हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीना सबसे महत्वपूर्ण महीना माना जाता है. भारतीय कैलेंडर के अनुसार इसे साल का सातवां महीना माना गया है. इस महीने को देवी देवताओं और पितरों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. 11 सितंबर से आश्विन मास की शुरुआत हो चुकी है जो 10 अक्टूबर तक रहेगा. आज हम आपको बताएंगे आश्विन महीने के महत्व और इस महीने के त्योहारों के बारे में .
आश्विन माह में सूर्य धीरे धीरे कमजोर होने लगता हैं और शरद ऋतु का आरंभ इसी महीने से होने लगता है. आश्विन महीना दो तरह से आपको लाभ दे सकता है एक तो इस महीने में देवी देवताओं का आशीर्वाद आपको मिलता है और दूसरा आपके पूर्वजों और पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है. कहा जाता है आश्विन मास में देवताओं से पहले पितरों की पूजा करनी चाहिए इससे देवता खुश होते हैं. लोग अपने पितरों की प्रसन्नता के लिए दान धर्म करते हैं. पितृ की श्राद्ध करते हैं ताकि घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहे. और पितृ प्रसन्न होकर
आशीर्वाद दें.
आश्विन मास दो भागों में बटा है
आश्विन महीना दो भागों में बटा है 15 दिन कृष्ण पक्ष के और 15 दिन शुक्ल पक्ष के. जो कृष्ण पक्ष होता है उसमें पितरों का श्राद्ध होता है और शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है.
शुक्ल पक्ष में नवरात्रि का आरंभ
शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है इसमें पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है. लोग व्रत करते हैं. नौ दिनों तक मां दुर्गा की मूर्ति को पूरे भक्ति भाव के साथ स्थापित किया जाता है. और नौ दिनों तक माता की पूजा अर्चना और खान पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है.
आश्विन महीने के त्योहार
आश्विन महीना शक्ति की देवी दुर्गा मां को समर्पित है नवरात्रि और विजयदशमी जैसे महत्वपूर्ण त्योहार इसी महीने में आते हैं. आश्विन मास में इंदिरा एकादशी होती है उसके बाद अमावस्या श्राद्ध आता है जिन्हें अपने पितृ की तिथि नहीं मालूम होती है वे लोग इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं. पुत्र की लंबी आयु के लिए जिऊतिया व्रत भी इसी महीने में किया जाता है. इसके बाद शारदीय नवरात्रि शुरू होती है जिसमें भवानी मां के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की जाती है.
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दशहरा और शरद पूर्णिमा
दशहरा भी आश्विन मास में भी पड़ता है शरद पूर्णिमा भी इसी महीने में आता है. इस दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला की थी. इस दिन को भी बहुत विशेष माना गया है. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है. इसलिए कहा जाता है शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखना चाहिए और बाद में उसका सेवन करना चाहिए इससे रोगों का नाश होता है.
आश्विन मास में सावधानियां
- आश्विन मास में जितना हो सके दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए.
- इस महीने में करेला खाने से भी परहेज करना चाहिए.
- आश्विन महीने में लहसुन, प्याज, मांस मछली जैसी तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. सफेद तिल के सेवन से भी बचना चाहिए.
- इस महीने में सरसों का साग लौकी और मूली भी नहीं खानी चाहिए.
5.आश्विन मास में झगड़ा, मनमुटाव, तनाव और लोगों की बुराई करने से भी बचें. - ब्राह्मण और कन्या को दान करते समय किसी भी चीज का अभिमान ना करें. दिखावे के लिए दान धर्म ना करें.
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आश्विन मास में क्या करें
आश्विन मास में घी और तिल का दान करना चाहिए. नवरात्रि में कन्याओं को फल, मिठाई, भोजन और वस्त्र भेंट में देना अच्छा माना जाता है.