आज हम अपने इस लेख में एक ऐसे टॉपिक के बारे में बात करेंगे जो बहुत सी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं खास कर सिविल सर्विसेस के एग्जाम या इंटरव्यू में पूछे जाते हैं. आज हम बात करेंगे विधनसभा, लोकसभा, राज्यसभा और विधान परिषद में क्या अंतर है.
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है यहां की सरकार जनता द्वारा मतदान प्रक्रिया से चुनी जाती है और हर पांच साल पर चुनाव होता है और बहुमत के आधार पर सरकार बनाई जाती है. हमारे देश की जो राजनीतिक गणित है उसे लेकर ज्यादातर लोग कन्फ्यूज रहते हैं कि लोग समझ नही पाते आखिर लोकसभा, राज्यसभा, विधनसभा और विधान परिषद में क्या अंतर होता है तो चलिए जानते हैं कि इस सब में क्या अंतर हैं.
संसद
देश के संसदीय प्रणाली को मुख्य तीन भागों बांटा गया है लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति. हमारे देश का जो संसद होता है वो सबसे बड़ा है उसी के अनुसार सभी को चलना होता है.
लोकसभा
बात करें लोकसभा की तो इसे हाउस ऑफ द पीपल ,लोअर हाउस भी कहते हैं इसे हाउस ऑफ द पीपल इसलिए कहा जाता है क्योंकि लोकसभा का जो उम्मीदवार होता है वो देश की जनता द्वारा चुना जाता है, लोकसभा को भंग भी किया जा सकता है इसके सदस्यों का कार्यकाल पांच साल के लिए होता हैं लेकिन प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे राष्ट्रपति पहले भी भंग कर सकता है. इसका चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता है, लोकसभा के सदस्य को MP कहते हैं इसमें कुल 552 सीट होती है लोकसभा सदस्य बनने के लिए 25 वर्ष से अधिक आयु होना चाहिए , भारतीय नागरिक होना जरूरी और किसी भी सरकारी लाभ वाले पद पर नहीं होना चाहिए. लोकसभा के सदस्य जहां बैठते हैं उसे लोकसभा कहा जाता है लोकसभा का काम कानून बनाना, कानून में संशोधन करना , मंत्रिपरिषद के कामों पर अपना नियंत्रण रखना और जनता पर कर लगाने और खर्च करने का निर्णय लेना.
राज्यसभा
इसे काउंसिल ऑफ स्टेट्स और अपर हाउस भी कहते हैं राज्यसभा स्थाई सदन है इसे भंग नहीं किया जा सकता है इसमें अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव होता है राज्यसभा में कुल 250 सीट होती है जिसमें से 238 सदस्य चुने जाते हैं जबकि 12 सदस्य राष्ट्रपति नामित होते हैं. किस राज्य में कितने राज्यसभा सदस्य होंगे ये वहां की आबादी के अनुसार तय हुआ है. इनके उम्मीदवारों को देश की जनता द्वार नहीं बल्कि MLA द्वारा चुने जाते हैं. राज्यसभा के चुनाव में सभी विधानसभाओं के विधायक हिस्सा लेते हैं इसमें विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं कर सकते. राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है इसमें से एक तिहाई सदस्य हर दो साल पर रिटायर हो जाते हैं इसलिए हर दो साल पर चुनाव होता है. ये लोग जहां बैठते हैं उसे राज्यसभा कहा जाता है. लोकसभा के साथ साथ राज्यसभा भी विधि निर्माण का कार्य करती है संविधान के द्वारा अवित्तीय विधेयकों के संबंध में लोकसभा और राज्यसभा दोनों को बराबर अधिकार प्राप्त हैं.
विधानसभा
जैसा की हमने बताया लोकसभा और राज्यसभा संसद का ही भाग है. अब बात करते हैं विधानसभा कि तो बता दें विधानसभा हर एक राज्य में होता है जैसे यूपी में होगा महाराष्ट्र में होगा ये कुल मिलाकर 28 राज्यों में है और विधानसभा के सदस्यों को MLA कहते हैं एमएलए के चुनाव में जो 18 वर्ष से अधिक हैं वही वोट डाल सकते हैं. विधान सभा का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है लेकिन किसी भी असाधारण स्थिति में वहां का राज्यपाल राष्ट्रपति को विधासभा भंग करने की सलाह दे सकते हैं. विधानसभा को संविधान द्वारा विधित राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त होता है वह विधान परिषद के साथ मिलकर संविधान में संशोधन भी कर सकती है. समवर्ती सूची के विषयों पर संसद की तरह राज्य विधान मंडल भी विधि निर्माण कर सकता है लेकिन यदि दोनों द्वारा समर्पित विधियों में बराबर विरोध की सीमा तक संसदीय विधि निर्माण किया जा सकता.
विधान परिषद
विधानपरिषद जो होता है वो देश के सिर्फ 6 राज्यों में है ये राज्य बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में है इसके अलावा असम और उड़ीसा में भी विधान परिषद है जिन राज्यों में विधान परिषद है un राज्यों में उच्च प्रतिनिधि सभा का दर्जा प्राप्त है. विधानपरिषद के सदस्यों को MLC कहते हैं. एमएलसी बनने के लिए कम से कम 30 वर्ष आयु होनी चाहिए और भारत का नागरिक होना आवश्यक है, एमएलसी चुने जाने के समय संसद का सदस्य नहीं होना चाहिए. बात दें विधानपरिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है हर दो साल पर एक तिहाई सदस्य हट जाते हैं विधान परिषद भी राज्यसभा की तरह स्थाई है इसे भंग नहीं किया जा सकता है. विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है इसमें भी राज्यसभा की तरह कुछ सदस्य मनोनीत किए जाते हैं जिन्हें राज्यपाल मनोनीत करते हैं.
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