धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में यह बताया गया है, कि सुबह जल्दी उठना चाहिए. क्योंकि हिंदू ग्रंथों के अनुसार ऐसा मानना है, कि सूर्य उदय से पहले उठने से व्यक्ति का भाग्य उदय होता है, पहले के समय में हमारे यहां के ऋषि मुनि भी सुबह उठते थे. क्योंकि उनका यह मानना था, कि यह ब्रह्म मुहूर्त होता है. और सूर्योदय के बाद नहीं उठना चाहिए. क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा मानना है, कि सूर्योदय के बाद उठने से दरिद्रता आती है.
हमारे ऋषि-मुनियों सूर्योदय से पहले यानी ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4:00 बजे का बताया है, और यह ब्रह्म मुहूर्त 4:00 बजे से लेकर 5:00 बजे तक रहता है. इस मुहूर्त में व्यक्ति को उठ जाना चाहिए, और फिर उसे स्नान करके स्वच्छ हो जाना चाहिए. और उसके बाद पूजा पाठ करना चाहिए, क्योंकि यह पूजा पाठ करने का सबसे उचित समय होता है.
बता दे, आप ब्रह्म मुहूर्त में उठाएंगे तभी आप नियमित ढंग से पूजा पाठ कर पाएंगे, क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद आपको स्वच्छ होकर पूजा पाठ करना आवश्यक होता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि सुबह 5:00 बजे तक भारत में सभी मंदिरों के दरवाजे खुल जाते हैं. और उस मंदिर के वरिष्ठ पंडित आरती करने लगते हैं.
कुछ लोग पूजा सुबह 6:00 बजे से लेकर 8:00 बजे के बीच में करने को सही समय मानते हैं. तो बता दे कि भगवान की पूजा सुबह 8:00 बजे के बाद में भी की जा सकती है. पूजा करने का नियमित समय सुबह 10:00 बजे तक का होता है, इसके बाद भगवान की पूजा करना अशुभ माना जाता है.
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शाम को पूजा कितने समय करनी चाहिए?
हिंदू प्राचीन ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि भगवान की पूजा सूर्य अस्त होने के बाद करनी चाहिए, सूर्य अस्त होने के कुछ ही देर बाद यानी 6:00 से 7:00 के बीच में पूजा कर लेनी चाहिए. यह शाम को पूजा करने का उचित समय होता है.