प्राचीन काल में जब मंदिर बनाए जाते थे। तो वह वास्तु और खगोल विज्ञान का ध्यान रखा जाता था। इसके अलावा राजा महाराजा अपना खजाना छुपाने के लिए भी उसके ऊपर मंदिर बनवा देते थे। और खजाने तक पहुंचने के लिए अलग रास्ते से आते जाते थे। इसके अलावा भारत में कुछ ऐसे मंदिर है। जिनका संबंध न तो वास्तु से है न खगोल विज्ञान से और नहीं खजाने से है। इन मंदिरों का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है। ऐसे ही 10 मंदिरों के बारे में हमने आपके लिए जानकारी जुटाई है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
भारत के 10 रहस्यमयी मंदिर : –
1.करणी माता मंदिर
करणी माता का यह मंदिर जो बीकानेर में स्थित है बहुत ही अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में लगभग 20000 काले चूहे रहते हैं। लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु जहां अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं । करणी देवी को दुर्गा का अवतार माना जाता है। मंदिर को चूहे वाला मंदिर भी कहा जाता है। यहां चूहों को काबा कहते हैं। और उन्हें बाकायदा भोजन कराया जाता है।इनकी सुरक्षा की जाती है। यहां इतने चूहे हैं। कि आपको पाओगी सेट कर चलना पड़ेगा। अगर एक चूहा भी आपके पैर के नीचे आ गया तो अपशकुन माना जाता है कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुजर गया। तो आप पर देवी की कृपा हो गई समझो। और यदि आपने सफेद चूहा देख लिया तो आपकी मनोकामना पूर्ण समझो।
2.कन्याकुमारी देवी मंदिर
कन्याकुमारी पॉइंट को इंडिया का सबसे निचला हिस्सा माना जाता है। यहां समुद्र तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है। यहां मां पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। यह देश में एकमात्र ऐसी जगह है। जहां मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के क्लॉथ उतारने होंगे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्थान पर देवी का विवाह संपन्न ना हो पाने के कारण बचे हुए दाल चावल बाद में कंकर पत्थर बन गए। कहां जाता है इसलिए ही कन्याकुमारी के बीच या रेत में दाल और चावल के रंग रूप वाले कंकर बहुत मिलते हैं। यदि आप मंदिर दर्शन को गए हैं तो यहां सूर्योदय और सूर्यास्त भी देखेंगे कन्याकुमारी अपने सनराइज दृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है। सुबह हर विश्राम वाले की छत पर टूरिस्टो की भारी भीड़ सूरज की अगवानी के लिए जमा हो जाती है। शाम को अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी यादगार होता है। उत्तर की ओर करीब 2 से 3 किलोमीटर दूर एक सनसेट पॉइंट है।
3.कैलाश पर्वत
हिमालय पर्वत श्रंखला में मानसरोवर जगह पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान महादेव स्वयं विराजमान है। यह धरती का केंद्र है। दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित कैलाश मानसरोवर के पास ही कैलाश और आगे मेरु पर्वत स्थित है। यह संपूर्ण क्षेत्र शिव और देवलोक कहा गया है। रहस्य और चमत्कार से परिपूर्ण स्थान की महिमा वेद और पुराणों में भरी पड़ी है।
4.शनि सिंगनापुर
देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उनमे से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर की विशेषता यह है। कि शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी क्षत्र के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है। यहां शिंगणापुर शहर में भगवान शनि महाराज का खौफ इतना है। कि शहर के अधिकांश घरों में खिड़की दरवाजे और तिजोरी नहीं है। केवल पर्दे है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां चोरी नहीं होती कहां जाता है। कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज सजा स्वयं देते हैं। इसके कई प्रत्यक्ष उदाहरण देखे गए हैं। शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए यहां पर विश्व भर से प्रति शनिवार लाखों लोग आते हैं।
5.सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। प्राचीन काल में इसका शिवलिंग हवा में झूलता था। लेकिन आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया माना जाता है। कि 24 शिवलिंग की स्थापना की गई थी। उसमें सोमनाथ का शिवलिंग बीचो-बीच था। इनमें से कुछ शिवलिंग आकाश में स्थित कर्क रेखा के नीचे आते हैं। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में वेरावल बंदरगाह में स्थिति जिसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था। जिसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है इस स्थान को सबसे रहस्य में माना जाता है यदुवंशियों के लिए यह प्रमुख स्थान है इस मंदिर को अब तक 17 बार नष्ट किया गया है। और हर बार इसका का पुनः निर्माण किया गया। यही पर भगवान श्री कृष्ण ने देह त्याग किया था। श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तभी शिकारी ने उनके पैर के तलवों में पद चिन्ह को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था। तभी कृष्ण प्राण त्याग कर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर भी बड़ा ही सुंदर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।
6.कामाख्या मंदिर
कामाख्या मंदिर तांत्रिक का गढ़ कहा जाता है। माता के 51 शक्तिपीठों में से एक इस पीठ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह असम के गुवाहाटी में स्थित है। यहां त्रिपुरा सुंदरी और कमला की प्रतिमा मुख्य रूप से स्थापित हैं। दूसरी और सात अन्य रूपों की प्रतिमा अलग-अलग मंदिरों में स्थापित की गई है। जो मुख्य मंदिर को घेरे हुए हैं पौराणिक मान्यता है कि साल में एक बार के दौरान मां भगवती रजस्वला होती हैं। और मां भगवती जी गर्भ ग्रह स्थित महामुद्रा से निरंतर 3 दिन तक जल प्रवाह होता है। इस मंदिर के चमत्कार और रहस्य के बारे में किताबें भरी पड़ी हैं हजारों ऐसे हैं जिससे इस मंदिर के चमत्कारिक और होने का पता चलता है।
7.अजंता एलोरा के मंदिर
अजंता एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित हैं। बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। 29 गुफाएं अजंता में और 34 गुफाएं एलोरा में है इनको वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया गया है।राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। इन गुफाओं के रहस्य पर आज भी शोध किया जा रहा है ऋषि मुनि और विज्ञान तपस्या और अध्ययन करते थे।
8.खजुराहो का मंदिर
खजुराहो का मंदिर का मंदिर आखिर क्या कारण है कि उस काल के राजा ने सेक्स को समर्पित किया। मंदिर का रहस्य बरकरार है। भारत के मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा सा कस्बा है। लेकिन फिर भी भारत में ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है खजुराहो खजुराहो भारतीय आर्य और वास्तुकला की एक मिसाल है। चंदेल शासकों ने इसका निर्माण 900 से सन 1130 ईसवी के बीच करवाया था।
9.उज्जैन का काल भैरव मंदिर
इस मंदिर के बारे में सभी जानते हैं कि यहां की काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है। इसलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब चढ़ाई जाती है। यही शराब यहां प्रसाद के रूप में भी बाटी जाती है। कहा जाता है कि काल भैरवनाथ इस शहर के रक्षक हैं। इस मंदिर में साल के 12 महीने और 24 घंटे शराब उपलब्ध रहती है।
10.ज्वाला देवी मंदिर
ज्वाला देवी का मंदिर हिमाचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता की जीभ गिरी थी। हजारों वर्षों से यहां स्थित देवी के मुख से अग्नि निकल रही है। इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी की थी। इस जगह का एक अन्य आकर्षण तांबे का पाइप भी है। जिसमें से प्राकृतिक गैस का प्रवाह होता है। इस मंदिर में अलग अग्नि की अलग-अलग 9 लगते हैं। जो अलग-अलग दिव्य को समर्पित हैं। नौ देवियों महाकाली, महालक्ष्मी, सरस्वती, अन्नपूर्णा, चंडी, विंध्यवासिनी, हिंगलाज, भवानी, अंबिका और अंजना देवी के ही स्वरूप है। कहते हैं कि सतयुग में महाकाल के परम भक्त राजा भूमि चंद ने स्वप्न से प्रेरित होकर या भव्य मंदिर बनवाया था। जो भी सच्चे मन से रहस्यमई मंदिर के दर्शन के लिए आता है। उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
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