आज हम आपको अक्षय तृतीया का महत्व – Akshaya Tritiya Ka Mahatva के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
अक्षय तृतीया त्यौहार हिंदू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु के लिए मनाया जाता है, और कुछ पौराणिक कथाओं द्वारा यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान परशुराम जी धरती पर अवतरित हुए थे, और जैसा कि आप सभी जानते हैं कि परशुराम जी भगवान विष्णु के अवतार थे इसीलिए इस दिन को अक्षय तृतीया त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, और अगर कथाओं के अनुसार माने तो इसी दिन ही भागीरथ की तपस्या के कारण गंगा माता धरती पर अवतरित हुई थी साथ ही इस दिन को देवी अन्नपूर्णा का भी जन्म दिवस माना जाता है ऋषियों और साधु संतों का यह मानना है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किया जाता है उसमें अत्यंत वृद्धि होने की संभावना होती है क्योंकि किसी नए कार्य को शुरू करने से उसमें सफलता और अपार सुख-संपदा की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस दिन परिणय सूत्र में बंधे दंपत्तियों का दांपत्य जीवन अत्यंत प्रेम भरा होता है.
2023 में अक्षय तृतीया कब है? 2023 Me Akshaya Tritiya Kab Hai
अक्षय तृतीया 2023 की तारीख व मुहूर्त
इस वर्ष अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 (शनिवार) को पड़ रही है.
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त : – 07:51:19 से 12:19:56 तक
अवधि :4 घंटे 28 मिनट
2024 में अक्षय तृतीया कब है? 2024 Me Akshaya Tritiya Kab Hai
अक्षय तृतीया 2024 की तारीख व मुहूर्त
इस वर्ष अक्षय तृतीया 10 मई 2024 (शुक्रवार) को पड़ रही है.
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त : – प्रातः 04:17 (10 मई 2024) से प्रातः 02:50 तक (11 मई 2024)
अवधि : 6 घंटे 44 मिनट
2025 में अक्षय तृतीया कब है? 2025 Me Akshaya Tritiya Kab Hai
अक्षय तृतीया 2025 की तारीख व मुहूर्त
इस वर्ष अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 (बुधवार) को पड़ रही है.
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त : – संध्या 17:30 (30 अप्रैल 2025) से 14:10 दोपहर तक (11 मई 2024)
अवधि : 8 घंटे 40 मिनट
अक्षय तृतीया का महत्व पौराणिक कथाओं के अनुसार Akshaya Tritiya Ka Mahatva Pauranik Katha Ke Anusar
ग्रंथों के अनुसार यह माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करने के पश्चात पौराणिक कथाओं को पढ़ना चाहिए. क्योंकि कथाओं में बताया गया है कि इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराने और दान स्वरूप कुछ देने से घर में सुख शांति बनी रहती है, साथ ही घर में लक्ष्मी का प्रवेश होता है इसलिए अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और दान स्वरूप कुछ वस्तुएं देनी चाहिए जैसे हाथ पंखा, जौ, नमक, गेहूं, गुड़, सोना, दही, और धोती आदि.
अक्षय तृतीया से श्री कृष्ण एवं सुदामा का संबंध Akshaya Tritiya Se Krishna Aur Sudama Ka Sambandh
कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही सुदामा अपने मित्र भगवान श्री कृष्ण से मिलने मथुरा गए थे, सुदामा के पास श्रीकृष्ण को देने के लिए कोई भी भेंट नहीं था, तो वह मुट्ठी भर चावल ही भेंट स्वरूप लेकर गए थे, जिससे सुदामा ने श्री कृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया था, जिस कारण श्री कृष्ण ने अपने मित्र के इस भाव को देखकर उसके झोपड़ी जैसे घर को महल में परिवर्तित कर दिया था.
अक्षय तृतीया पर दान का महत्व Akshaya Tritiya Par Daan Ka Mahatva
हम आपको बता दें कि अक्षय तृतीया पर दान का बहुत ही बड़ा महत्व होता है, क्योंकि धार्मिक कथाओं में यह बताया गया है, कि इस तिथि पर कई ऐसी घटनाएं घटित हुई थी, जो इस तिथि को और भी महत्वपूर्ण बना देती है, इस दिन किए जाने वाले दान का बहुत ही बड़ा महत्व होता है, क्योंकि कथा के अनुसार द्वापर युग में जिस दिन दुशासन ने द्रोपदी का चीर हरण किया था, वह दिन अक्षय तृतीया का ही था, उस दिन द्रौपदी की लाज बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय चीर प्रदान किया था. इसलिए कथाओं में अक्षय तृतीया के दिन दान करने को महत्वपूर्ण बताया गया है.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको अक्षय तृतीया का महत्व – Akshay Tritiya Ka Mahatva की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.
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