आज हम आपको Essay On Child Marriage In Hindi – बाल विवाह पर निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कारों में विवाह संस्कार का विशेष महत्त्व माना गया है. वैदिक काल में विवाह संस्कार पवित्र भावनाओं का परिचायक माना गया था, परन्तु परवर्ती काल में इसमें अनेक बुराइयाँ एवं कुप्रथाएँ को शामिल कर दिया गया, और इन्हें विकृतियों के फलस्वरूप हमारे देश में अनमेल विवाह तथा बाल विवाह का प्रचलन हुआ, जो कि हमारे सामाजिक सांस्कृतिक जीवन के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप साबित हुआ.
बाल विवाह की कुप्रथा
हम आपको बता दें कि बाल विवाह प्रथा का सबसे ज्यादा प्रचलन मध्यकाल में हुआ था, जब विदेशी विधर्मी यवन तुर्क आक्रान्ताओं ने अपनी वासना की पूर्ति करने के लिए लड़कियों का अपहरण एवं जबर्दस्ती का सम्बन्ध बनाने की एक गंदी चाल चली, इस कारण भारतीय समाज में अशिक्षित एवं अशक्त लोगों ने अपनी कन्या को बेटी रोटी संबंध कुचल से बचाने के लिए अपने कन्या का बालपन में ही विवाह करना उचित समझा दहेज प्रथा के कारण भी बाल विवाह का प्रचलन हुआ, इस काल में कन्याओं का जन्म अशुभ माना जाने लगा. बालक बालिका पूर्णतया नासमझ रहने से अपने विवाह संस्कार का पूर्ण रूप से विरोध भी नहीं कर पाते थे. और साथ ही बाल विवाह में अधिक दहेज भी नहीं देना पड़ता था. और यही कारण था कि यह कुप्रथा निम्न मध्यम वर्ग के विशेष रूप से प्रचलित होने लगी.
बाल विवाह का अभिशाप
हम आपको बता दें, कि 16 संस्कारों में से विवाह संस्कार में कन्यादान को बहुत ही पवित्र और मांगलिक माना गया है, इस अवसर पर कन्या के माता–पिता अपनी सामर्थ्य के अनुसार कन्या को को कुछ उपहार भी देते हैं. यह प्रथा उत्तरोत्तर विकृत होती रही, फलस्वरूप लोग कन्या को भार मानने लगे तथा बालपन में ही उसका विवाह करवा कर अपने कर्त्तव्य से मुक्त होने लगे थे. परन्तु इस गलत परम्परा से समाज में अनेक समस्याओं का जन्म होने लगा, जैसे कि बचपन में ही विवाह हो जाने से कम उम्र में ही सन्तानोत्पत्ति होने लगती थी. और यह जनसंख्या की सीमित वृद्धि तथा निम्न वर्ग के जीवन स्तर में निरन्तर गिरावट का एक मुख्य कारण भी बन गया था. इन सब बुराइयों को देखने से बाल विवाह हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप साबित कर दिया गया.
बाल विवाह समस्या के निवारण के उपाय
बाल विवाह की इस कुप्रथा को देखकर समय-समय पर इस प्रथा को सुधारने के लिए समाज सुधार को ने जन जागरण के उपाय भी अपनाएं, साथ ही बाल विवाह के इस कुप्रथा को बंद करने के लिए भारत सरकार ने भी कुछ कदम उठाए और बाल विवाह के संबंध में कठोर कानून बनाया, भारत सरकार के इस कानून के अंदर विवाह में लड़की की उम्र 18 वर्ष से अधिक और लड़के की उम्र 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, अगर इससे कम की उम्र में विवाह किया गया तो वह कानूनन अपराध माना जाएगा, फिर भी लोग इस कानून को ना मानते हुए बाल विवाह कर रहे हैं. जिसका पुख्ता सबूत यह है कि अकेले राजस्थान के गांव वैशाख मास में अक्षय तृतीया 1 हजार से भी अधिक बाल विवाह होते हैं. हम आपको बता दें कि बाल विवाह जैसी बड़ी समस्या का निवारण जन जागरण से ही संभव है, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार अब विवाह का पंजीकरण करना कानूनन अनिवार्य हो गया है. इससे भी अब बाल विवाह पर रोक लग सकती है. बाल विवाह रोकने के और भी कठोर उपाय सरकार द्वारा किये जाने चाहिए. और साथ ही समाज सुधारकों को इस दिशा में अधिक से अधिक प्रयास करना चाहिए.
उपसंहार
हम आपको बता दें कि बाल विवाह एक ऐसी कुप्रथा मानी गई है, जिससे लड़के और लड़की का भविष्य अन्धकारमय बन जाता है. इससे समाज में कई विकृतियाँ आ जाती हैं, और साथ ही कभी- कभी यौनाचार भी हो जाता है. अतः इस कुप्रथा का निवारण अपेक्षित होगा, तभी समाज को इस अभिशाप से मुक्त कराया जा सकता है.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको Essay On Child Marriage In Hindi – बाल विवाह पर निबंध की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.
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