आज हम आपको “जैन धर्म क्या है?, जैन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई?” के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
जैन धर्म का वर्णन भारत की प्राचीन परंपराओं में किया जाता है, आर्यों के काल में ऋषभदेव और अरिष्टनेमि को लेकर जैन धर्म की परंपरा का वर्णन भी मिलता है. और भारत काल में किस धर्म के प्रमुख शासक नेमिनाथ माने जाते थे. जो कि जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर अरिष्ट नेमिनाथ भगवान कृष्ण के चचेरे भाई थे.
जैन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई?
जैनियों का मानना यह है कि उनकी परंपरा का कोई ऐतिहासिक संस्थापक नहीं है. पहला जैन व्यक्ति पार्श्वनाथ (या पार्श्व) हैं. जो कि जैन धर्म का ऐतिहासिक साक्ष्य है, और यह एक त्यागी शिक्षक भी है, और 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व में रह सकते थे, और सांसारिक चिंताओं के परित्याग के आधार पर एक समुदाय की स्थापना कर सकते थे.
जैन धर्म की स्थापना कब और किसने की?
जैन ग्रंथो के अनुसार वर्तमान में प्रचलित जैन धर्म भगवान आदिनाथ के समय से प्रचलन में आया. यहीं से जो तीर्थंकर परम्परा प्रारम्भ हुई. वह भगवान महावीर या वर्धमान तक चलती रही. जिन्होंने ईसा से 527 वर्ष पूर्व निर्वाण प्राप्त किया था.
जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव को कहा जाता है क्योंकि यह पहले जैन धर्म के तीर्थकर थे. साथ ही यह भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे.
जैन धर्म के स्त्री संस्थापक कौन थे?
पार्श्वनाथ एकमात्र ऐसे शासक थे जिन्होंने नारियों को भी अपने धर्म में प्रवेश दे दिया, क्योंकि जैन ग्रंथ में स्त्री संघ की अध्यक्षा ‘पुष्पचूला’ का उल्लेख मिलता है. यही कारण था कि पार्श्वनाथ को झारखण्ड के गिरिडीह जिले में ‘सम्मेद पर्वत’ पर निर्वाण प्राप्त हो गया.
जैन धर्म का प्राचीन नाम क्या है?
दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म को माना जाता है क्योंकि वेदों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ का उल्लेख मिलता है. माना जाता है, कि वैदिक साहित्य में जिन यतियों और व्रात्यों का उल्लेख मिलता है, वह ब्राह्मण परम्परा के न होकर श्रमण परम्परा के ही थे.
जैन धर्म कितना पुराना है?
जैन धर्म महान भारत के सबसे पुराने धर्मो में से एक है. इतिहासकारो के अनुसार यह पांच हज़ार वर्षों से भी पुराना है. साथ ही यह भी माना जाता है कि जैन धर्म की उत्पत्ति 3000 ईसा पूर्व सिन्धु घाटी सभ्यता के समय हुई थी.
जैन धर्म को मानने वाले राजा?
जैन धर्म को मानने वाले प्रमुख 6 राजा थे, जिनके नाम नीचे दिए गए हैं
- उदायिन
- वंदराजा
- चंद्रगुप्त मौर्य
- कलिंग नरेश खारवेल
- राजा अमोघवर्ष
- चंदेल शासक.
जैन धर्म के प्रमुख उपदेश क्या है?
- जैन धर्म के अनुसार प्रत्येक जैन मतावलंबी को अहिंसा का पालन करना चाहिए.
- मन, वचन और कर्म से हिंसा का पूर्ण त्याग कर देना चाहिए.
- गृहस्थों के लिए स्थूल अहिंसा का विधान है, जिसका अर्थ है, राजा अपराधियों को दण्ड दे सकता है, हिंसक जन्तुओं को मार सकता है, और जनता की रक्षा करने के लिए हिंसा कर सकता है.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको “जैन धर्म क्या है?, जैन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई?” की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.
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