शास्त्रों के अनुसार नीम का संबंध केतु और शनि से जोड़ा गया है, इसीलिए ऐसा माना जाता है कि नीम के पेड़ की पूजा और अर्चना करने से परिवार में सुख और शांति बनी रहती है. नीम की लकड़ी से हवन करने से शनि देव के प्रकोप को कम किया जा सकता है और इसके पत्ते को जल में डालकर स्नान करने से किसी भी प्रकार का रोग शरीर में नहीं होता है. बता दे नीम के पेड़ की पूजा करने से सभी प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है.
नीम देवी की पूजा
भारत में कई ऐसे स्थान हैं जहां नीम की पूजा देवी के रूप में की जाती है. ऐसा माना जाता है कि नीम के पेड़ में देवी का वास होता है. और नीम के देवी को भारत में निमाड़ी या निमरी देवी भी कहा जाता है. देवी की पूजा चेचक और अन्य मौसमी बीमारियों से बचने के लिए की जाती है. और नीम के पेड़ को भारत के कई स्थानों पर शीतला माता के रूप में भी पूजा जाता है.
पितृ दोष का प्रभाव
यदि आप अपने घर के दक्षिण भाग में नीम का पेड़ लगाते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है. क्योंकि शास्त्रों के अनुसार नीम के पेड़ पर दैवी शक्तियों का वास माना जाता है और नीम के पौधे लगाने से पितरों की भी कृपा प्राप्त होती है, साथ ही पितृ दोष का प्रभाव दूर होता है.
नीम को जल अर्पित करें
शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति नीम की लकड़ी की बनी हुई माला अपने शरीर में धारण करता है. उस व्यक्ति पर शनि का अशुभ प्रभाव नहीं होता है. शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति पर शनि का प्रभाव हो उसे नीम की लकड़ी की माला पहननी चाहिए. क्योंकि नीम की लकड़ी की माला पहन कर शनि की दशा में भी शुभ फल प्राप्त होता है. रविवार को सूर्योदय के साथ नीम में जल देने से आरोग्य का वरदान मिलता है और राशियों के बुरे प्रभाव बदल जाते हैं.