आज हम आपको जल प्रदूषण क्या है? – इसके कारण, प्रभाव और रोकथाम के बारे में बताने जा रहे हैं। कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें। और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे ।
जब नहरों, समुद्र, नदियों, झीलों तथा अन्य जल निकायों में विषैले पदार्थ मिल जाते हैं. और इनमें घुल जाते हैं. अथवा पानी में पड़े रहते हैं. या नीचे इकट्ठे हो जाते हैं. जिसके परिणामस्वरूप जल प्रदूषित हो जाता है. और यही कारण है, कि जल की गुणवत्ता में कमी आ जाती है, और साथ ही जलीय परिस्थितिक प्रणाली भी प्रभावित होती है. जल प्रदूषण हम उसे कहते हैं, जब हमारे पीने के स्वच्छ जल में किसी तरह का हानिकारक पदार्थ मिलाकर उसे प्रदूषित कर दिया जाता है. ये हानिकारक पदार्थ कई प्रकार के होते हैं. जो कि जल को प्रदूषित करने का काम करते हैं. बहुत बार हम इन्हें जानबूझ कर साफ पानी में मिला देते हैं, तो बहुत बार ये हमसे अनजाने में मिल जाते हैं. इसी प्रदूषित हुए जल को हम जल प्रदूषण कहते हैं.
जल को प्रदूषित करने वाले कारण
उद्योगों के कारण
जल प्रदूषण के प्रमुख कारण तो हमारे देश में लगातार बढ़ते उद्योग हैं, क्योंकि ये जिस भी जगह ये स्थापित किए जाते हैं. तो इनसे निकलने वाले गंदे पानी की निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं होती है. इसलिए इसे आसपास के किसी गंदे नाले में बहा दिया जाता है, या नहरों में छोड़ दिया जाता है. जिससे वो जल प्रदूषित हो जाता है और जल प्रदूषण के कारण लोगों के बीमार होने का औसत बढ़ जाता है.
बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण
देश में लगातार जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है. जनसंख्या वृद्धि के कारण अभी भी हमारे देश में अब भी बहुत से ऐसे इलाके हैं जहां लोग खुले में शौच करने जाते हैं, इससे भूमिगत जल प्रदूषित होता है. भूमिगत जल प्रदूषण नलकूपों के माध्यम से पानी के रूप में हमारे घर आता है यह प्रदूषित पानी हमारे शरीर के लिए काफी हानिकारक होता है. यह प्रदूषित पानी पीने योग्य बिल्कुल भी नहीं होता है.
खतरनाक केमिकल के कारण
गांव के लोग नहर, तालाब आदि में नहाने और कपड़े धोने जाते हैं, जिससे ये पानी प्रदूषित हो जाता है, और जब आगे इसको किसी काम के लिए प्रयोग किया जाता है, तो ये पूरी तरह से उपयोग करने के काबिल नहीं रहता है. क्योंकि इसमें साबुन के अंदर मिले हुए कैमिकल भी घुल जाते हैं.
पानी में शव को बहाने के कारण
गांवों में अब भी बहुत से लोग जब किसी जानवर की मृत्यु हो जाती है, तो उसे धरती में दबाने की बजाय नहरों आदि में बहा देते हैं. जिससे उन्हें मेहनत कम करनी पड़ती है. लेकिन उन्हें नहीं पता होता है, कि ये पानी को इतना खराब कर देता है, कि इससे ये पानी आगे चलकर किसी काम का नहीं रहता है. साथ ही कई बार ऐसा भी होता है. कि इन जानवरों के सड़ने के कारण पानी से बदबू आने लगती है.
कृषि क्षेत्र में अनुचित गतिविधियों के कारण
हमारे खेतों में जो किसान भाई अधिक उपज के लालच में खेतों में रासायनिक केमिकल का छिड़काव अधिक करते हैं, उन से भी जल प्रदूषण काफी मात्रा में बढ़ता है, क्योंकि केमिकल अंत में जमीन के अंदर चला जाता है. जिससे हमारा भूमिगत जल प्रदूषित हो जाता है.
जल प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव
जल प्रदूषण का मानव जीवन पर बड़ा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, तो अब हम आपको बताएंगे, कि जल प्रदूषण का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है.
- जल प्रदूषण के कारण हमारे शरीर में अनेकों प्रकार की बीमारियां जन्म ले लेती हैं जैसे पोलियो, मियादी, बुखार, हैजा, डायरिया और पेचिश जैसे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के बाद इनके इलाज पर भी हमें काफी मात्रा में पैसे खर्च करना पड़ता है.
- प्रदूषित जल से यदि हम खेतों में सिंचाई करते हैं, तो हमारी फसल भी अच्छी उपज नहीं दे पाती है. साथ ही हमारे खेतों से होने वाले अनाज को जो कोई भी खाता है, उसके बीमार होने की संभावना अधिक होती है
- मानव के साथ-साथ जलीय जीव भी जल प्रदूषण से बहुत अधिक प्रभावित होते है क्योंकि जलीय जीव जो पानी के अंदर सांस लेते हैं, ऐसे में यदि वह जल प्रदूषित होगा. तो पृथ्वी से सभी जलीय जीव विलुप्त हो जाएंगे.
जल प्रदूषण की रोकथाम
शासन द्वारा पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए कुछ नियम बनाये हैं. जिनका सभी नागरिकों, संस्थानों तथा उद्योग धंधों को अनिवार्यत पालन करना चाहिए.
- प्रत्येक घर में सेप्टिक टैंक होना चाहिए.
- शोधन के बाद आज योगी की अवशिष्ट को जल में नहीं बहाना चाहिए, और ना ही जल स्रोत में पशुओं को धोना चाहिए.
- कीटनाशक जैसे खतरनाक पदार्थ का उपयोग खेतों में नहीं करना चाहिए इससे जल प्रदूषण होता है. इसलिए खतरनाक कीटनाशियों के उपयोग में प्रतिबन्ध लगाना चाहिए.
- यह विशिष्ट रूप से ध्यान दें, कि जल स्रोत के जल पर शोधन किया जाए.
- बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में जल शोधन यंत्रों को लगाना चाहिए जिससे इनके द्वारा निकलने वाले अशुद्ध जल शुद्ध जल होने के बाद ही जल स्रोत में जा सके.
- नगरों के बहने वाले मल को आबादी से दूर छोड़ना चाहिए. साथ ही बहने वाले मल में कार्बनिक पदार्थों को कम करने के लिए ऑक्सीकरण तालाब या फिल्टर बेड का प्रयोग करना चाहिए.
- समय-समय पर जल स्रोत से हानिकारक पौधों को निकाल देना चाहिए.
- खरपतवारनाशियों, कीटनाशियों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए.
- ताप, परमाणु तथा बिजली घरों से निकलने वाले जल को ठण्डा होने के बाद शुद्ध करके ही जल स्रोतों में छोड़ना चाहिए.
आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको जल प्रदूषण क्या है? – इसके कारण, प्रभाव और रोकथाम की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा। अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें ।
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