आज हम आपको Ekadashi Kab Hai एकादशी का महत्व – Ekadashi Ka Mahatva के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.
एकादशी कब की है? Ekadashi Kab Hai
एकादशी एक महत्वपूर्ण तिथि होती है जिसे एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है, एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा धार्मिक महत्व होता है, हम आपको बता दें, कि प्रत्येक महीने में जो एकादशी होती है ‘अमावस्या’ और ‘पूर्णिमा’ के दस दिन बाद ग्यारहवीं तिथि ‘एकादशी’ कहलाती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, एकादशी में कई पक्ष होते हैं और प्रत्येक पक्ष की एकादशी व्रत का अपना एक अलग ही महत्व होता है. एकादशी शब्द का अर्थ होता है “एक ही दशा में रहते हुए अपने आराध्य का अर्चन-वंदन करने की प्रेरणा देने वाला व्रत ही एकादशी है.” इस व्रत में स्वाध्याय की सहज वृत्ति अपनाकर ईश्वर की आराधना में लगना और दिन-रात केवल ईश्वर चितंन की स्थिति में रहने का यत्न एकादशी का व्रत करना माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान, गौ दान, कन्यादान आदि करना अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही आप पुण्य प्राप्त करने के लिए ग्रहण के समय अन्न दान कर सकते है, यह सभी पुण्य प्राप्त करने के लिए तपस्या तीर्थ यात्रा एवं अश्वमेध यज्ञ भी कराए जाते हैं साथ ही एकादशी का सबसे अधिक पुण्य एकादशी व्रत रखने से प्राप्त होता है.
एकादशी का व्रत Ekadashi Ka Vrat
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे हिंदू धर्म में कई ऐसे महत्वपूर्ण व्रत हैं जिन्हें किया जाता है परंतु इन सभी व्रतों में से एकादशी व्रत सबसे प्राचीन और पवित्र माना जाता है क्योंकि एकादशी व्रत स्वामी विश्वेदेवा का होता है जिसके कारण जो इस व्रत को रखता है उसे अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है एकादशी में पूजा करने से प्रत्येक देवता की पूजा एक साथ हो जाती है, साथ ही आप देखते होंगे कि कभी – कभी पंचांग में लगातार दो दिन एकादशी का व्रत लिखा हुआ रहता है, तो हम आपको बता दें कि ऐसी स्थिति में प्रथम दिन का व्रत स्मार्तों (सभी गृहस्थों – गणेश, सूर्य, शिव, विष्णु तथा दुर्गा की पूजा करने वालों) के लिये करना चाहिये, तथा दूसरे दिन का व्रत वैष्णवों को अपने सम्प्रदाय के अनुसार करना चाहिये. वैष्णव का तात्पर्य केवल विष्णु के उपासको से है, तथा पंच संस्कारों से संस्कारित होकर जिसने वैष्णव गुरु से दीक्षा ली हो, तप्त मुद्रा धारण की हो उनसे होता है, जब पंचागं में ‘एकादशीव्रतं सर्वेषां’ लिखा हो तब यह व्रत सभी के लिये करणीय होता है.
एकादशियों के नाम Ekadashi ka naam
हम आपको बता दें कि प्रत्येक महीने एकादशी दो बार आती है और प्रत्येक महीने की एकादशी का अलग-अलग नाम होता है जो नीचे कुछ इस प्रकार दिया गया है:-
- कामदा एकादशी
- पापमोचनी एकादशी
- वरूथिनी एकादशी
- कमला एकादशी
- मोहिनी एकादशी
- अपरा एकादशी
- रंगभरनी एकादशी
- निर्जला एकादशी
- योगिनी एकादशी
- देवशयनी एकादशी
- पवित्रा एकादशी
- अजा एकादशी
- पद्मा एकादशी
- इन्दिरा एकादशी
- पापांकुशा एकादशी
- रमा एकादशी
- देव प्रबोधिनी एकादशी
- उत्पन्ना एकादशी
- मोक्षदा एकादशी
- सफला एकादशी
- पुत्रदा एकादशी
- षटतिला एकादशी
- जया एकादशी
- विजया एकादशी
- आमलकी एकादशी
- प्रमोदिनी एकादशी
- परमा एकादशी
एकादशी का फल Ekadashi Ka Fal
हिंदू ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है कि एकादशी व्रत करने वाले के दस पुरुषा पितृ पक्ष के, दस पुरुषा मातृ पक्ष के और दस पुरुषा पत्नी पक्ष के बैकुण्ठ को जाते हैं, इस व्रत के माध्यम से पुत्र, धन और कीर्ति को बढ़ाने की शक्ति प्रदान की जाती है.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको एकादशी का महत्व – Ekadashi Ka Mahatva की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.
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