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GST Kya Hota Hai – जीएसटी क्या है? GST का फुल फॉर्म क्या है?

Table of contents

आज हम आपको Gst Kya Hai – जीएसटी क्या है? जीएसटी (GST) कितने प्रकार की होती है? के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.

GST एक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली होती है, जो देश में उत्पादित की जाने वाली सभी प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं की पूर्ति पर लागू होती है, GST के लागू होने के बाद से इसने विभिन्न प्रकार के अतिरिक्त करों जैसे सेवा कर, बिक्री कर, एक्साइज ड्यूटी आदि के लिए लगने वाले कर से लोगों को छुटकारा दिलाया है.

अगर हम इसे सरल शब्दों में कहें तो यह एक प्रकार का indirect टैक्स होता है, जो समस्त देश के लिए लागू किया जाता है. साथ ही हम आपको बता दें, कि इस टैक्स सिस्टम के लागू होने के बाद अब तक इसके अंतर्गत कई तरह के संशोधन किए गए हैं.

क्योंकि जीएसटी लागू करने में सरकार का सबसे प्रमुख उद्देश्य सभी प्रकार के इनडायरेक्ट टैक्स को हटा कर मात्र एक ही टैक्स लागू करना है. यथार्थ गुड्स के एक्सपोर्ट पर लगाए गए कस्टम ड्यूटी को छोड़कर सभी प्रकार के अलग-अलग टैक्स जैसे वैल्यू ऐडेड टैक्स, एक्साइज टैक्स, सर्विस टैक्स, एंट्री टैक्स, लग्जरी टैक्स को जीएसटी में शामिल कर दिया गया है. जैसे ग्राहक के द्वारा जो वस्तु खरीदी जाती है, उस वस्तु की कुल कीमत में जीएसटी टैक्स को भी शामिल कर दिया जाता है, और इस तरह व्यापारी के द्वारा जो टैक्स इकट्ठा किया जाता है, उसे उस इकट्ठा किए गए टैक्स की भरपाई गवर्नमेंट को करनी पड़ती है. इस प्रकार जीएसटी टैक्स भारत में लागू करने के पीछे का सरकार का उद्देश्य सफल रहा है.

जीएसटी (GST) का फुल फॉर्म क्या है?

GST का फुल फॉर्म “Goods and Service Tax” होता है. जिसे हिंदी में ” सामान और सेवा कर” कहा जाता है.

जीएसटी के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के इनडायरेक्ट टैक्स को शामिल करने की वजह से विनिर्माण और प्रोडक्शन लागत कम हो गई है, और यही कारण है, कि देश के आर्थिक विकास में भी सहायता प्राप्त हुई है.

भारत में जीएसटी कब लागू की गई थी?

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून 2017 और 1 जुलाई 2017 के बीच पड़ने वाली मध्य रात्रि को आयोजित किए गए समारोह में जीएसटी को लागू किया गया था, यथार्थ भारत में 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया गया था, इस तरह भारत के सभी राज्यों में एक साथ GST के तहत टैक्स वसूलने की प्रक्रिया को शुरू किया गया, इसी के साथ देश और राज्यों में पहले से चले आ रहे लगभग 2 दर्जन अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) खत्म हो गए और उन सभी करो को जीएसटी में शामिल कर दिया गया, इस नए टैक्स सिस्टम को लागू करने के लिए सरकार को भारतीय संविधान में संशोधन भी करना पड़ा, जिसे 101वां संशोधन कहा जाता है.

जीएसटी नंबर क्या होता है?

GST के अनुसार रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रत्येक व्यक्ति या संस्था को जो नंबर प्रदान किया जाता है, या फिर जो नंबर जारी किया जाता है, उसे जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर या जीएसटी नंबर कहते हैं. जीएसटी नंबर 15 अंकों से मिलकर बना हुआ होता है.

जीएसटी (GST) कितने प्रकार की होती है?

हम आपको बता दें कि जीएसटी के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं, जिनके नाम नीचे निम्नलिखित रुप में दिए गए हैं, साथ ही उनके बारे में विस्तार से बताया गया है, जो इस प्रकार हैं:-

  • Central Goods and services Tax (केंद्रीय माल एवं सेवा कर)
  • State Goods and services Tax (राज्य वस्तु एवं सेवा कर)
  • Integrated goods and services Tax (केंद्र शासित प्रदेश माल एवं सेवा कर)
  • Union Territory Goods and services Tax (एकीकृत माल एवं सेवा कर)

Central Goods and services Tax (केंद्रीय माल एवं सेवा कर) 

GST के द्वारा लागू किए गए इस प्रकार के टैक्स को प्राप्त होने के बाद सेंट्रल गवर्नमेंट को भेजा जाता है. CGST के लागू होने के कारण विभिन्न प्रकार के केंद्रीय टैक्स सिस्टम खत्म हो गए हैं, जैसे कस्टम ड्यूटी, सर्विस टैक्स, सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी आदि. और सामान्य तौर पर हम आपको बता दें, कि टैक्स भरने वाले लोगों पर एसजीसीएसटी के साथ सीजीएसटी लगाया जाता है, जिसकी दरें एक समान होती है.

State Goods and services Tax (राज्य वस्तु एवं सेवा कर)

राज्य के अंतर्गत बेची जाने वाली सभी प्रकार की वस्तुएं पर जो कर लागू होता है उसे State Goods and services Tax कहते हैं, इस टैक्स सिस्टम के अंदर वैल्यू ऐडेड टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, स्टेट सेल्स टैक्स और एंट्री टैक्स को भी शामिल कर दिया गया है, इसके द्वारा जो भी आय प्राप्ति होती है वह राशि राज्य गवर्नमेंट के खाते में जाती है.

Integrated goods and services Tax (केंद्र शासित प्रदेश माल एवं सेवा कर)

हम आपको बता दें कि अंतर राज्य स्तर पर जिन सेवाओं या उत्पादों का आदान-प्रदान अथवा लेनदेन किया जाता है, उन सभी पर इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स लगाया जाता है, साथ ही साथ यह टेक्स उन सभी प्रोडक्ट पर लगता है, जो कि बाहर विदेश से खरीद कर मंगाए जाते हैं, इसके द्वारा जो भी टैक्स प्राप्त होता है, वह सभी स्टेट को बराबर मात्रा में बांटा जाता है.

Union Territory Goods and services Tax (एकीकृत माल एवं सेवा कर)

देश में जितने भी केंद्र शासित प्रदेश हैं, उन सभी केंद्र शासित प्रदेशों पर यूनियन टेरिटरी गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू किया जाता है, जैसे चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार आइसलैंड, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली और लक्षदीप आदि सभी केंद्र शासित प्रदेशों पर इस प्रकार का टैक्स लागू होता है, इन केंद्र शासित प्रदेशों में जितनी भी वस्तुएं सप्लाई की जाती है उन सभी वस्तुओं पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स लगाया जाता है.

GST ने किन किन करों का स्थान लिया है ? 

जीएसटी के लागू होने से पहले लगभग 48 से भी अधिक इनडायरेक्ट टैक्स थे, परंतु जीएसटी लागू होने के बाद इन सभी टैक्स को जीएसटी में शामिल कर दिया गया, जीएसटी में जिन टैक्सों को शामिल किया गया है, उनके नाम नीचे निम्नलिखित रुप में दिए गए हैं:-

  • सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी
  • ड्यूटी ऑफ एक्साइज मेडिकल एंड टॉयलेट प्रिपरेशन 
  • एडिशनल ड्यूटी ऑफ एक्साइज ऑन गुड्स ऑफ स्पेशल इंर्पोटेंस
  • एडिशनल ड्यूटी ऑफ एक्साइज टैक्सटाइल एंड टैक्सटाइल प्रोडक्ट
  • ड्यूटी ऑफ कस्टम
  • स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम
  • सर्विस टैक्स
  • सेस एंड सर्विस चार्ज 
  • वैल्यू ऐडेड टैक्स 
  • सेंट्रल सेल्स टैक्स 
  • परचेज टैक्स 
  • लग्जरी टैक्स
  • एंट्री टैक्स
  • एंटरटेनमेंट टैक्स 
  • टैक्स ऑन एडवरटाइजमेंट
  • टैक्स ऑन लॉटरी, वेटिंग एंड गैंबलिंग 

जीएसटी का रेट 

जीएसटी के अंतर्गत आवश्यक वस्तुओं पर कम टैक्स और लग्जरी वस्तुओं पर अधिक टैक्स लगाया जाता है, और इस प्रकार से जीएसटी को न्याय पूर्ण बनाने की पूरी कोशिश की गई है, साथ ही एजुकेशन और हेल्थ सर्विस को जीएसटी टैक्स से बाहर रखा गया है. जीएसटी काउंसिल के द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के जीएसटी प्राप्त करने के लिए कुल पांच स्लैब स्वीकार किए गए हैं, जिनके बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है जो इस प्रकार है:-

00% GST-

00% GST टैक्स में जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं और सर्विस को जोड़ा गया है, जैसे नमक, अनाज, ताजी सब्जियां, गुड़ आदि.

05% GST-

05% GST टैक्स कुछ आवश्यक वस्तुओं और सर्विस पर लगाया जाता है, जिनके नाम नीचे निम्नलिखित रुप में दिए गए हैं जैसे चाय, मसाला, चीनी, तेल, खाद, कॉफी आदि.

12% GST-

12% GST टैक्स दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं और सर्विस पर लगाया जाता है, जैसे कि दंत मंजन, मेडिसिन, छाता, नमकीन आदि.

18% GST-

18% GST टैक्स दैनिक जीवन में थोड़ा बहुत उपयोग की जाने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है, जैसे कि आइसक्रीम,मिनरल वाटर, डिटर्जेंट, चॉकलेट, रेफ्रिजरेटर, शैंपू आदि.

28% GST-

28% GST टैक्स लग्जरियस और हानिकारक कैटेगरी में आने वाली सर्विस और वस्तुओं पर लगाया जाता है, जैसे कि पान मसाला, ऑटोमोबाइल और महंगे होटल में ठहरना आदि.

जीएसटी के रिटर्न फॉर्म कितने होते हैं?

1 वर्ष के अंतर्गत आपके द्वारा जितनी भी खरीदी और बिक्री की गई है, उसकी जानकारी आपको भारत सरकार को देनी पड़ती है, और आपको सामान्य तौर पर यह जानकारी जीएसटी रिटर्न फॉर्म में दर्ज करनी होगी, साथी हम आपको बता दें कि अलग-अलग कैटेगरी के व्यापारी को अलग-अलग प्रकार के जीएसटी रिटर्न फॉर्म को भरकर के जमा करना पड़ता है, अब हम आपको जीएसटी के सभी रिटर्न के बारे में विस्तार से बताएंगे, जो इस प्रकार हैं:-

GSTR-1

यह रिटर्न फॉर्म आकस्मिक कर योग्य व्यक्ति और सभी नॉर्मल जीएसटी रजिस्ट्रेशन वाले व्यापारी को इस रिटर्न को भरना होता है. इस फॉर्म को उन सभी व्यापारियों को हर 3 महीने में भरना होता है.

GSTR-3B

वह व्यापारी जो सामान्य जीएसटी रजिस्टर्ड कराएं हुए रहते हैं उनको GSTR-1 के पहले GSTR-3B को भर कर जमा करना पड़ता है, क्योंकि व्यापारियों के द्वारा इस रिटर्न फॉर्म के अंदर अपनी बिक्री और खरीदारी के बारे में विस्तार से जानकारी देनी पढ़ती है, साथ ही उसे दिए गए टैक्स और उपयोग किए गए इनपुट क्रेडिट और टैक्स देनदारियों के बारे में भी बताना पड़ता है.

GSTR-4

ऐसे व्यापार जो कंपोजिशन योजना प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें जीएसटी के अंतर्गत हर प्रत्येक वर्ष के आखिरी में इस रिटर्न फॉर्म को भरकर के जमा करना पड़ता है. साथ ही हम आपको बता दें कि ऐसे व्यापार जिनका 1 वर्ष में टर्नओवर 15000000रुपए होता है, उन्हें जीएसटी में कंपोजिशन योजना लेने की छूट प्राप्त होती है. इसमें व्यापारियों को अपने व्यापार की जानकारी नहीं देनी पढ़ती है,और ना ही उसे रसीद जमा करनी पड़ती है. 

GSTR-5 और GSTR-5 A

ऐसे व्यापार जो भारत से बाहर किए जाते हैं, उन्हें इंडिया में व्यापार करने पर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है, और इसके लिए उन्हें हर महीने GSTR-5 रिटर्न दाखिल करना होता है, साथ ही इंटरनेट के द्वारा विदेश से सर्विस देने वाले व्यपारी को हर महीने GSTR-5 A रिटर्न फाइल करना पड़ता है.

GSTR-6

ऐसे व्यापारी जो जीएसटी में इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर के तौर पर काम करते हैं, उन्हें प्रत्येक महीने अपने व्यापार की जानकारी देने के लिए रिटर्न फॉर्म GSTR-6 भरकर जमा करना पड़ता है.

GSTR-7

ऐसे व्यक्ति अथवा इंस्टीट्यूट जिन्हें जीएसटी सिस्टम में अपनी पेमेंट पर टीडीएस काटने का अधिकार प्राप्त हुआ है, उन्हें प्रत्येक महीने का हिसाब रिटर्न फॉर्म GSTR-7 में भरकर जमा करना पड़ता है, साथ ही उन्हें प्रत्येक महीने कितना टीडीएस कटता है, उसकी भी जानकारी उस फोन के अंदर देनी पड़ती है.

GSTR-8

कुछ मुख्य कंपनियां जैसे ई कॉमर्स कंपनी, और जो जीएसटी में रजिस्टर्ड है, उन्हें प्रत्येक महीने अपने बिजनेस की जानकारी देने के लिए GSTR-8 फोर्म भरकर जमा करना पड़ता है.

जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेना किसके लिए आवश्यक होता है?

जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाने की आवश्यकता के हिसाब से और जो शर्तें होती हैं जिसके बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है:-

टर्नओवर लिमिट के हिसाब से नॉर्मल बिजनेसमैन के लिए

जिन व्यापारियों की वार्षिक आय 4000000 रुपए होती है, उन्हें जीएसटी लेना आवश्यक होता है.

और कुछ विशेष राज्य होते हैं जहां के बिजनेसमैन की वार्षिक आय 2000000 रुपए होती है, उन्हें जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है.

Special Category States Under GST

  • जम्मू और कश्मीर
  • आसाम
  • अरुणाचल प्रदेश
  • मेघालय
  • मिजोरम
  • नागालैंड
  • सिक्किम
  • त्रिपुरा
  • उत्तराखंड
  • हिमाचल प्रदेश
  • मणिपुर 

बिना टर्नओवर के कुछ स्पेशल बिजनेस के लिए 

  • कुछ ऐसे व्यापारी होते हैं जो अंतर राज्य व्यापारी होते हैं उन्हें कारोबारियों को जीएसटी लेना अति आवश्यक होता है.
  • जो बिजनेसमैन कैजुअल कारोबारी करता है उसको भी जीएसटी लेना आवश्यक होता है.
  • वह बिजनेस जिसमें रिवर्स जीएसटी वसूली की जाती है उनके लिए जीएसटी लेना आवश्यक है.
  • जो रजिस्टर्ड बिजनेसमैन के एजेंट होते हैं उनको भी जीएसटी लेना आवश्यक है. 
  • डिस्ट्रीब्यूटर अथवा इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर, ई-कॉमर्स कंपनी और सप्लायर, एग्रीगेटर को भी जीएसटी लेना आवश्यक होता है.

जीएसटी (GST) के फायदे

जीएसटी लागू होने के बाद क्या-क्या फायदे हुए, उनके बारे में हम आपको नीचे निम्नलिखित रुप में बताएंगे, जो इस प्रकार है:-

  • जीएसटी लागू होने के कारण सबसे अधिक फायदा सामान्य लोगों को हुआ है, क्योंकि GST के अंतर्गत सभी उत्पादों की खरीदी करने पर एक सामान टैक्स लगता है.
  • केंद्रीय सरकार के द्वारा लागू की गई जीएसटी व्यवस्था के कारण भारत में टैक्स सिस्टम बहुत ही आसान हो गया है.
  • जीएसटी व्यवस्था लागू करने के कारण व्यापारियों को अब सिर्फ जीएसटी टैक्स ही भरना पड़ रहा है, जिससे व्यापारियों को व्यापार में लेन देन और आयकर भरने में अच्छी सुविधा प्राप्त हुई है.
  • जीएसटी लागू होने के कारण इनकम टैक्स के कर्मचारियों द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार नहीं किया जा सकेगा.
  • जीएसटी के लागू होने के कारण कई प्रकार के टैक्स सिस्टम खत्म हो गए हैं, जैसे सर्विस टैक्स, सेंट्रल सेलिंग टैक्स, स्टेट सेलिंग टैक्स और वैल्यू ऐडेड टैक्स आदि.
  • जीएसटी लागू किए जाने से पहले हमें अलग-अलग प्रोडक्ट पर 30% से लेकर के 35 प्रतिशत तक टैक्स भरना पड़ता था. परंतु जब से जीएसटी लागू हो गया है तब से हमें सिर्फ 18% ही कर भरना पड़ता है.

जीएसटी के नुकसान

जीएसटी लागू होने के बाद लोगों को कई प्रकार के नुकसान भी हुए हैं जिनके बारे में अब हम आपको नीचे निम्नलिखित रुप में बताएंगे.

  • जीएसटी IT के द्वारा संचालित किया गया कानून है. और यही कारण है, कि एक बिजनेसमैन को वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले ईआरपी सॉफ्टवेयर को जीएसटी के लायक बनाना होगा या फिर उन्हें जीएसटी सॉफ्टवेयर को खरीदना होगा.
  • ऐसे बिजनेस जिन्होंने जीएसटी को रजिस्टर्ड नहीं कराया है, उन्हें जल्द से जल्द जीएसटी टैक्स सिस्टम को समझना होगा.
  • जो व्यापारी अलग-अलग राज्यों में व्यापार करते हैं, उन्हें उन सभी राज्यों में जीएसटी का रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है.
  • जीएसटी के लागू हो जाने के बाद कई सेवाएं ऐसी है जो महंगी हो गई है जैसे इंश्योरेंस रिनुअल प्रीमियम, हेल्थ केयर,कोरियर सर्विस, डीटीएच आदि.
  • जीएसटी के कारण दिव्यांग लोगों के उपयोग में आने वाली व्हीलचेयर, आवाज सुनने की मशीन जैसी वस्तुएं भी टैक्स के दायरे में आ गए हैं.

आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको Gst Kya Hai – जीएसटी क्या है? की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.

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अगर हम इसे सरल शब्दों में कहें तो यह एक प्रकार का indirect टैक्स होता है, जो समस्त देश के लिए लागू किया जाता है. साथ ही हम आपको बता दें, कि इस टैक्स सिस्टम के लागू होने के बाद अब तक इसके अंतर्गत कई तरह के संशोधन किए गए हैं.

क्योंकि जीएसटी लागू करने में सरकार का सबसे प्रमुख उद्देश्य सभी प्रकार के इनडायरेक्ट टैक्स को हटा कर मात्र एक ही टैक्स लागू करना है. यथार्थ गुड्स के एक्सपोर्ट पर लगाए गए कस्टम ड्यूटी को छोड़कर सभी प्रकार के अलग-अलग टैक्स जैसे वैल्यू ऐडेड टैक्स, एक्साइज टैक्स, सर्विस टैक्स, एंट्री टैक्स, लग्जरी टैक्स को जीएसटी में शामिल कर दिया गया है. जैसे ग्राहक के द्वारा जो वस्तु खरीदी जाती है, उस वस्तु की कुल कीमत में जीएसटी टैक्स को भी शामिल कर दिया जाता है, और इस तरह व्यापारी के द्वारा जो टैक्स इकट्ठा किया जाता है, उसे उस इकट्ठा किए गए टैक्स की भरपाई गवर्नमेंट को करनी पड़ती है. इस प्रकार जीएसटी टैक्स भारत में लागू करने के पीछे का सरकार का उद्देश्य सफल रहा है.

जीएसटी (GST) का फुल फॉर्म क्या है?

GST का फुल फॉर्म “Goods and Service Tax” होता है. जिसे हिंदी में " सामान और सेवा कर" कहा जाता है.

जीएसटी के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के इनडायरेक्ट टैक्स को शामिल करने की वजह से विनिर्माण और प्रोडक्शन लागत कम हो गई है, और यही कारण है, कि देश के आर्थिक विकास में भी सहायता प्राप्त हुई है.

भारत में जीएसटी कब लागू की गई थी?

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून 2017 और 1 जुलाई 2017 के बीच पड़ने वाली मध्य रात्रि को आयोजित किए गए समारोह में जीएसटी को लागू किया गया था, यथार्थ भारत में 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया गया था, इस तरह भारत के सभी राज्यों में एक साथ GST के तहत टैक्स वसूलने की प्रक्रिया को शुरू किया गया, इसी के साथ देश और राज्यों में पहले से चले आ रहे लगभग 2 दर्जन अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) खत्म हो गए और उन सभी करो को जीएसटी में शामिल कर दिया गया, इस नए टैक्स सिस्टम को लागू करने के लिए सरकार को भारतीय संविधान में संशोधन भी करना पड़ा, जिसे 101वां संशोधन कहा जाता है.

जीएसटी नंबर क्या होता है?

GST के अनुसार रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रत्येक व्यक्ति या संस्था को जो नंबर प्रदान किया जाता है, या फिर जो नंबर जारी किया जाता है, उसे जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर या जीएसटी नंबर कहते हैं. जीएसटी नंबर 15 अंकों से मिलकर बना हुआ होता है.

जीएसटी (GST) कितने प्रकार की होती है?

हम आपको बता दें कि जीएसटी के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं, जिनके नाम नीचे निम्नलिखित रुप में दिए गए हैं, साथ ही उनके बारे में विस्तार से बताया गया है, जो इस प्रकार हैं:-

  • Central Goods and services Tax (केंद्रीय माल एवं सेवा कर)
  • State Goods and services Tax (राज्य वस्तु एवं सेवा कर)
  • Integrated goods and services Tax (केंद्र शासित प्रदेश माल एवं सेवा कर)
  • Union Territory Goods and services Tax (एकीकृत माल एवं सेवा कर)

Central Goods and services Tax (केंद्रीय माल एवं सेवा कर) 

GST के द्वारा लागू किए गए इस प्रकार के टैक्स को प्राप्त होने के बाद सेंट्रल गवर्नमेंट को भेजा जाता है. CGST के लागू होने के कारण विभिन्न प्रकार के केंद्रीय टैक्स सिस्टम खत्म हो गए हैं, जैसे कस्टम ड्यूटी, सर्विस टैक्स, सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी आदि. और सामान्य तौर पर हम आपको बता दें, कि टैक्स भरने वाले लोगों पर एसजीसीएसटी के साथ सीजीएसटी लगाया जाता है, जिसकी दरें एक समान होती है.

State Goods and services Tax (राज्य वस्तु एवं सेवा कर)

राज्य के अंतर्गत बेची जाने वाली सभी प्रकार की वस्तुएं पर जो कर लागू होता है उसे State Goods and services Tax कहते हैं, इस टैक्स सिस्टम के अंदर वैल्यू ऐडेड टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, स्टेट सेल्स टैक्स और एंट्री टैक्स को भी शामिल कर दिया गया है, इसके द्वारा जो भी आय प्राप्ति होती है वह राशि राज्य गवर्नमेंट के खाते में जाती है.

Integrated goods and services Tax (केंद्र शासित प्रदेश माल एवं सेवा कर)

हम आपको बता दें कि अंतर राज्य स्तर पर जिन सेवाओं या उत्पादों का आदान-प्रदान अथवा लेनदेन किया जाता है, उन सभी पर इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स लगाया जाता है, साथ ही साथ यह टेक्स उन सभी प्रोडक्ट पर लगता है, जो कि बाहर विदेश से खरीद कर मंगाए जाते हैं, इसके द्वारा जो भी टैक्स प्राप्त होता है, वह सभी स्टेट को बराबर मात्रा में बांटा जाता है.

Union Territory Goods and services Tax (एकीकृत माल एवं सेवा कर)

देश में जितने भी केंद्र शासित प्रदेश हैं, उन सभी केंद्र शासित प्रदेशों पर यूनियन टेरिटरी गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू किया जाता है, जैसे चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार आइसलैंड, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली और लक्षदीप आदि सभी केंद्र शासित प्रदेशों पर इस प्रकार का टैक्स लागू होता है, इन केंद्र शासित प्रदेशों में जितनी भी वस्तुएं सप्लाई की जाती है उन सभी वस्तुओं पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स लगाया जाता है.

GST ने किन किन करों का स्थान लिया है ? 

जीएसटी के लागू होने से पहले लगभग 48 से भी अधिक इनडायरेक्ट टैक्स थे, परंतु जीएसटी लागू होने के बाद इन सभी टैक्स को जीएसटी में शामिल कर दिया गया, जीएसटी में जिन टैक्सों को शामिल किया गया है, उनके नाम नीचे निम्नलिखित रुप में दिए गए हैं:-

  • सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी
  • ड्यूटी ऑफ एक्साइज मेडिकल एंड टॉयलेट प्रिपरेशन 
  • एडिशनल ड्यूटी ऑफ एक्साइज ऑन गुड्स ऑफ स्पेशल इंर्पोटेंस
  • एडिशनल ड्यूटी ऑफ एक्साइज टैक्सटाइल एंड टैक्सटाइल प्रोडक्ट
  • ड्यूटी ऑफ कस्टम
  • स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम
  • सर्विस टैक्स
  • सेस एंड सर्विस चार्ज 
  • वैल्यू ऐडेड टैक्स 
  • सेंट्रल सेल्स टैक्स 
  • परचेज टैक्स 
  • लग्जरी टैक्स
  • एंट्री टैक्स
  • एंटरटेनमेंट टैक्स 
  • टैक्स ऑन एडवरटाइजमेंट
  • टैक्स ऑन लॉटरी, वेटिंग एंड गैंबलिंग 

जीएसटी का रेट 

जीएसटी के अंतर्गत आवश्यक वस्तुओं पर कम टैक्स और लग्जरी वस्तुओं पर अधिक टैक्स लगाया जाता है, और इस प्रकार से जीएसटी को न्याय पूर्ण बनाने की पूरी कोशिश की गई है, साथ ही एजुकेशन और हेल्थ सर्विस को जीएसटी टैक्स से बाहर रखा गया है. जीएसटी काउंसिल के द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के जीएसटी प्राप्त करने के लिए कुल पांच स्लैब स्वीकार किए गए हैं, जिनके बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है जो इस प्रकार है:-

00% GST-

00% GST टैक्स में जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं और सर्विस को जोड़ा गया है, जैसे नमक, अनाज, ताजी सब्जियां, गुड़ आदि.

05% GST-

05% GST टैक्स कुछ आवश्यक वस्तुओं और सर्विस पर लगाया जाता है, जिनके नाम नीचे निम्नलिखित रुप में दिए गए हैं जैसे चाय, मसाला, चीनी, तेल, खाद, कॉफी आदि.

12% GST-

12% GST टैक्स दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं और सर्विस पर लगाया जाता है, जैसे कि दंत मंजन, मेडिसिन, छाता, नमकीन आदि.

18% GST-

18% GST टैक्स दैनिक जीवन में थोड़ा बहुत उपयोग की जाने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है, जैसे कि आइसक्रीम,मिनरल वाटर, डिटर्जेंट, चॉकलेट, रेफ्रिजरेटर, शैंपू आदि.

28% GST-

28% GST टैक्स लग्जरियस और हानिकारक कैटेगरी में आने वाली सर्विस और वस्तुओं पर लगाया जाता है, जैसे कि पान मसाला, ऑटोमोबाइल और महंगे होटल में ठहरना आदि.

जीएसटी के रिटर्न फॉर्म कितने होते हैं?

1 वर्ष के अंतर्गत आपके द्वारा जितनी भी खरीदी और बिक्री की गई है, उसकी जानकारी आपको भारत सरकार को देनी पड़ती है, और आपको सामान्य तौर पर यह जानकारी जीएसटी रिटर्न फॉर्म में दर्ज करनी होगी, साथी हम आपको बता दें कि अलग-अलग कैटेगरी के व्यापारी को अलग-अलग प्रकार के जीएसटी रिटर्न फॉर्म को भरकर के जमा करना पड़ता है, अब हम आपको जीएसटी के सभी रिटर्न के बारे में विस्तार से बताएंगे, जो इस प्रकार हैं:-

GSTR-1

यह रिटर्न फॉर्म आकस्मिक कर योग्य व्यक्ति और सभी नॉर्मल जीएसटी रजिस्ट्रेशन वाले व्यापारी को इस रिटर्न को भरना होता है. इस फॉर्म को उन सभी व्यापारियों को हर 3 महीने में भरना होता है.

GSTR-3B

वह व्यापारी जो सामान्य जीएसटी रजिस्टर्ड कराएं हुए रहते हैं उनको GSTR-1 के पहले GSTR-3B को भर कर जमा करना पड़ता है, क्योंकि व्यापारियों के द्वारा इस रिटर्न फॉर्म के अंदर अपनी बिक्री और खरीदारी के बारे में विस्तार से जानकारी देनी पढ़ती है, साथ ही उसे दिए गए टैक्स और उपयोग किए गए इनपुट क्रेडिट और टैक्स देनदारियों के बारे में भी बताना पड़ता है.

GSTR-4

ऐसे व्यापार जो कंपोजिशन योजना प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें जीएसटी के अंतर्गत हर प्रत्येक वर्ष के आखिरी में इस रिटर्न फॉर्म को भरकर के जमा करना पड़ता है. साथ ही हम आपको बता दें कि ऐसे व्यापार जिनका 1 वर्ष में टर्नओवर 15000000रुपए होता है, उन्हें जीएसटी में कंपोजिशन योजना लेने की छूट प्राप्त होती है. इसमें व्यापारियों को अपने व्यापार की जानकारी नहीं देनी पढ़ती है,और ना ही उसे रसीद जमा करनी पड़ती है. 

GSTR-5 और GSTR-5 A

ऐसे व्यापार जो भारत से बाहर किए जाते हैं, उन्हें इंडिया में व्यापार करने पर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है, और इसके लिए उन्हें हर महीने GSTR-5 रिटर्न दाखिल करना होता है, साथ ही इंटरनेट के द्वारा विदेश से सर्विस देने वाले व्यपारी को हर महीने GSTR-5 A रिटर्न फाइल करना पड़ता है.

GSTR-6

ऐसे व्यापारी जो जीएसटी में इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर के तौर पर काम करते हैं, उन्हें प्रत्येक महीने अपने व्यापार की जानकारी देने के लिए रिटर्न फॉर्म GSTR-6 भरकर जमा करना पड़ता है.

GSTR-7

ऐसे व्यक्ति अथवा इंस्टीट्यूट जिन्हें जीएसटी सिस्टम में अपनी पेमेंट पर टीडीएस काटने का अधिकार प्राप्त हुआ है, उन्हें प्रत्येक महीने का हिसाब रिटर्न फॉर्म GSTR-7 में भरकर जमा करना पड़ता है, साथ ही उन्हें प्रत्येक महीने कितना टीडीएस कटता है, उसकी भी जानकारी उस फोन के अंदर देनी पड़ती है.

GSTR-8

कुछ मुख्य कंपनियां जैसे ई कॉमर्स कंपनी, और जो जीएसटी में रजिस्टर्ड है, उन्हें प्रत्येक महीने अपने बिजनेस की जानकारी देने के लिए GSTR-8 फोर्म भरकर जमा करना पड़ता है.

जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेना किसके लिए आवश्यक होता है?

जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाने की आवश्यकता के हिसाब से और जो शर्तें होती हैं जिसके बारे में नीचे निम्नलिखित रुप में बताया गया है:-

टर्नओवर लिमिट के हिसाब से नॉर्मल बिजनेसमैन के लिए

जिन व्यापारियों की वार्षिक आय 4000000 रुपए होती है, उन्हें जीएसटी लेना आवश्यक होता है.

और कुछ विशेष राज्य होते हैं जहां के बिजनेसमैन की वार्षिक आय 2000000 रुपए होती है, उन्हें जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है.

Special Category States Under GST

  • जम्मू और कश्मीर
  • आसाम
  • अरुणाचल प्रदेश
  • मेघालय
  • मिजोरम
  • नागालैंड
  • सिक्किम
  • त्रिपुरा
  • उत्तराखंड
  • हिमाचल प्रदेश
  • मणिपुर 

बिना टर्नओवर के कुछ स्पेशल बिजनेस के लिए 

  • कुछ ऐसे व्यापारी होते हैं जो अंतर राज्य व्यापारी होते हैं उन्हें कारोबारियों को जीएसटी लेना अति आवश्यक होता है.
  • जो बिजनेसमैन कैजुअल कारोबारी करता है उसको भी जीएसटी लेना आवश्यक होता है.
  • वह बिजनेस जिसमें रिवर्स जीएसटी वसूली की जाती है उनके लिए जीएसटी लेना आवश्यक है.
  • जो रजिस्टर्ड बिजनेसमैन के एजेंट होते हैं उनको भी जीएसटी लेना आवश्यक है. 
  • डिस्ट्रीब्यूटर अथवा इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर, ई-कॉमर्स कंपनी और सप्लायर, एग्रीगेटर को भी जीएसटी लेना आवश्यक होता है.

जीएसटी (GST) के फायदे

जीएसटी लागू होने के बाद क्या-क्या फायदे हुए, उनके बारे में हम आपको नीचे निम्नलिखित रुप में बताएंगे, जो इस प्रकार है:-

  • जीएसटी लागू होने के कारण सबसे अधिक फायदा सामान्य लोगों को हुआ है, क्योंकि GST के अंतर्गत सभी उत्पादों की खरीदी करने पर एक सामान टैक्स लगता है.
  • केंद्रीय सरकार के द्वारा लागू की गई जीएसटी व्यवस्था के कारण भारत में टैक्स सिस्टम बहुत ही आसान हो गया है.
  • जीएसटी व्यवस्था लागू करने के कारण व्यापारियों को अब सिर्फ जीएसटी टैक्स ही भरना पड़ रहा है, जिससे व्यापारियों को व्यापार में लेन देन और आयकर भरने में अच्छी सुविधा प्राप्त हुई है.
  • जीएसटी लागू होने के कारण इनकम टैक्स के कर्मचारियों द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार नहीं किया जा सकेगा.
  • जीएसटी के लागू होने के कारण कई प्रकार के टैक्स सिस्टम खत्म हो गए हैं, जैसे सर्विस टैक्स, सेंट्रल सेलिंग टैक्स, स्टेट सेलिंग टैक्स और वैल्यू ऐडेड टैक्स आदि.
  • जीएसटी लागू किए जाने से पहले हमें अलग-अलग प्रोडक्ट पर 30% से लेकर के 35 प्रतिशत तक टैक्स भरना पड़ता था. परंतु जब से जीएसटी लागू हो गया है तब से हमें सिर्फ 18% ही कर भरना पड़ता है.

जीएसटी के नुकसान

जीएसटी लागू होने के बाद लोगों को कई प्रकार के नुकसान भी हुए हैं जिनके बारे में अब हम आपको नीचे निम्नलिखित रुप में बताएंगे.

  • जीएसटी IT के द्वारा संचालित किया गया कानून है. और यही कारण है, कि एक बिजनेसमैन को वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले ईआरपी सॉफ्टवेयर को जीएसटी के लायक बनाना होगा या फिर उन्हें जीएसटी सॉफ्टवेयर को खरीदना होगा.
  • ऐसे बिजनेस जिन्होंने जीएसटी को रजिस्टर्ड नहीं कराया है, उन्हें जल्द से जल्द जीएसटी टैक्स सिस्टम को समझना होगा.
  • जो व्यापारी अलग-अलग राज्यों में व्यापार करते हैं, उन्हें उन सभी राज्यों में जीएसटी का रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है.
  • जीएसटी के लागू हो जाने के बाद कई सेवाएं ऐसी है जो महंगी हो गई है जैसे इंश्योरेंस रिनुअल प्रीमियम, हेल्थ केयर,कोरियर सर्विस, डीटीएच आदि.
  • जीएसटी के कारण दिव्यांग लोगों के उपयोग में आने वाली व्हीलचेयर, आवाज सुनने की मशीन जैसी वस्तुएं भी टैक्स के दायरे में आ गए हैं.

आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको Gst Kya Hai - जीएसटी क्या है? की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.

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