इंसान के अंदर लाख अच्छाई हो लेकिन उसकी एक बुराई उसकी सभी अच्छाइयों पर हावी हो जाती है, ऐसा ही कुछ हुआ लंकापति रावण के साथ रावण के अंदर ऐसे कई गुण थें जो उसे सबसे अगल और शक्तिशाली बनाते थें लेकिन उसकी एक गलती और उसके अंदर की छुपी बुराई ने उसे उसकी पतन की ओर ले गई और राम के हाथों उसका वध हो गया.
रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है इसलिए दशहरा के दिन रावण के पुतले को जलाया जाता है ताकि हमारे समाज से बुराई नष्ट हो जाए. लेकिन क्या आप को पता है रावण के अंदर ऐसी कई अच्छाइयां थी जो उसे सबसे महान बना सकती थीं उसके अंदर ज्ञान का भंडार था. आज के युग में रावण बनना भी आसान नहीं है अगर आज के समय में लोग रावण की बुराईयों को ना देखते हुए उसकी अच्छाइयां अपना ले तो हमारे आस पास इतनी बुराई ना रहे.
रावण की अच्छाइयां
विद्यावान
परम ज्ञानी परम प्रतापी रावण महाविद्यवान था उसके पास ज्ञान का भंडार था प्रकांड विद्यावान और एक महाज्ञानी पंडित था. शास्त्र में कहा गया है कि रावण के दस सिर उसके 6 शास्त्र और 4 वेद का ज्ञान ही है.
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शिव भक्त
वैसे तो हम सब ने बहुत शिव भक्त देखे हैं लेकिन रावण जैसा शिव भक्त मिलना आसान नहीं लोग बेल पत्र, दूध दही और जल से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं लेकिन रावण एक ऐसा भक्त था जो अपने सिर से अभिषेक करता था अपना सिर काटकर भगवान के चरणों में अर्पित कर देता था भगवान शिव का परम भक्त था.
बलवान
रावण बहुत बलवान था जब वो चलता था तो पृथ्वी हिल जाती थी. बुद्धि के साथ उसके पास आपार शक्ति थी वो महाबलवान था. इसलिए रावण की तरह शक्तिशाली बने ताकि किसी भी परिस्थिति में अपने परिवार और अपनी रक्षा कर सके ना कि उसकी बुराईयों को अपने अंदर पनपने दें.
एकता
रावण की चौथी सबसे अच्छी विशेष थी की उसका एक विशाल परिवार था और वह सबको एक कुटुंब में लेकर चलता था आज के समय में कई लोग चार पांच सदस्यों वाले परिवार को एक साथ नहीं लेकर चल पाते हैं रावण के परिवार में लाखों सदस्य थें और सब एक साथ रहते थें. रावण के पास एक लाख पुत्र और सवा लाख नाती थें और सब एक जगह रहते थें बड़ा परिवार होना बड़ी बात नहीं है बल्कि उन्हें एक साथ एकत्रित रखना महान काम है रावण में वो खूबी थी की वो सबको जोड़ कर रखता था.
कुशल आचार्य
रावण एक योग्य आचार्य भी था इसने शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने के अलावा अन्य कई तंत्र ग्रंथों की रचना की रावण ने ये विद्या भगवान सूर्य से सीखी थी.
तपस्या
रावण इतना तपस्वी था कि रावण के समय में यम और सूर्य भी उसकी तपस्या के तेज के आगे फीके रहते थें .
अच्छा शासक
रावण एक कुशल शासक भी था असंगठित राक्षस समाज को एकत्रित कर के उनके कल्याण के लिए कई कार्य किए अपने राज्य की जनता के सुख समृद्धि के लिए काम करता था.
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सीता को छुआ तक नहीं
माता सीता को अपहरण कर दो वर्ष तक कैद में रखने के बाद भी रावण ने सीता को छूआ तक नहीं स्त्री को बिना उसके मर्जी के ना छूने का प्रण रावण में था.
रावण में इतनी विशेषताएं होने के बाद भी उसकी मृत्यु हो गई और वजह अहंकार था व्यक्ति में अगर अहंकार आ गया तो उसका पतन होना निश्चित है.