भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग शिव जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, यह महाराष्ट्र के पुणे से 110 किलोमीटर दूर पर्वत पर स्थित है, यह मंदिर मोटेश्वर महादेव के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि इस मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग काफी बड़ा और मोटा है, यह ज्योतिर्लिंग शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से छठा ज्योतिर्लिंग माना जाता है, इन 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए हैं.
यहां पर सावन महीने में भारी संख्या में भक्तों की भीड़ लगती है, मंदिर के समीप एक नदी बहती है जिसे भीम नदी के नाम से जाना जाता है, यह नदी कृष्णा नदी में जाकर मिली है, इस मंदिर का शिवलिंग काफी मोटा और बड़ा है, इसी वजह से इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास
इस स्थान पर भीमा नाम के राक्षस का भगवान शिव ने वध किया वह स्थान देवताओं के लिए भी पूज्यनीय बन गया और सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव से प्रार्थना की, भगवान उस स्थान पर शिवलिंग के रूप में विराजमान हो, भगवान शिव ने सभी देवताओं की प्रार्थना को मानकर उसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए तभी से इस स्थान को भीमाशंकर नाम से प्रसिद्ध हो गया है.
भीमाशंकर मंदिर भारत का ऐतिहासिक एवं पवित्र मंदिर है, महाराष्ट्र के पुणे जिले से 110 किलोमीटर की दूरी पर है, भारत में भीमाशंकर नाम के दो मंदिर प्रसिद्ध है, एक महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है, और दूसरा आसाम के कामरूप जिले में स्थित है, आसाम को प्राचीन समय में कामरूप के नाम से जाना जाता था.
मराठा साम्राज्य छत्रपति शिवाजी ने भीमाशंकर मंदिर बनवाया था, भीमाशंकर मंदिर के दर्शन करने वाले सभी भक्तों के लिए महाराज शिवाजी ने कई प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई है, मराठा पेशवाओं के राजनेता फड़णवीस ने 18वीं शताब्दी भीमाशंकर मंदिर के शिखर का पुनः निर्माण कराया था.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ रोचक जानकारियां
शिव पुराण के अनुसार सूर्योदय के बाद जो भी यहां सच्ची श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति प्रदान होती है.
सावन के महीने में इस स्थान पर भक्तों की भारी संख्या में भीड़ लगती है इस मंदिर के बगल से एक नदी बहती है जिसका नाम भीमा नदी है.
भीम ने ब्रह्मा जी को प्रसन करने के लिए 1000 वर्षों तक सह्मादी पर्वत पर तपस्या की थी.
ऐसा कहा जाता है कि राक्षस भीम और भगवान शिव की लड़ाई के बाद भगवान शिव के शरीर से निकले पसीने के एक बूंद से भीम रची नदी का निर्माण हुआ था,
इस मंदिर के पास ही एक कमलजा मंदिर भी है, की बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है, क्योंकि कमलजा माता पार्वती का अवतार है.
यहां पर गुप्त भीमाशंकर, हनुमान क्षील, साक्षी विनायक आदि प्रसिद्ध स्थल स्थित है.