त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है. एक के बाद एक त्योहार दस्तक दे रहे है. अपने संग खुशियां लेकर आ रहे है. आज हम आपको गोवर्धन पूजा से जुड़ी तमाम बातें बताएंगे.
गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्योहार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन दीपावली के ठीक बाद मनाया जाता है. इस बार सूर्य ग्रहण की वजह से गोवर्धन दीपावली से 1 दिन बाद मनाया जा रहा है.इस दिन गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण के रूप में गाय की पूजा का विशेष महत्व है. अन्नकूट महोत्सव इस दिन गोवर्धन, वृंदावन और मथुरा समेत पूरे बृज में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है.
गोवर्धन पूजा की कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में जब इंद्र क्रोधित हो गए और मूसलाधार बारिश की, तो श्रीकृष्ण ने गोकुल निवासियों और गायों की रक्षा के लिए और इंद्र के घमंड का नाश करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया. ब्रजवासियों पर उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से पानी की एक बूंद भी नहीं गिरी, उसकी छाया में सभी गोपिकाएं सुरक्षित थीं. तब ब्रह्माजी ने इंद्र से कहा कि श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर जन्म लिया है, उनसे शत्रुता करना उचित नहीं है. तब श्रीकृष्ण अवतार के बारे में जानकर इंद्र देव को इस कृत्य पर बहुत शर्म आई और उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी. इंद्र के अभिमान को कुचलने के बाद, भगवान श्री कृष्ण ने सभी गोकुल निवासियों के साथ कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 प्रकार के व्यंजन बनाए.
गोवर्धन पूजा का महत्व
दरहसल,गोवर्धन पूजा इसलिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण पूजा है, क्योंकि यह मनुष्य को प्रकृति से जोड़ती है. इसमें प्रकृति की पूजा गोवर्धन पर्वत के रूप में की जाती है. साथ ही इसमें गाय की भी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में, गाय को एक पवित्र जानवर और देवी लक्ष्मी का एक रूप माना जाता है. यह पर्व प्रकृति के साथ-साथ गाय मां के महत्व को भी दर्शाता है. ऐसा माना जाता है कि गाय की पूजा करने से 33 करोड़ देवताओं की पूजा करने के समान फल मिलता है. जो व्यक्ति गोवर्धन पूजा करता है उसके धन, संतान, समृद्धि में कभी कमी नहीं होती और समाज में उसकी कीर्ति बढ़ती रहती है
इस प्रकार जो कोई भी विधि के अनुसार गोवर्धन की पूजा करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति के साथ-साथ भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है. जो व्यक्ति गोवर्धन पूजा को पूरे विधि-विधान से करता है, उसके धन, संतान, समृद्धि और सुख में वृद्धि होती है.
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जानें अन्नकूट के बारे में
अन्नकूट बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की सब्जियां, दूध से बने कन्फेक्शनरी और मावा और चावल का उपयोग किया जाता है. अन्नकूट में मौसमी भोजन, फल और सब्जियां दी जाती हैं. इस दिन गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण के साथ इंद्र, अग्नि, वृक्ष और जल देवता जैसे पृथ्वी पर अन्न उत्पन्न करने वाले सभी देवताओं की भी पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा में इंद्र की पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि अभिमान खोने के बाद इंद्र ने श्री कृष्ण से माफी मांगी और गोवर्धन पूजा में इंद्र की पूजा को आशीर्वाद के रूप में मान्यता दी.
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गोवर्धन पर्वत की पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर शुभ मुहूर्त में गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है. उसके बाद धूप, दीप आदि से विधि के अनुसार पूजा की जाती है. इस पर्व पर अन्नकूट बनाने की भी परंपरा है.
गोवर्धन पूजा की तिथि और मूहर्त
पूजन का शुभ मुहूर्त – 26 अक्टूबर 06:29 से 08:43 तक
इस वर्ष गोवर्धन पूजा बुधवार 26 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी
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