आज हम आपको भारत में होने वाली दालों के नाम के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें। और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे।
भारत में अनेक प्रकार की दलहनी फसलें पाई जाती हैं। दालों में कई प्रकार के विटामिन, फास्फोरस, खनिज और कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है। दाल को प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत माना गया है। भारत में पाई जाने वाली प्रमुख दलहनी फसलें चना, मटर और मसूर रबी के मौसम की प्रमुख दालें हैं। खरीफ के मौसम में सोयाबीन, मूंग, उड़द और लोबिया जैसे प्रमुख दलहनी फसलें हैं। भारत के जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। वहां सोयाबीन मूंग और उड़द की फसलें उगाई जाती हैं। मध्य प्रदेश दाल उत्पादन में भारत में पहले स्थान पर हैं।
भारत में होने वाली प्रमुख दालें
हरी मूंग – हरी मूंग लचीली दालों में से एक है। हरी मूंग का उपयोग ना सिर्फ दाल बनाने में किया जाता है। बल्कि इसका उपयोग मिठाई बनाने के लिए भी कर सकते हैं। हरी मूंग को भिगोकर अंकुरित होने के बाद खाने से हमें अधिक से अधिक प्रोटीन मिलता है। हरी मूंग प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है। हरी मूंग में मैग्नीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, तांबा, जस्ता और विटामिन बी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
मसूर – मसूर की दाल को भारत में सबसे अधिक बनाई जाने वाली दाल माना गया है। मसूर की दाल को ना सिर्फ दाल के रूप में उपयोग किया जाता है। बल्कि मसूर की दाल से सब्जियां और मछली की सब्जी भी बनाई जाती हैं। और इसको बनाना बहुत ही आसान होता है। मसूर की दाल में प्रोटीन, अमीनो एसिड, पोटेशियम, लोहा और विटामिन बी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। मसूर की दाल से कोलेस्ट्रॉल को कम करने और शर्करा के स्तर को सामान रखने में मदद करता है।
भूरी दाल – ब्राउन दाल सबसे अलग प्रकार की दाल होती है। यह दाल खाकी ब्राउन और गहरे काले रंग की हो सकती है। अन्य दाल की अपेक्षा इसमें हलका स्वाद होता है। ब्राउन दाल को पकाने के दौरान यह अपना आकार अच्छी तरह रखती है। ब्राउन दाल का उपयोग पुलाव, सूप अन्य चीजों में करना उपयोगी माना गया है।
उड़द – उड़द की दाल को काली दाल भी कहा जाता है। दाल मखनी बनाने में उड़द की दाल प्रमुख माना गया है। उड़द की दाल का उपयोग पापड़, बड़ा, और डोसा बनाने के लिए भी किया जाता है। उड़द की दाल बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होती है। और यह हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होती है।
तूर दाल – अरहर की तूरदाल को की दाल का जाता है। तुर की दाल का उपयोग भारत में सबसे अधिक किया जाता है। इसे भोजन का महत्व पूर्ण रूप माना गया है। अरहर की दाल को स्वादिष्ट तरीके से पकाने के लिए एक तरीका गुजराती खट्टी मीठी दाल भी है। अरहर की दाल में भरपूर मात्रा में आयरन फोलिक एसिड, मैग्निशियम, कैलशियम, विटामिन बी और पोटेशियम होता है।
चना – काबुल चने को बंगाल चना और बींस भी कहा जाता है। बंगाल चना दो रूपों में आती है। एक छोटी व काले रंग की होती है। जिसे काला चना कहा जाता है। और एक बड़े गोरे होते हैं। जिन्हें काबुल चना कहा जाता है। इस दाल को अनेक रूपों से पकाया जाता है। इसका उपयोग सलाद में भी किया जाता है। सलाद में उपयोग करने के लिए इसको अंकुरित किया जाता है।
राजमा – जैसा कि आप सभी जानते हैं कि छोले के बाद राजमा एक ऐसी दाल है जो सबसे ज्यादा लोगों को प्रिय है, और इसे आम फलियां के नाम से भी जाना जाता हैं. यह अधिकांश किराना स्टोर में पाई जाती है यह दाल अधिकतर उत्तर भारत क्षेत्र में उगाई जाती है इस दाल का इस्तेमाल सलाद बनाने में भी होता है.
मटर दाल – मटर की दाल या सूखे मटर की दाल एक ऐसी दाल है, जो सभी लोगों को बहुत प्रिय होती है. यह एक ऐसी दाल है जिसको घर में नाश्ते के रूप में भी खाया जा सकता है. वह सबसे ज्यादा कोलकाता में स्ट्रीट फूड के नाम से मशहूर है. यह पीले रंग या हरे रंग की होती है. इसके अंदर कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे मैग्नीज, तांबा, फोलेट, विटामिन B1और B5, पोटेशियम आदि पाए जाते हैं यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है. यह अपने इन्हीं गुणों के कारण इतनी लोकप्रिय है.
लोबिया – एक ऐसी दाल है जिसे काली आंखों वाला मटर भी कहा जाता है, क्योंकि यह सफेद रंग की होती है, और इसमें हल्का काले रंग का धब्बा होता है. यह दाल अधिकतर पश्चिमी अफ्रीका में उगाई जाती है. लेकिन इस दाल की खेती एशिया और अमेरिका में व्यापक रूप से की जाती है. लोबिया दाल को एशिया और अन्य जगहों पर इसे भिन्न-भिन्न तरीके से पकाया जाता है.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको भारत में होने वाली दालो के नाम की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा। अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें।
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