कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन अहोई व्रत रखा जाता है हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल अहोई व्रत आज यानि 17 अक्टूबर दिन शनिवार को रखा जाएगा, शास्त्रों में बताया गया है इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है और परिवार की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है. अहोई व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और उज्वल भविष्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और तारा दिखने के बाद ही व्रत खोलती हैं.
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन निर्जला व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं ऐसा माना जाता है यह व्रत माता अहोई की आरती के बिना पूरा नहीं होता है.
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त और तारों का समय
वैदिक पंचांग अनुसार अहोई अष्टमी 17 अक्टूबर 2022 में अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.00 से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 17 अक्टूबर सुबह 05 बजकर 11 मिनट से लेकर 18 अक्टूबर सुबह 06 बजकर 32 मिनट तक रहेगा इन योगों को ज्योतिष में विशेष माना जाता है है साथ ही इस योग में पूजा करने से मनुष्य को दोगुना फल की प्राप्ति होती है.
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करें ये उपाय
अहोई अष्टमी के दिन विधिवत पूजा और व्रत का पालन करें पूजा करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती को दूध भात का भोग लगाएं साथ ही शाम के समय पीपल के पेड़ की नीचे दीपक जलाएं पूजन के समय अहोई माता को सफेद फूल चढ़ाए इससे शुभ और लाभ सूचना की प्राप्ति होती है.
शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करें
भगवान शिव के शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करना शुभ माना जाता है इस काम को अहोई अष्टमी से लेकर भैया दूज तक किया जाता है जिसका शुभ परिणाम भगवान शिव और माता गौरी की ओर से प्राप्त होता है.
पूजा सामग्री
अहोई अष्टमी व्रत के दिन आपको अहोई माता की तस्वीर चाहिए होता है इसके अलावा चांदी का स्यायु माला, दीपक , करवा , कलश,रोली, अक्षत कुमकुम,धूप, कलवा,श्री फल माता को चढ़ाने के लिए श्रृंगार का सामान, बायना, 14 पूरी और 8 पुए , खीर या हलवे का भोग लगाएं इसके साथ एक कटोरी चावल मूली, सिंघाड़ा या कोई भी मौसमी फल वस्त्र आदि के साथ कुछ दक्षिणा रखें.
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पूजा विधि
जो महिलाएं ये व्रत रखती हैं उन्हें प्रातः काल उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाना चाहिए और उसके बाद स्नान कर के स्वच्छ कपड़े पहने उसके बाद आप अपनी रोज वाली पूजा करें और निर्जल व्रत का संकल्प लें आपको बता दे अहोई व्रत की पूजा की तैयारियां सूर्यास्त से पहले सम्पन्न हो जानी चाहिए शाम के समय पूजा स्थान को साफ सुथरा कर के गंगा जल से पवित्र कर लें फिर चौक पूर लें, बता दे अहोई व्रत की पूजा वहीं करनी चाहिए जहां आप दिवाली की पूजा करेंगे अब अहोई माता की तस्वीर रख लें अगर तस्वीर नहीं है तो आप दीवार पर गेरू से भी चित्र बना सकते हैं और पास में सेई और सेई के बच्चों का भी चित्र बना लें अब माता की तस्वीर के बाएं तरफ थोड़ा चावल और पानी से भरा कलश रख लें कलश पर स्वास्तिक बना ले और मौली बांध दें इसी कलश के ऊपर आप पानी से भरकर करवा रख दें ध्यान रखें ये करवा नया नहीं बल्कि करवा चौथ में इस्तेमाल किया गया करवा ही होना चाहिए और छोटी दीवाली के दिन इसी करवे के पानी का छिड़काव आपको पूरे घर में करना चाहिए और अपने बच्चे को इसी जल से स्नान करना चाहिए. अब माता के सामने गेहूं का ढेरी लगाकर दीप जलाएं और अगर आप अहोई माता की माला जिसे स्याऊ माला कहते हैं उसकी भी पूजा करें इसके बाद विधिवत अहोई माता की पूजा करें उन्हें रोली लगाएं अक्षत, पुष्प और फल अर्पित करें उसके बाद कलश पर रोली की सात बिंदी लगा दें उसके बाद अहोई माता को 14 पूड़ी 7 पुए और हलवे का भोग लगाएं उसके बाद सात दाने गेहूं का हाथ में लेकर अहोई माता कथा सुने कथा के बाद स्याऊ माला पहन लें अंत में अहोई माता की आरती करें और क्षमा याचना मांगे उसके बाद लोटे में जल भरकर उसमें अक्षत डालकर तारों को अर्घ्य दें. इसके बाद पूरी हलवा साड़ी और श्रृंगार का सामान रखकर सास को बायना दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें और प्रसाद ग्रहण करके अपना व्रत खोलें.
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अहोई व्रत कथा
एक समय की बात है एक नगर में एक साहूकार अपने भरे पूरे परिवार के साथ रहता था उसके साथ बेटे एक बेटी और साथ बहुएं थीं साहूकार की बेटे दिवाली पर अपने मायके आई हुई थी वो अपनी सातों भाभियों के साथ जंगल में मिट्टी खोदने गई थीं वहीं मिट्टी खोदते समय ननद के हाथों सेई के बच्चे की मृत्यु हो गई अब स्याऊ माता ने कहा अब मैं तेरी कोख बांध दूंगी ये सुनकर ननद दुखी हो गई और अपनी सभी भाभियों को बोली आप में से कोई अपनी कोख बंधवा लो सभी ने माना कर दिया लेकिन जो छोटी भाभी थी वो अपनी सास के डर से ननद के बदले अपनी कोख बंधवा ली उसके बाद उसे जो भी संतान होती वो सात दिन बाद मर जाते थें एक दिन वो एक पंडित से पूछा की मेरी संतान जन्म लेते मर क्यों जाती है इसपर पंडित ने कहा सुबह उठकर सुराही गाय की पूजा करो वो तेरी कोख खोलेंगी और तब तेरा बच्चा जीएगा वो सुबह उठकर चुपचाप जाकर सुराही गाय की साफ सफाई करती उनकी सेवा करती ये देख सुराही गाय ने कहा कौन है जो मेरी इतनी सेवा कर रहा है कल मैं सुबह तड़के उठकर देखूंगी जब सुबह उठकर जब उन्होंने देखा तो साहूकार की छोटी बहु उनके नीचे साफ सफाई कर रही थी सुराही गाय ने कहा मैं तेरी सेवा से प्रसन्न हूं जो वर चाहिए मांग ले इसपर साहूकार की छोटी बहु बोली स्याऊ माता ने मेरी कोख बांध रखी हैं आपसे विनती है कि आप मेरी कोख खुलवा दें अब गौ माता अपनी भईली के पास समुंदर के उस पार लेकर चल पड़ी रास्ते में कड़ी धुप के कारण दोनों पेड़ के नीचे बैठ गए तभी एक सांप आया और पेड़ पर बैठे गरुण पंखनी के बच्चे को डसने के लिए आगे बढ़ा तभी साहूकार की छोटी बहू बच्चे को बचाने के लिए सांप को मार दी जब गरुण पंखनी वहां आई और खून देख उसे लगा साहूकार की बहु ने उसके बच्चे को मार दिया इसपर वो उसे चोंच मारने लगी इसपर वो बोली मैने तो तुम्हारे बच्चे को सांप से बचाया है इसपर खुश होकर गरुण पंखनी दोनों को समुंदर पार स्याऊ माता के पास पहुंचा दिया वहां पहुंचने पर स्याऊ माता साहूकार की छोटी बहु की सेवा से प्रसन्न होकर बोली जा तुझे सात बेटे और सात बहू मिले इसपर वो बोली मुझे कैसे सात बेटे होंगे आपने तो मेरी कोख बांध रखी है इसपर स्याऊ माता ने कहा जा मैं तेरी कोख खोलती हूं घर जा जब वो घर पहुंची तो उसने देखा उसके घर सात बेटे और सात बहुएं थीं वो घर जाकर सात अहोई बनाई सात उजमन किए और सात कढ़ाई किए. साहुकार की छोटी बहु बोली जिस तरह स्याऊ माता ने मेरी कोख खोली इसी तरह सब पर अपनी कृपा बनाए रखें.
व्रत के नियम और क्या ना करें
अहोई अष्टमी के व्रत में अहोई माता की पूजा करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अवश्य करनी चाहिए इस व्रत को निर्जला रखा जाता है इससे संतान को पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. इस बात का ध्यान अवश्य रखें की अहोई व्रत के दिन तांबे के लोटे से अर्घ्य नहीं देना चाहिए क्योंकि इसे अशुद्ध माना जाता है इस दिन आप स्टील या पीतल के लोटे से अर्घ्य दें इस व्रत में तारों को अर्घ्य देना होता है अहोई व्रत बच्चों के लिए होता है इसलिए पूजा के समय अपने बच्चे को साथ में अवश्य बिठाएं इसके अलावा इस दिन अपने सास को बायना जरूर देना चाहिए इस दिन गलती से आप के हाथों किसी भी जीव जंतु की हत्या नहीं होनी चाहिए ऐसा करने से आपके संतान की आयु कम होती है. व्रत के दिन किसी भी बच्चे को मरना या अपमान नहीं करना चाहिए इस दिन सात्विक भोजन बनाना होता है घर में लड़ाई झगड़ा वाला माहौल नहीं होना चाहिए इसके अलावा अहोई व्रत करने वाली महिला को दिन के वक्त सोना नहीं चाहिए इस दिन दान जरूर करना चाहिए इससे आपकी संतान को समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.