गुह्येश्वरी शक्तिपीठ को हिंदू धर्म के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक माना गया है, यह शक्तिपीठ नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास बागमती नदी की दूसरी तरफ स्थित है, गुह्येश्वरी शक्तिपीठ के पास ही सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित है, इस स्थान पर ब्रह्मा जी ने शिवलिंग की स्थापना की थी, महामाया गुजरेश्वरी मंदिर ऐसे स्थान पर देवी सती के दोनों घुटने गिरे हुए थे, इसकी शक्ति है महशिरा और भैरव को कपाली कहा जाता है.
किस प्रकार हुआ इस शक्तिपीठ का निर्माण
महादेव की पत्नी देवी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई, जब सब शिवजी को यह सब पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया, बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे, जिस स्थान पर माता सती के अंग और आभूषण गिरे थे वह स्थान शक्तिपीठों में निर्मित हो गए, यदि पौराणिक कथाओं की मानें तो उनके अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जिसे भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें से 51 शक्तिपीठों का ज्यादा महत्व माना गया है.
नेपाल- महामाया गुह्येश्वरी
नेपाल राज्य में पशुपतिनाथ मंदिर के पास स्थित गुजरेश्वरी मंदिर जहां देवी सती के दोनों घुटने गिरे थे, महशिरा और भैरव को कपाली कहते हैं, इस स्थान का सही नाम गुह्येश्वरी है, गुह्येश्वरी दो शब्दों से मिलकर बना है गुह्या और ईश्वरी इन्हें गुह्याकाली के नाम से भी जाना जाता है, मान्यता है कि यह तांत्रिकों की देवी मानी जाती है, ऐसा माना जाता है कि यहां देवी सती के शरीर का संधिस्थल भी गिरा था.
पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के दूसरी तरफ इस मंदिर में विराजमान देवी नेपाल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा की जाती है, माना जाता है कि गुह्येश्वरी शक्तिपीठ करीबन 25 वर्ष पुराना है, यह काठमांडू में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में से भी एक है, 17वीं सदी में राजा प्रताप मल्ला ने अपने शासनकाल में इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था, इसके बाद कांतिपुर के नौवें राजा ने पैगोडा शैली में बने इस मंदिर में जीर्णोद्धार करवाया था.