भारतीय दंड संहिता की धारा 151 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति ऐसी किसी गैंग या सभा में शामिल होता है या पहले से ही शामिल होता हैं जिसमें पांच या उससे ज्यादा लोग शामिल हो और उनका मु्ख्य उद्देश समाज में विवाद करवाना या कोई भी सामूहिक कार्य को बिगाड़ना हो.
ऐसी व्यक्तियों पर धारा 151 के तहत केस दर्ज किया जाता है, IPC Section 151 इस संहिता को प्रदान किया गया एक उपहार है, जो संहिता को समाज में विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रदान किया गया है.
लागू अपराध
पांच या अधिक व्यक्तियों के किसी जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दे दिया गया हो में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना
सजा – छह महीने कारावास या जुर्माना या दोनों
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है.
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.
धारा 151 के अनुसार गिरफ़्तारी की प्रक्रिया
इस धारा का मुख्य उद्देश्य उन सभी लोगों को सजा दिलवाने का होता है, जो समाज में अशांति फ़ैलाने का कार्य करते रहते हैं, जब किसी समाज में किसी गैर क़ानूनी जन सभा द्वारा कोई अपराध को अंजाम दिया जाता है, जिसमें सभी अपराधियों का एक जैसा उद्देश्य हो, तो ऐसे अपराधियों को पुलिस के अधिकारी प्रथम सूचना रिपोर्ट होने के बाद गिरफ्तार कर सकते हैं, और यदि प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं की गयी है, और पुलिस को अपराध के बारे में कहीं और से कोई जानकारी प्राप्त होती है, तो ऐसी स्तिथि में पुलिस अधिकारी न्यायालय से उन आरोपियों के खिलाफ गिरफ़्तारी का वारंट बनवा सकते हैं, जिसके आधार पर उन सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सकता है. किन्तु गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को 24, घंटे के भीतर ही न्यायालय में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना अनिवार्य होता है. यह एक अपराधी को भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार में अनुच्छेद 22 में दिया गया अधिकार है, अगर कोई पुलिस का अधिकारी ऐसा नहीं करता है, तो उस अधिकारी के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है.
धारा 151 के अंतर्गत सजा और जमानत का प्रावधान
सामान्यतः धारा 151 के अनुसार जहाँ कोई व्यक्ति कोई ऐसे समूह में शामिल होता है, जिसमें पांच या पांच से अधिक लोग जुड़े हुए हों, और जिनका मुख्य उद्देश्य जन शांति को भंग करना होता है. जब कोई गैर क़ानूनी जन सभा किसी समाज के लोगों में अशांति फ़ैलाने की कोशिश करती है, तो वहाँ की पुलिस ऐसे सभी अपराधियों को जो किसी भी प्रकार से उस गैर क़ानूनी जन सभा से जुड़े हुए हैं, तो ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 151, के अनुसार कारावास की सजा का प्रावधान दिया गया है, और जिसकी समय सीमा को 6 बर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और कारावास के साथ ही आर्थिक दंड का प्रावधान भी दिया गया है, यह आर्थिक दंड न्यायालय अपने विवेक से और अपराधी की हैसियत और उसके जुर्म की गहराई को देखकर निश्चित करती है. इस धारा के अंतर्गत आने वाले आरोपी को जमानत देने का भी प्रावधान दिया गया है, क्योंकि यह बहुत अधिक संगीन अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, जिससे इस धारा के मामले में जमानत मिलने के अवसर और अधिक बढ़ जाते हैं. एक व्यक्ति जमानत लेने के लिए जमानत के सभी चरणों का पालन करते हुए अपनी जमानत प्राप्त कर सकता है.