हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को दशमी के दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है इसे विजयदशमी भी कहा जाता है. इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था. बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक दशहरा 5 अक्टूबर को पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाएगा.
बता दें इस साल दशहरा बेहद खास और दुर्लभ योग का संयोग लेकर आया है इस दिन खरीदारी करने से घर में सुख समृद्धि का वास होगा और नकारात्मक शक्तियों का विनाश होगा ऐसे में चलिए जानते हैं शुभ मुहूर्त शुभ योग और पूजा विधि के बारे में.
पंचांग के हिसाब दशमी तिथि की शुरूआत 4 अक्टूबर 2022 से दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू हो गई है और 5 अक्टूबर दोपहर 12 बजे तक रहेगी.
विजयदशमी विजय मुहूर्त 5 अक्टूबर दोपहर 2:13 मिनट से दोपहर 2: 54 मिनट तक रहेगी और अपराह्न पूजा का मुहूर्त 5 अक्टूबर को दोपहर 1:20 से दोपहर 3:41 तक रहेगा विजयदशमी पर इस साल तीन योग रवि सुकर्मा और धृति योग का संयोग बन रहा है जो इस दिन के महत्व को बढ़ा देगा.
विजयदशमी पर तीन योग
रवि योग: 5 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 21 मिनट से रात 9 बजकर 15 मिनट तक रहेगा
सुकर्मा योग: 4 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 23 मिनट से 5 अक्टूबर सुबह 8 बजकर 21 मिनट तक रहने वाला है.
धृति योग: 5 अक्टूबर 2022 को सुबह 8 बजकर 21 मिनट से 6 अक्टूबर 2022 को सुबह 5 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.
दशहरा की पूजा विधि
दशहरे को अपराजिता पूजा का विधान है ये पूजा अपराह्न के समय की जाती है पूजा के समय पूर्व उत्तर की ओर बैठ जाएं गंगा जल छिड़कर भूमि को पवित्र कर लें उसके बाद चंदन या कुमकुम से अष्टदल कमल बना लें उसके बाद देवी अपराजिता, जया और विजया देवी का ध्यान करें अगर आपके पास जया, विजया और अपराजिता मां की तस्वीर नहीं है तो तीन सुपारी लेकर उसपर मौली बांधकर उन्हें स्थापित कर दें और इन्हें देवी का रूप मानकर विधिवत पूजा अर्चना करें उन्हें अक्षत, सिंदूर और फूल माला चढ़ाएं धूप दीप जलाएं मां अपराजिता का पूजन करने से घर में खुशहाली बनी रहती है.
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अस्त्र शस्त्र की भी पूजा की जाती है?
दशहरे के दिन अस्त्र शस्त्र और औजारों की भी पूजा की जाती है जिनका व्यापार है वे लोग अपने बहीखाता की पूजा करते है. इसके लिए एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का साफ सुधरा कपड़ा बिछा लें उसके बाद श्री राम की तस्वीर रखकर घी का दीपक जलाएं और अपने अस्त्र शस्त्र और बहीखाते को रखकर गंगा जल छिड़के हल्दी रोली, चंदन आदि से पूजन करें उसके बाद अपने बहीखाते पर रोली से स्वास्तिक बना लें और अपने अस्त्र शस्त्र और बहीखाते पर शमी के पत्ते चढ़ाएं ऐसा करना बहुत शुभ होता है. लड्डू और केले का भोग लगाए उसके बाद भगवान राम की आरती करें और अपने घर परिवार और कारोबार के लिए मंगल कामना करें. दशहरे के दिन नया वाहन खरीदना भी शुभ माना जाता है.
दशहरे के दिन घर के बाहर अगर शमी का पौधा हो तो तांबे के लोटे में जल भरकर पौधे में जल अर्पित करके तीन पार परिक्रमा करें ऐसी मान्यता है कि जब श्री राम रावण से लड़ने गए थें तो उन्होंने सबसे पहले शमी के पौधे की पूजा की थी. इस प्रकार आप दशहरे के दिन पूजा अर्चना कर अपने परिवार और व्यापार के लिए कामना कर सकते हैं.
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