केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है, उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित है, उत्तराखंड में इस स्थान पर भगवान शिव का सबसे विशाल मंदिर स्थित है, जो कटवां पत्थरों के विशाल शीला खंडों को जोड़कर बनाया गया था, यहां शिलाखंड भूरे रंग का है, मंदिर लगभग 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर स्थित है, इसका गर्भ गृह बहुत प्राचीन माना गया है, जिसे 80वीं शताब्दी पुराना माना जाता है, केदारनाथ धाम और मंदिर तीनों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है, एक तरफ है करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ है, 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ 22700 फुट ऊंची भारतकुंड है, केदारनाथ धाम में पांच नदियों का संगम भी है, यहां मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी, इन नदियों में से कुछ नदियों का अस्तित्व अब नहीं रह गया है,आज के समय पर यहां अलकनंदा की सहायक नदी मंदाकिनी बस मौजूद है.
केदारनाथ के इतिहास के अनुसार केदारनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है.
केदारनाथ मंदिर के रोचक तथ्य
स्थानीय लोगों का कहना है, कि केदारनाथ मंदिर धाम के पीछे शंकराचार्य की समाधि है, मान्यताओं के अनुसार गुरु शंकराचार्य ने इस केदारनाथ धाम में ही महासमाधि ले ली थी.
2013 में आई बाढ़ के बाद केदारनाथ धाम क्षेत्र प्रभावित हुआ था, लेकिन आश्चर्य की बात यह है, इस आपदा में केदारनाथ धाम को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं हुई थी, शरणार्थी श्रद्धालुओं के लिए केदारनाथ धाम को पूरी तरह से 1 वर्ष के लिए बंद कर दिया गया था.
मंदिर के सामने एक छोटा सा स्तंभ स्थित है जिस पर माता पार्वती और पांचों पांडवों का चित्र बना हुआ है.
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है, कि अभिमन्यु के प्रपौत्र जन्मेजय जोकि परीक्षित के पुत्र थे उन्हीं ने केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था.
400 साल बर्फ के भीतर दबा रहा केदारनाथ धाम
वादिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के रिपोर्ट के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि केदारनाथ धाम लगभग 400 वर्षों तक बर्फ से दबा हुआ था.
मान्यताओं के अनुसार 13वी शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के बीच में ही हिम योग की शुरुआत हुई थी, उस समय पूरा केदारनाथ बर्फ के अंदर ढका हुआ था.
दरअसल इस बात की पुष्टि इस प्रकार हुई कि इस मंदिर की दीवारों पर पीली रेखाएं बनी हुई थी, जोकि लगातार ग्लेशियर के पिघलने से अंकित हुई हैं, इसी आधार पर खोजकर्ता के द्वारा कहा गया कि केदारनाथ मंदिर हिम्मत युग के दौरान 400 वर्ष तक बर्फ के नीचे दबा रहा.