दिल्ली शराब नीति घोटाले में सीबीआई के बाद अब ईडी भी एक्शन में आ गई है. जी हां मंगलवार को ED ने राजधानी दिल्ली समेत देश भर के 35 ठिकानों पर शराब कारोबारियों पर एक्शन लेते हुए छापेमारी की.
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच बवाल
दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच तनातनी शराब के ठेके तक पहुंच है. जी हां नई शराब नीति को लेकर घमासान शुरू है, पहले सीबीआई की छापेमारी अब ED के निशाने पर हैं, शराब कारोबारी. दिल्ली समेत 35 ठिकानों पर छापेमारी की जिसमें दिल्ली, पंजाब, लखनऊ, गुरुग्राम, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु शामिल है. कथित शराब घोटाले के खिलाफ केंद्र सरकार अब अपनी जांच तेज करती नजर आ रही है. ED के छापेमारी के बीच मनीष सिसोदिया का बयान भी आया उन्होंने कहा. ” पहले CBI की छापेमारी में कुछ नहीं मिला अब ED की छापेमारी में भी कुछ नहीं मिलेगा”.
मनीष सिसोदिया भी आरोपों के घेरे में
आप की जानकारी के लिए बता दें बीजेपी पार्टी हमेशा से दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति पर सवाल खड़े कर रही है. इस मामले पर पिछले दिनों बीजेपी ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर भी घोटाले का आरोप लगाया था. जिसके बाद सीबीआई ने सिसोदिया के घर व बैंक पर छापेमारी की थी. अब इस मामले में ED की एंट्री हुई है. बीजेपी ने एक स्टिंग ऑपरेशन जारी कर मनीष सिसोदिया पर गंभीर आरोप लगाए थें, ऐसे में अंदेशा लगाया जा रहा है. कि मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. क्योंकि CBI की जांच रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया आरोपी नंबर एक हैं. ऐसे में हो सकता है. कि ED इनके घर भी छापेमारी करने पहुंच जाए. सूत्रों की माने तो जो पूर्व एक्साइज अधिकारी थें. उनके घर भी छापेमारी हुई है, ऐसे कई पूर्व अधिकारी हैं, जो ED के निशाने पर हैं. चलिए जानते हैं, ये पूरा मामला हैं क्या.
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क्यों नई आबकारी नीति पर मचा है बवाल
दिल्ली के नई आबकारी नीति को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच घमासान शुरू है. उपराज्यपाल बीके सक्सेना और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के बीच वादविवाद जारी है. उपराज्यपाल ने ही दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए थें. साथ की इस नई आबकारी नीति बनाने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने के आदेश जारी किया गया था .
क्या है नई आबकारी नीति
दरअसल दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 से नई आबकारी नीति लागू करने के बाद से शराब व्यापार से अपने आप को अलग कर लिया है. पॉलिसी लागू होने के बाद से दिल्ली सरकार द्वारा चलाई जा रही लगभग 600 दुकानों को बंद कर दिया गया. दिल्ली सरकार की इसके पीछे ये सोच थी कि शराब बिक्री को और आकर्षित बनाकर ज्यादा से ज्यादा राजस्व को बढ़ावा देगी. नई नीति के अंतर्गत दिल्ली सरकार ने 850 नई शराब की दूकानों को रिटेल लाइसेंस दी थी. इनमें से 266 प्राइवेट शराब के ठेके को लाइसेंस दिए गए थे. इन शराब की दूकानों को 32 जोन में बांटा गया. शराब की दूकानों में पांच सुपर प्रीमियम शॉप शामिल हैं. कुछ दुकानों को 24 घंटे खोलने की अनुमति दी गई है, तो कुछ बार और होटल को रात 3 बजे तक चलने की अनुमति दी गई है. ये बार चाहें तो अपनी छत और बालकनी में भी शराब दे सकते हैं.
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नई नीति को लेकर विपक्ष ने लगाए आरोप
इस नई पॉलिसी पर विपक्ष पार्टियों ने दिल्ली सरकार पर शराब कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है,और कहा कि इससे युवा गलत रास्ता अपना सकते हैं. विपक्ष का ये भी आरोप है, कि नई आबकारी नीति से दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा करता है. और इन्हीं वजहों को गिनाते हुए केंद्र सरकार अब दिल्ली सरकार को घेरती दिख रही है. तभी तो अब इस मामले में पहली बार ED की एंट्री की गई है.
बहरहाल शराब बेचना या ना बेचना और कैसे बेचना है, ये राज्य सरकार पर निर्भर करता है, लेकिन ये भी सच है कि सरकार का सबसे बड़ा सोर्स ऑफ इनकम अल्कोहल ही है.