आज हम आपको Basant Panchami Essay In Hindi – बसंत पंचमी पर निबंध, बसंत पंचमी का महत्व, बसंत पंचमी पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
बसंत पंचमी का आगमन
हम आपको बता दें कि माघ शुक्ल पंचमी दिनांक को ही ‘बसंत पंचमी’ कहते हैं, बसंत पंचमी वसंत ऋतु के आगमन के सूचक का कार्य करता है, ऋतु गणना में चैत्र और वैसाख, दो मास वसंत के होते हैं, साथ ही ऐसा भी माना जाता है, कि ऋतुराज बसंत के अभिषेक और अभिनंदन के लिए शेष पाँच ऋतुओं ने अपनी आयु के आठ दिन वसंत को समर्पित कर दिए. इसलिए बसंत पंचमी चालीस दिन पूर्व प्रकट हुई. जिसके कारण यह तिथि चैत्र कृष्णा प्रतिषंदा से चालीस दिन पूर्व माघ शुक्ला पंचमी को होती है.
श्री पंचमी भी कहते है
हम आपको बता दें कि बसंत पंचमी तब होती है, जब सूर्य भूमध्य रेखा के ठीक आमने सामने आ जाता है. और वसंत भारत का ही नहीं बल्कि विश्व-वातावरण के परिवर्तन का द्योत्तक होता है. कभी-कभी ऐसा भी होता है, कि बृहत्तर भारत में माघं के शुक्ल पक्ष में वसंतागम होता है. और माघ शुक्ल पंचमी को वसंत आगमन के उपलक्ष्य में ‘अभिनन्दन पर्व ‘ रूप में प्रस्थापित किया गया होता है, यही कारण है कि इससे बसंता गमन की पूर्व सूचना के नाम से जाना जाता है, और इसे ‘श्री पंचमी’ कहते है.
बसंत पंचमी का महत्व
हम आपको बता दें कि बसंत पंचमी का हिंदुओं में बहुत ही महत्व माना जाता है, क्योंकि यह हिंदुओं का सबसे शुभ त्यौहार होता है. इस त्यौहार को अत्यधिक हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. और ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी सरस्वती मां से संबंधित है, इसलिए इस दिन संगीत, ज्ञान, कला, विद्या, वाणी और ज्ञान की देवी माता सरस्वती (Maa Saraswati ) की पूजा आराधना भी की जाती है. बसंत पंचमी के दिन लोग पीले कपड़े पहनते हैं, क्योंकि इस रंग का बसंत पंचमी में बड़ा महत्व होता है, इस दिन भारत के प्रत्येक घर में तरह-तरह के स्वादिष्ट मिठाइयां बनाई जाती है, और माता सरस्वती को चढ़ाई जाती है.
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बसंत पंचमी पूजा विधि
हम आपको बता दें कि बसंत पंचमी की पूजा करने की भी अपनी एक विधि होती है, जिसके अनुसार पूजा करनी चाहिए, वह विधि नीचे निम्नलिखित रूप में दी गई है:-
- बसंत पंचमी के दिन सभी लोगों को सुबह स्नान करके माता सरस्वती की पूजा करनी चाहिए.
- उसके पश्चात मां सरस्वती के मूर्ति में पीले वस्त्रों को चढ़ाना चाहिए, और पीले फूलों से सजाना चाहिए.
- बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती कई तरह की चीजें चढ़ाना चाहिए, जैसे- रोली, चंदन, हल्दी, केसर, पीले या सफेद फूल आदि चढ़ाने चाहिए. और साथ ही पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए.
- बसंत पंचमी के दिन जिस स्थान पर मां सरस्वती की पूजा की जाए उसी स्थान पर वाद्य यंत्र और मां सरस्वती की पुस्तक को रखकर पूजा करनी चाहिए.
- पूजा करने के बाद मां सरस्वती को भोग लगाएं और वह भोग स्वयं भी आशीर्वाद के रूप में खाएं.
बसंत पंचमी का दिन
हम आपको बता दें कि प्राचीन समय से ही बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनने की प्रथा चली आ रही है, परंतु बढ़ती हुई आधुनिकता के कारण यह प्रथाएं लुप्त होती जा रही हैं, परंतु यह प्रथा गांवों में नहीं लुप्त हुई है, आज भी गांवों में बसंत पंचमी के दिन औरतें पीले वस्त्र पहनती हैं, और हलुआ, पीले चावल तथा केसरिया खीर खाकर बसंत पंचमी के त्योहार को हर्षोल्लास से मनाती हैं. और अपने उमंग को प्रकट करती है.
बसंत पंचमी मनाने का पौराणिक कारण
प्रचलित मान्यता के अनुसार, इस त्योहार की उत्पत्ति आर्य काल में हुई, आर्य लोग कई अन्य लोगों के बीच सरस्वती नदी को पार करते हुए खैबर दर्रे से होकर भारत में आकर बस गए, एक आदिम सभ्यता होने के नाते, उनका अधिकांश विकास सरस्वती नदी के किनारे हुआ, इस प्रकार, सरस्वती नदी को उर्वरता और ज्ञान के साथ जोड़ा जाने लगा, तब से बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाने लगा, पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन से जुड़ा एक लोकप्रिय कालिदास कवि के साथ जुड़ा हुआ है, छल के माध्यम से एक सुंदर राजकुमारी से शादी करने के बाद, राजकुमारी ने उसे अपने बिस्तर से बाहर निकाल दिया, क्योंकि उसे पता चला कि वह मूर्ख था. इसके बाद, कालिदास आत्महत्या करने के लिए चले गए, जिस पर सरस्वती पानी से बाहर निकलीं और उन्हें वहां स्नान करने के लिए कहा. सरस्वती नदी के पवित्र जल में डुबकी लगाने के बाद कालिदास को ज्ञान की प्राप्ति हुई, और वह ज्ञानी बन गए जिसके बाद उन्होंने कविता लिखना शुरु कर दिया. इस प्रकार बसंत पंचमी को शिक्षा और शिक्षा की देवी माँ सरस्वती की वंदना करने के लिए मनाया जाता है।
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बसंत पंचमी त्योहार का आधुनिक स्वरुप
आज के समय में, यह त्यौहार किसानों द्वारा बसंत के मौसम के आने पर मनाया जाता है, बसंत पंचमी बड़े पैमाने पर भारत के उत्तरी भागों में मनाया जाता है, इस त्यौहार के दिन कई लोग ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, और मां सरस्वती के नाम पर अनुष्ठान या भंडारा आयोजित करवाते हैं.
बसंत पंचमी के दिन पीला रंग इस प्रमुख त्यौहार के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है, इस रंग का मूल खेतों में उगने वाली सरसों के फूल से माना जाता है, जो बसंत के समय में पंजाब और हरियाणा में देखा जा सकता है, पतंगबाजी भी आमतौर पर इस त्योहार से जुड़ी होती है, बच्चों के साथ-साथ वयस्क भी इस दिन पतंग उड़ाते हैं, ताकि आजादी और आनंद मनाया जा सके.
इस दिन से जुड़ी एक और परंपरा युवा में पढ़ाई शुरू करने की है, छोटे बच्चे अक्सर इस दिन से लिखना सीखना शुरू करते हैं, जिसका कारण यह माना जाता है, कि मार्च के महीने में स्कूल सत्र शुरू होते हैं, इस दिन पीले रंग की मिठाई भी वितरित की जाती है, और गरीबों को किताबें और अन्य साहित्यिक सामग्री दान करते हुए भी देखा जा सकता है.
उपसंहार
बसंत पंचमी के त्यौहार में ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा पूरे देश में की जाती है, इस दिन परिवार के सभी व्यक्ति पीले वस्त्रों को धारण करते हैं, और साथ ही पीली मिठाइयों का सेवन करते हैं, इस त्यौहार के दिन पीले रंग को अत्यंत महत्व दिया गया है, सभी लोग इस त्यौहार को बड़े ही आनंद और उल्लास के साथ मनाते हैं, बसंत पंचमी के दिन नवजात शिशुओं को पढ़ना और लिखना सिखाया जाता है, क्योंकि यह दिन मां सरस्वती का माना जाता है, बसंत पंचमी का आनंद लेने के लिए सभी लोग पतंग उड़ाते हैं.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको Basant Panchami Essay In Hindi – बसंत पंचमी पर निबंध की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.