काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है, यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है, यह मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है, और यहां मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, यह मुख्य देवता विश्वनाथ या विश्वेश्वर नाम से जाने जाते हैं, जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के शासक है, वाराणसी शहर को काशी भी कहा जाता है, इसी कारण से इस मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर भी कहा जाता है.
काशी विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग की स्थापना
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव देवी पार्वती से विवाह करने के बाद कैलाश पर्वत आकर रहने लगे, वही देवी पार्वती अपने पिता के घर में रह रही थी जहां उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था, देवी पार्वती ने एक दिन भगवना शिव से उन्हें अपने घर ले जाने के लिए कहा, भगवान शिव ने देवी पार्वती की बात मानकर उन्हें काशी लेकर आए और यहां विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम में खुद को स्थापित कर लिए.
इस मंदिर का उल्लेख महाभारत और उपनिषदों में भी किया गया है, इस मंदिर का निर्माण किसने कराया इसके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है, सन 1194 में मोहम्मद गोरी ने इस मंदिर को लूटने के बाद इसे तड़वा दिया था, इस मंदिर का निर्माण फिर से कराया गया लेकिन जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने इसे दोबारा तुड़वा दिया, इतिहासकारों के मुताबिक विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार अकबर के नौरत्नों में से एक राजा टोडरमल ने कराया था, उन्होंने साल 1585 में अकबर के आदेश पर नारायण भट्टा की मदद से इसका जीर्णोद्धार कराया था.
काशी में मिलता है मोक्ष
ऐसा कहा जाता है कि वाराणसी या काशी में मनुष्य के देहावसान पर स्वयं महादेव उसे मुक्तिदायक तारक मंत्र का उपदेश करते हैं, इसीलिए अधिकतर लोग यहां काशी में अपने जीवन का अंतिम वक्त बीताने के लिए आते हैं, और मरने तक यहीं रहते हैं, इसके काशी में पर्याप्त व्यव्था की गई है, वाराणसी कई शताब्दियों से हिन्दू मोक्ष तीर्थस्थल माना जाता है, शास्त्र मतानुसार जब मनुष्य की मृत्यु हो जाती है, मनुष्य के मोक्ष हेतु मृतक की हस्तियों को यहीं पर गंगा में विसर्जित की जाती है.