकिन रॉसी अपनी आइडिया पर कायम रहें उन्हें इस बिजनेस का भविष्य बहुत उज्वल नजर आ रहा था. 1965 में वकील खुशरू संतुक की मदद से रॉसी ने मुंबई के ठाणे इलाके में एक बिसलेरी वॉटर प्लांट डाला. खुसरू के द्वारा वॉटर प्लांट बनाने पर लोगों ने उन्हें भी बेवकूफ और पागल समझा, लेकिन बिसलेरी के मालिक ने दूर की सोच रखी थी. दरअसल उस समय मुंबई में पीने का पानी काफी खराब क्वॉलिटी का मिलता था. ऐसे में गरीब और आम इंसान तो ये पानी जैसे तैसे पी लेता था. लेकिन अमीर लोग इस पानी को नहीं पचा पाते थें ऐसे में बिसलेरी का पानी उनके लिए किसी अमृत से कम नहीं था. अब बिसलेरी भारतीय बाजार में बिसलेरी सोडा और पानी लेकर उतर चुकी थी. शुरुआत में ये पानी सिर्फ अमीरों के पहुंच तक ही सीमित था. आम लोग सिर्फ सोडा को पसंद कर रहे थें.
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कैसे आम लोगों में पहुंचा बिसलेरी
मुंबई में बिसलेरी का प्लांट डालने वाले खुसरु को अब इस पानी के बिजनेस में सफलता नजर नहीं आ रही थी वो इसे बंद करना चाहते थें, लेकिन पारले जी के मालिक रमेश चौहान को इस बिजनेस का एक अच्छा भविष्य नजर आया और उस वक्त उन्होंने 4 लाख में बिसलेरी कंपनी को खरीदा लिया और काफी रिसर्च के बाद पारले कंपनी ने देश के कोने कोने में बिसलेरी को पहुंचा दिया. आज पानी बेचकर कंपनी कितना कमाती है इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. एक रुपए में बिकने वाली बोतल अब 20 रूपये में बिकती है. जिस आइडिया को लोगों ने पागलपन कहा था आज वही आइडिया भारत के आधे से ज्यादा मार्केट पर कब्जा जमाए हुए है. और आज पारले का बोतल बंद पानी बिसलेरी भारत का सबसे लोकप्रिय ब्रैंड बन गया. अब आने वाले समय में पता चलेगा कि बिसलेरी के मालिक रमेश चौहान ने बिसलेरी में अपनी हिस्सेदारी किसे देने के लिए चुना है.