मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन का महाकाल मंदिर, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दुओ के प्रमुख्य शिव मंदिरों में से एक है, इसके साथ ही इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र स्थान भी माना जाता है.
यह मंदिर रुद्रसागर सरोवर के किनारे स्थित है, मान्यता है कि अधिष्ट देवता, भगवान शिव ने इस लिंग में स्वयंभू के रूप में बसते है, इस लिंग में भगवान शिव की अपार शक्तियाँ है, और मंत्र-शक्ति से ही इस लिंग की स्थापना की गयी थी, यह उज्जैन का महाकाल मंदिर 6ठी शताब्दी में निर्मित बाबा महाकालेश्वर के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास
वर्तमान मंदिर को श्रीमान पेशवा बाजी राव और छत्रपति शाहू महाराज के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में बनवाया था, इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज और श्रीमान महारानी बायजाबाई राजे शिंदे ने इसमें कई बदलाव और मरम्मत भी करवायी थी.
महाराजा श्रीमंत जयाजिराव साहेब शिंदे आलीजाह बहादुर के समय में 1886 तक, ग्वालियर रियासत के बहुत से कार्यक्रमों को इस मंदिर में ही आयोजित किया जाता था.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
शिवपुराण की कथा के अनुसार माने तो, उज्जयिनी में चंद्रसेन नाम का राजा शासन करता था, जो शिव भक्त था, भगवान शिव के गणों में से एक मणिभद्र से उसकी मित्रता थी, एक दिन मणिभद्र ने राजा को एक अमूल्य चिंतामणि प्रदान की, जिसको प्राप्त करने से चंद्रसेन का प्रभुत्व बढ़ने लगा, यश और कीर्ति दूर दूर तक फैलने लगी.
कई राज्य के राजाओं को उस मणि को पाने की लालसा जाग उठी उसे राजाओं ने चंद्रसेन पर हमला भी कर दिया, राजा चंद्रसेन वहां से भागकर महाकाल की शरण में आ गया और उनकी तपस्या में लीन हो गया, कुछ समय बाद वहां पर एक विधवा गोपी अपने 5 साल के बेटे साथ वहां पहुंची, बालक राजा को भगवान शिव की भक्ति में लीन देखकर प्रेरित हुआ और वह भी शिवलिंग की पूजा करने लगा.
बालक शिव आराधना में इतना लीन हो गया कि उसे मां की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी, उसकी मां उसे भोजन के लिए बार बार आवाज लगा रही थी, बालक के न आने पर गुस्साई मां उसके पास गई और पीटने लगी, शिव पूजा की सामग्री भी फेंक दी, बालक मां के इस व्यवहार से दुखी हो गया.
तभी वहां पर कुछ चमत्कार हुआ और भगवान शिव की कृपा से वहां पर एक सुंदर सा मंदिर का निर्माण हो गया, जिसमें दिव्य शिवलिंग भी था, और उस पर बालक द्वारा अर्पित की गई पूजा सामग्री भी थी, इसी तरह से उस स्थान पर एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हुई और इस घटना से उस बालक की मां भी असर चकित रह गई.
जब राजा चंद्रसेन को इस बात की सूचना मिली तो वह भी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने पहुंच गया, जो राजा मणि के लिए चंद्रसेन पर हमला कर रहे थे, वे युद्ध का मार्ग छोड़कर महाकाल की शरण में आ गए, इस घटना के बाद से ही भगवान महाकाल उज्जयिनी में वास करते हैं, जिस प्रकार से काशी के राजा बाबा विश्वनाथ है, उसी प्रकार से ही उज्जैन के राजा भगवान महाकाल है.