महान गुरु आध्यात्मिक संत और दिव्यदर्शी नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. बाबा के भक्त केवल भारत में नहीं बल्कि दुनिया भर में है और बड़े-बड़े नामचीन लोग भी बाबा की भक्ति में श्रद्धा और विश्वास रखते हैं. बता दे बाबा के दर्शन करने देश के प्रधानमंत्री से लेकर एप्पल के सीईओ और फेसबुक के संस्थापक तक गए हैं.
नीम करोली बाबा खुद को साधारण व्यक्ति भले ही बताते थे परंतु भक्त उन्हें इस युग का दिव्य पुरुष मानते हैं. नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में करीब सन 1900 में एक गरीब परिवार के यहां हुआ था. ऐसा माना जाता है कि बाबा जब 17 साल के थे तभी उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी. बाबा के जीवनकाल और उनकी मृत्यु के बाद भी भक्तों ने अलौकिक और दिव्य चमत्कारों का अनुभव किया. जैसे कि बाबा ने एक बार शिप्रा के जल को गाय का घी बना दिया था. और इतना ही नहीं बल्कि बाबा ने एक बार अपने चमत्कार से बारिश को भी रोक दिया था. और बाबा के चमत्कार यहीं खत्म नहीं होते बल्कि बाबा ने एक बार अपने स्पर्श मात्र से दीप प्रज्वलित कर दिए थे.
नीम करोली धाम
नीम करोली बाबा का आश्रम नैनीताल के कैंचीधाम में स्थित है. बहरहाल कैंची धाम का निर्माण कैसे हुआ बाबा नीम करोली बाबा कैसे बने कहां से आए कैसे इनके चमत्कारों को भक्तों ने जाना इसकी कहानी भी बड़ी रोचक है. वो 60 का दशक था, जब उत्तर प्रदेश के एक गांव में जन्में नीम करौरी बाबा नदी पार कर कैंची धाम पहुंचे उत्तर प्रदेश में जन्में नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. 11 साल की उम्र में उनकी शादी करा दी गई जिसके बाद उन्होंने घर छोड़ दिया. लोगों का कहना है, की कई सालों तक बाबा अलग अलग शहरों में भ्रमण करते हुए एक दिन उत्तर प्रदेश के नीम करोली गांव पहुंच गए. बताया जाता है, की लगभग 15 साल तक बाबा ने उसी गांव में तप किया जिसके बाद से उन्हें लोग नीम करोली बाबा नाम से बुलाने लगे. और उसके बाद वो नैनीताल के कैंची धाम पहुंचे जहां पर उन्होंने मंदिर की स्थापना की.
नीम करोली बाबा का परिवार
नीम करोली बाबा के परिवार में उनके दो बेटे और एक बेटी और उनकी पत्नी थी, उनका बड़ा बेटा अनेक सिंह के साथ भोपाल में रहता है, और उनका छोटा बेटा धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर पद पर था जिनका हाल ही में निधन हो गया.
हनुमान जी के उपासक
नीम करोली बाबा हनुमान जी की पूजा अर्चना किया करते थे, इसलिए उन्हें हनुमान जी का उपासक माना जाता था. साथ ही उनके भक्त उन्हें स्वयं हनुमान का अवतार मानते थे. हालांकि अब नीम करोली बाबा इस दुनिया में नहीं है 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में बाबा जी ने अपना शरीर त्याग दिया था. लेकिन बाबा जी के भक्त आज भी उन्हें उतनी ही श्रद्धा के साथ पूजते हैं.